कुरुक्षेत्र: आखिर वही हुआ जिसका डर था. किसान, राइस मिलर और सरकार के चक्रव्यूह में फंस कर रह गए. रविवार को तेज बारिश हुई, किसानों की 6 महीने की मेहनत मंडियों में भरे पानी में बहती दिख रही है. यह उस खेल का परिणाम है जो किसानों के साथ खेला जा रहा है. पहले धान खरीद की डेट आगे करना, फिर राइस मिलर्स की हड़ताल और अब कुदरत की मार. किसान हर स्थिति में बेबस, लाचार और कमजोर नजर आता है.
बता दें कि पिपली अनाज मंडी में किसानों की धान की फसल बारिश की वजह से सड़कों पर बह रही है. ऐसे में साफ नजर आता है कि अधिकारियों ने व्यवस्थाओं को दरकिनार कर किसानों को राम भरोसे छोड़ दिया. रविवार रात हुई बारिश से किसानों की साल भर की मेहनत बारिश में बर्बाद हो गई. ऐसे में अब बेचारे किसान सोच में पड़ गए हैं कि वो जाएं तो जाएं कहां.
किसानों का कहना है कि अभी ऑफिसर तो घर में चाय की चुस्की के साथ बारिश का मजा ले रहे होंगे, लेकिन वो मंडी में आंसुओं के घुट पी रहे हैं. उनका कहना है कि इस बारिश की वजह से उनका जो नुकसान हुआ है वो ना तो अधिकारी समझेंगे ना ही सरकार. इस बर्बादी से उनका पूरा साल बर्बाद हो गया. उनके सपनों पर पानी फिर गया. उनके पास कोई चारा नहीं बचा है.
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किसानों का कहना है कि सरकार ने तो धान खरीद का ऐलान कर दिया. किसान अपनी फसलों को लेकर मंडी भी पहुंच गया, लेकिन राइस मिलर्स जिद्द पर अड़ गए हैं. उन्हें किसानों की चिंता कहां होगी, वो तो बैंक से करोड़ों का लोन लेकर अपना बिजनेस चला रहा हैं, असर तो आम किसानों को पड़ता है. राइस मिलर्स की जिद्द की वजह से कई घरों के चूल्हे ठंडे पड़ने वाले हैं. उन्होंने कहा कि इस नुकसान की वजह से कई बेटियों की शादियों के लिए उनके मां-बाप को कर्जा लेना पड़ेगा, क्योंकि उनकी धान बिक ही नहीं और जब सरकार ने खरीदनी शुरू की तो राइस मिलर्स जिद्द पर अड़ गए.
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