कुरुक्षेत्र: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के लगभग 1,700 पेंशनरों को पिछले 19 महीनों (जनवरी 2016 से सितंबर 2017 तक) के 14 करोड़ रुपये के बकाया का इंतजार है.
पेंशनरों का दावा है कि विश्वविद्यालय ने 1 जनवरी 2016 से अपने कर्मचारियों और पेंशनरों के वेतन में संशोधन किया था. सितंबर 2017 से बढ़े हुए वेतन का भुगतान किया जा रहा है, लेकिन 19 महीने का अंतर अभी भी लंबित है.
पेंशनभोगी वित्तीय समस्याओं का सामना कर रहे हैं. आयु-संबंधी बीमारियों और अन्य मुद्दों के कारण, वे बार-बार अपने बकाया की रिहाई के लिए अधिकारियों से नहीं मिल सकते हैं. सरकार जल्द से जल्द अनुदान जारी करे.
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त सहायक कुलसचिव, दविंदर सचदेवा ने कहा कि बार-बार प्रतिनिधित्व के बावजूद, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को लगभग 14 करोड़ रुपये का बकाया चुकाना बाकी है. इससे पहले, विश्वविद्यालय ने असहायता व्यक्त की और दावा किया कि उसके पास बकाया राशि को मंजूरी देने के लिए धन नहीं था. बाद में विश्वविद्यालय ने सरकार को पत्र लिखा और 15 करोड़ रुपये के अनुदान की मांग की, ताकि पेंशनरों के बकाए को मंजूरी दी जा सके लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
उन्होंने कहा कि इस साल के शुरू में हम पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में गए. जहां विश्वविद्यालय ने अदालत को सूचित किया कि उसे धन की कमी का सामना करना पड़ रहा है. उसने सरकार से अनुदान मांगा है और उसका इंतजार है. जिसपर उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से ये पूछा कि पेंशन के बकाए अनुदान के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अनुरोध पर विचार करने में कितना समय लगेगा. इस मामले की अगली सुनवाई 25 जनवरी को होगी.
याचिकाकर्ताओं में से एक, दविंदर सचदेवा ने कहा कि पेंशनभोगी वित्तीय मुद्दों का सामना कर रहे हैं. आयु-संबंधी बीमारियों और अन्य मुद्दों के कारण, वे बार-बार अपने बकाया की रिहाई के लिए अधिकारियों से नहीं मिल सकते हैं. पिछले महीने, याचिकाकर्ताओं में से एक की भी मृत्यु हो गई. सरकार को जल्द से जल्द अनुदान जारी करना चाहिए.
ये भी पढ़ें: LIVE: सीएम के कार्यक्रम का विरोध करने जा रहे किसानों पर चली लाठियां, छोड़े गए आंसू गैस के गोले
इस बीच, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के निदेशक जनसंपर्क डॉ ब्रजेश साहनी ने कहा कि विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार के साथ पहले ही बात कर ली है. उसने इस उद्देश्य के लिए 15 करोड़ रुपये का अनुदान मांगा है. इस मामले को सरकार के साथ उच्च अधिकारियों द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है.