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कंपनी की तानाशाही के आगे बेबस ग्रामीण, खेती की जमीन पर मलबा डालकर फरार हुई कंपनी

महेंद्रगढ़ में कंपनी ने किसानों की खेती योग्य भूमि पर मलबा डालकर फरार हो गई और किसानों को इसका मुआवजा भी नहीं दिया. जिसको लेकर किसानों ने महेंद्रगढ़ पुलिस थाने में शिकायत दी है.

farmers facing problems Madana Associate Company
मेसर्स मदाना एसोसिएट कंपनी धोखाधड़ी महेंद्रगढ़
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Published : Mar 21, 2021, 12:19 PM IST

महेंद्रगढ़: साल 2016 में नांगल चौधरी के गांव बखरीजा के अंदर मेसर्स मदाना एसोसिएट कंपनी प्लॉट नं. 1 में पत्थर खदान चलाने के लिए आई. कंपनी ने यहां के लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हुए लोगों से किराए पर उनकी कृषि योग्य भूमि ली और उसमें मलबा डालना शुरू कर दिया. साथ ही किसानों से एग्रीमेंट किया गया कि हर महीने किराया व अंत में उनकी भूमि वापस कृषि योग्य करके वो देंगे.

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डार्क जोन होने की वजह से पानी की कमी के चलते लोगों ने अपनी जमीन कंपनी को किराए पर दे दी, लेकिन उन्हें क्या पता था ये कंपनी उनके लिए आफत बनने वाली है. स्थानीय लोगों के अनुसार 2019 में रातों-रात कंपनी अपना काम छोड़कर चली गई. ना तो लोगों को उनका पूरा किराया मिला और ना ही जमीन कृषि योग्य बची.

कंपनी की तानाशाही के आगे बेबस ग्रामीण, खेती की जमीन पर मलबा डालकर फरार हुई कंपनी

पीड़ित विक्रम ने बताया कि अब जब यहां के किसान अपनी जमीन को दोबारा से कृषि योग्य बनाने के लिए तैयार करने की कोशिश करने लगे. तो कंपनी ने नांगल चौधरी पुलिस को स्थानीय लोगों के खिलाफ शिकायत दी. जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अपनी ही जमीन के लिए उन्हें पुलिस के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.

ये भी पढ़ें: झज्जर में पेंसिल बनाने वाली कंपनी करोड़ों की धोखाधड़ी का आरोप

बरहाल पुलिस मामले में दोनों पक्षों की बातें सुनने में लगी हुई है और पुलिस का कहना है कि दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद ही पुलिस किसी नतीजे पर पहुंचेगी और दोषी के खिलाफ उचित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

महेंद्रगढ़: साल 2016 में नांगल चौधरी के गांव बखरीजा के अंदर मेसर्स मदाना एसोसिएट कंपनी प्लॉट नं. 1 में पत्थर खदान चलाने के लिए आई. कंपनी ने यहां के लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हुए लोगों से किराए पर उनकी कृषि योग्य भूमि ली और उसमें मलबा डालना शुरू कर दिया. साथ ही किसानों से एग्रीमेंट किया गया कि हर महीने किराया व अंत में उनकी भूमि वापस कृषि योग्य करके वो देंगे.

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डार्क जोन होने की वजह से पानी की कमी के चलते लोगों ने अपनी जमीन कंपनी को किराए पर दे दी, लेकिन उन्हें क्या पता था ये कंपनी उनके लिए आफत बनने वाली है. स्थानीय लोगों के अनुसार 2019 में रातों-रात कंपनी अपना काम छोड़कर चली गई. ना तो लोगों को उनका पूरा किराया मिला और ना ही जमीन कृषि योग्य बची.

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पीड़ित विक्रम ने बताया कि अब जब यहां के किसान अपनी जमीन को दोबारा से कृषि योग्य बनाने के लिए तैयार करने की कोशिश करने लगे. तो कंपनी ने नांगल चौधरी पुलिस को स्थानीय लोगों के खिलाफ शिकायत दी. जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अपनी ही जमीन के लिए उन्हें पुलिस के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.

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बरहाल पुलिस मामले में दोनों पक्षों की बातें सुनने में लगी हुई है और पुलिस का कहना है कि दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद ही पुलिस किसी नतीजे पर पहुंचेगी और दोषी के खिलाफ उचित कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

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