कुरुक्षेत्र: 21 जून को पूरे देश में सूर्य ग्रहण देखा गया. धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में भी सूर्य ग्रहण के खास मौके पर पंडित और श्रद्धालु सात्विक अनुष्ठान करते दिखे. ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई और ईश्वर से प्राथना की.
ब्रह्मसरोवर पर सात्विक अनुष्ठान कर रहे गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने बताया कि सूर्य ग्रहण के महत्व को देखते हुए कोरोना महामारी मुक्ति की प्रार्थना करने के लिए ही सरकार ने धार्मिक अनुष्ठान करने का मन बनाया है. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी को देखते हुए सात्विक अनुष्ठान में एक अखंड पाठ किया गया है. इस अनुष्ठान में बड़े-बड़े अखाड़ों से एक-एक साधु संत शामिल हुए और उन्होंने अखंड पाठ किया.
कोरोना ने सूर्य ग्रहण पर डाला प्रभाव
स्वामी ज्ञानानंद ने बताया कि इस बार वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने सूर्य ग्रहण के अवसर पर काफी प्रभाव डाला है. उन्होंने बताया कि हर साल यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते थे और स्नान कर पूजा अर्चना करते थे, लेकिन इस बार ब्रह्मसरोवर पर चुनिंदा श्रद्धालु और पंडित दिखे.
उन्होंने बताया कि इस बार धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण के अवसर पर कोई मेला भी नहीं लगाया गया. ना ही किसी को स्नान करने की अनुमति दी गई. सिर्फ चुनिंदा संतों ने ही ब्रह्मसरोवर में डुबकी लगाई और पूजा अर्चना की.
सांसद नायब सिंह सैनी ने भी लगाई आस्था की डुबकी
सूर्य ग्रहण के अवसर पर कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से सांसद नायब सिंह सैनी भी ब्रह्मसरोवर पहुंचे. उन्होंने भी सूर्य को जल अर्पित किया. इसके बाद साधु संतों के साथ मिलकर उन्होंने ब्रह्मसरोवर के तट पर पूजा अर्चना की. नायब सैनी ने कहा कि इस बार जो सूर्य ग्रहण आया है वो कई वर्षों के बाद आया है.
नायब सिंह सैनी ने कहा कि ऐसा सूर्य ग्रहण 5 हजार साल पहले आया था. जब भगवान श्री कृष्ण अपने परिवार के साथ कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर पर स्नान करने के लिए पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि इस बार के सूर्य ग्रहण का काफी गहरा महत्व है. वहीं उन्होंने ये भी बताया कि सरकार ने इस बार सूर्य ग्रहण के मौके पर अनुष्ठान करने की अनुमति इसलिए दी, ताकि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का विनाश हो सके.
कैसे होता है सूर्य ग्रहण ?
सूर्य ग्रहण के बारे में जानने के लिए पहला तथ्य यह है कि वह एक उल्लेखनीय ब्रह्मांडीय संयोग के कारण उत्पन्न होता है. आसमान में देखने से लगता है कि चंद्रमा लगभग सूर्य के बराबर है जबकि सूर्य, चंद्रमा से व्यास में लगभग 400 गुना बड़ा है और चंद्रमा के मुकाबले सूर्य आसमान के 400 गुना करीब है. इसलिए सूर्य और चंद्रमा हमें एक ही आकार के दिखाई देते हैं
ये भी पढे़ं- सूर्य ग्रहण पर कुरुक्षेत्र ब्रह्म सरोवर की मनमोहक तस्वीरें