कुरुक्षेत्र: एसवाईएल के मुद्दे को लेकर हरियाणा और पंजाब के बीच वर्षों से जद्दोजहद चल रही है, लेकिन आज तक भी इस मसले का समाधान नहीं हुआ है. हालांकि न्यायालय के हस्तक्षेप से दोनों राज्यों की मीटिंग भी हो चुकी है लेकिन समस्या नहीं सुलझ सकी. पंजाब हरियाणा को पानी देने के तैयार नहीं, वहीं हरियाणा इसके लिए अपना हक जता रहा है. एसवाईएल का कुल एरिया 212 किलोमीटर का बनता है, जिसमें से 90 किलोमीटर हरियाणा और 122 किलोमीटर पंजाब में पड़ता है.
हरियाणा द्वारा उसके हिस्से का कार्य वर्षों पहले पूरा कर लिया गया है, लेकिन पंजाब सरकार ने आज तक भी एसवाईएल कार्य को पूरा नहीं किया गया है. न्यायालय ने केंद्र सरकार को पंजाब में सर्वेक्षण के लिए कहा है और पंजाब सरकार को फटकार भी लगाई है कि एसवाईएल के मुद्दे को लेकर दोनों राज्यों में जो समस्या बनी हुई है उसे मिलकर सुलझाया जाए. न्यायालय ने 2002 में फैसला हरियाणा के हक में दिया था और पंजाब द्वारा डाली गई याचिका को 2004 में रद्द कर दिया गया था. अब देखना ये है कि आखिर दोनों राज्यों के बीच एसवाईएल मुद्दे को लेकर आपसी सहमति बन पाएगी या नहीं या फिर ये मुद्दा जनहित में ना होकर वोट हथियाने की राजनीति का अखाड़ा बना रहेगा.
वहीं, हरियाणा के पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा ने कहा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी की सभा कुरुक्षेत्र में हुई थी. उस समय पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और हरियाणा के मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला दोनों मौजूद थे. इस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि जो पानी पाकिस्तान में जा सकता है वो दक्षिण हरियाणा की प्यास क्यों नहीं बुझा सकता. इस दौरान अटल बिहारी वाजपेय ने इस मामले को सुलझाने के लिए दोनों राज्यों के सीएम को बैठकर हल निकालने के लिए कहा था. एसवाईएल का हिस्सा कुरुक्षेत्र में भी पड़ता है. वहीं, बरसात के समय पंजाब की ओर से इसमें पानी छोड़े जाने पर कुरुक्षेत्र काफी प्रभावित होता है.
कानूनी तौर पर देखा जाए तो हरियाणा का पक्ष एसवाईएल के मुद्दे पर पहले से ही मजबूत है. हरियाणा पत्र लिखकर यह संदेश भी देना चाहता है कि हम तो बातचीत के जरिए इस मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं. इसके साथ ही यह बताने की चेष्टा भी है कि हरियाणा की ओर से इस मुद्दे के हाल के लिए हर तरह के प्रयास किया जा रहे हैं और वे हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं. पहले भी पंजाब और हरियाणा के बीच इस मुद्दे को लेकर कई बार बातचीत हुई है. लेकिन, पंजाब किसी भी तरह से अपने स्टैंड को इस मुद्दे पर नहीं बदल रहा है. - प्रोफेसर गुरमीत, राजनीतिक मामलों के जानकार
पत्र लिखने के क्या हैं मायने?: राजनीतिक मामलों के जानकार प्रोफेसर गुरमीत सिंह कहते हैं कि हरियाणा के मुख्यमंत्री का पत्र लिखने का जो यह प्रयास है वह निश्चित तौर पर यह संदेश है कि हरियाणा हर स्तर पर पंजाब के साथ इस मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार है. हरियाणा कोर्ट में भी यह कह सकता है कि हमने तो बातचीत के लिए हर संभव प्रयास किए हैं. हरियाणा अपने पक्ष को और मजबूत कर रहा है. हरियाणा किसी भी तरह से इस मुद्दे पर खुद को पीछे नहीं रखना चाहता है. उन्होंने कहा कि हरियाणा हमेशा से बातचीत के जरिए इसके समाधान के लिए अपने स्तर पर प्रयास कर रहा है. हालांकि पंजाब इस मुद्दे पर अपने स्टैंड को बदलता है या नहीं, यह पंजाब की सियासत पर बहुत कुछ निर्भर करता है.
ये भी पढ़ें: दुष्यंत चौटाला बोले- SYL पानी को लेकर राम मंदिर बनाने की तरह फैसला सुनाए SC, चुनाव में गठबंधन को लेकर कही बड़ी बात