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जल अधिकारी रैली में बोले मुख्यमंत्री, 'पंजाब की मनमानी अब ज्यादा दिन नहीं चलेगी'

रविवार को नारनौल में बीजेपी द्वारा 'जल अधिकारी रैली' का आयोजन किया गया. इस रैली में मुख्त वक्ता के तौर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने शिरकत की. संबोधन में सीएम ने एसवाईएल नहर का मुद्दा जोर-शोर से उठाया. उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि हरियाणा को उसका हक मिले.

cm manohar lal jal adhikar rally
cm manohar lal jal adhikar rally
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Published : Dec 20, 2020, 7:20 PM IST

महेंद्रगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एसवाईएल नहर को लेकर नारनौल में आयोजित 'जल अधिकार रैली' को संबोधित किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि एसवाईएल का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में था और सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा जीत गया और ये फैसला हुआ कि अब एसवाईएल पानी को लेकर नहर का निर्माण किया जाएगा.

'कांग्रेसी जनता को बरगला रहे हैं'

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तो सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को आदेश देने हैं कि नहर का निर्माण कौन करेगा और जल्द ही इस पर फैसला भी आ सकता है. अगर केंद्र भी इसमें पहल करे तो हरियाणा को उसके हिस्से का पानी जल्द मिल जाएगा. उन्होंने कहा कि एसवाईएल के पानी के मुद्दे को लेकर कांग्रेसी जनता को बरगला रहे हैं, जबकि हरियाणा का ये हिस्सा बनता है.

'पंजाब की मनमानी अब ज्यादा दिन नहीं चलेगी'

'केंद्र को पहल करनी चाहिए'

हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के इस मुद्दे पर केंद्र को भी पहल करनी चाहिए और बड़े नेताओं को अगर आपस में बैठ कर बात करनी भी पड़े तो बात करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अब जल्द ही इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट भी संज्ञान लेने वाला है.

सीएम को दिखाए काले झंडे

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की नारनौल में आयोजित जल अधिकार रैली में चंद किसानों का विरोध भी देखने को मिला. इस रैली में कुछ किसानों ने मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाने का भी प्रयास किया, जिन्हें पुलिस ने तुरंत अपनी हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की. रैली स्थल पर कुछ किसानों का कहना था कि सरकार ने किसानों को बर्बाद करके रख दिया है.

क्या है एसवाईएल विवाद?

ये पूरा विवाद साल 1966 में हरियाणा राज्य के बनने से शुरू हुआ था. उस वक्त हरियाणा के सीएम पंडित भगवत दयाल शर्मा थे और पंजाब के सीएम ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर नए-नए गद्दी पर बैठे थे. पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर सतलुज-यमुना लिंक नहर परियोजना के अंतर्गत 214 किलोमीटर लंबा जल मार्ग तैयार करने का प्रस्ताव था. इसके तहत पंजाब से सतलुज को हरियाणा में यमुना नदी से जोड़ा जाना है.

ये भी पढे़ं- हरियाणा के बीजेपी सांसदों ने की केंद्रीय जल मंत्री से मुलाकात, सौंपा 6 बिंदुओं का मांग पत्र

इसका 122 किलोमीटर लंबा हिस्सा पंजाब में होगा तो शेष 92 किलोमीटर हरियाणा में. हरियाणा समान वितरण के सिद्धांत मुताबिक कुल 7.2 मिलियन एकड़ फीट पानी में से 4.2 मिलियन एकड़ फीट हिस्से पर दावा करता रहा है लेकिन पंजाब सरकार इसके लिए राजी नहीं है. हरियाणा ने इसके बाद केंद्र का दरवाजा खटखटाया और साल 1976 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसके तहत हरियाणा को 3.5 मिलियन एकड़ फीट पानी का आवंटन किया गया.

महेंद्रगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एसवाईएल नहर को लेकर नारनौल में आयोजित 'जल अधिकार रैली' को संबोधित किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि एसवाईएल का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में था और सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा जीत गया और ये फैसला हुआ कि अब एसवाईएल पानी को लेकर नहर का निर्माण किया जाएगा.

'कांग्रेसी जनता को बरगला रहे हैं'

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तो सिर्फ सुप्रीम कोर्ट को आदेश देने हैं कि नहर का निर्माण कौन करेगा और जल्द ही इस पर फैसला भी आ सकता है. अगर केंद्र भी इसमें पहल करे तो हरियाणा को उसके हिस्से का पानी जल्द मिल जाएगा. उन्होंने कहा कि एसवाईएल के पानी के मुद्दे को लेकर कांग्रेसी जनता को बरगला रहे हैं, जबकि हरियाणा का ये हिस्सा बनता है.

'पंजाब की मनमानी अब ज्यादा दिन नहीं चलेगी'

'केंद्र को पहल करनी चाहिए'

हरियाणा के मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के इस मुद्दे पर केंद्र को भी पहल करनी चाहिए और बड़े नेताओं को अगर आपस में बैठ कर बात करनी भी पड़े तो बात करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अब जल्द ही इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट भी संज्ञान लेने वाला है.

सीएम को दिखाए काले झंडे

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की नारनौल में आयोजित जल अधिकार रैली में चंद किसानों का विरोध भी देखने को मिला. इस रैली में कुछ किसानों ने मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाने का भी प्रयास किया, जिन्हें पुलिस ने तुरंत अपनी हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की. रैली स्थल पर कुछ किसानों का कहना था कि सरकार ने किसानों को बर्बाद करके रख दिया है.

क्या है एसवाईएल विवाद?

ये पूरा विवाद साल 1966 में हरियाणा राज्य के बनने से शुरू हुआ था. उस वक्त हरियाणा के सीएम पंडित भगवत दयाल शर्मा थे और पंजाब के सीएम ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर नए-नए गद्दी पर बैठे थे. पंजाब और हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर सतलुज-यमुना लिंक नहर परियोजना के अंतर्गत 214 किलोमीटर लंबा जल मार्ग तैयार करने का प्रस्ताव था. इसके तहत पंजाब से सतलुज को हरियाणा में यमुना नदी से जोड़ा जाना है.

ये भी पढे़ं- हरियाणा के बीजेपी सांसदों ने की केंद्रीय जल मंत्री से मुलाकात, सौंपा 6 बिंदुओं का मांग पत्र

इसका 122 किलोमीटर लंबा हिस्सा पंजाब में होगा तो शेष 92 किलोमीटर हरियाणा में. हरियाणा समान वितरण के सिद्धांत मुताबिक कुल 7.2 मिलियन एकड़ फीट पानी में से 4.2 मिलियन एकड़ फीट हिस्से पर दावा करता रहा है लेकिन पंजाब सरकार इसके लिए राजी नहीं है. हरियाणा ने इसके बाद केंद्र का दरवाजा खटखटाया और साल 1976 में केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी की जिसके तहत हरियाणा को 3.5 मिलियन एकड़ फीट पानी का आवंटन किया गया.

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