कुरुक्षेत्र: देश में लॉकडाउन है और चारों तरफ कोरोना ने कोहराम मचाया हुआ है, लेकिन देश में कोरोना से भी घातक है कुछ लोगों की घटिया मानसिकता और उनमें भरी हुई शैतानी हवस. इसी का नतीजा है कि एक दिमागी रूप से असहाय अकेली दिव्यांग लड़की को भी अपनी हवस शिकार बना लेते हैं. ये अधर्म हुआ है धर्म नगरी कुरुक्षेत्र में.
मार्च के आखिरी हफ्ते में जब पूरे देश में लॉकडाउन लगा, तो कुरुक्षेत्र की सड़कों, मंदिरों और घाट पर रहने वाले साधू-संतों को शेल्टर होम में शिफ्ट किया, लेकिन एक बाप असमंजस में पड़ गया, उसने अधिकारियों से मिन्नतें की कि उसकी दिमागी रूप से दिव्यांग बेटी को भी उसके साथ भेज दिया जाए, लेकिन उसकी एक नहीं सुनी गई. साधू को अपने साथ ले गए और उसकी बेटी को वहीं सड़कों पर भटकता छोड़ गए.
'अकेली दिव्यांग लड़की को पाकर वहशियों ने बनाया शिकार'
साधू का कहना है कि शेल्टर होम में रहते हुए भी वो अपनी बेटी से मिलने की गुजारिश करता रहा, लेकिन वहां सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी धमका कर बैठा देते थे. जब वो शेल्टर होम से निकल कर घाट पर पहुंचा. तो उसे अपनी बेटी के साथ हुई दरिंदगी के बारे में पता चला. पीड़िता के पिता के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान उस दिव्यांग लड़की को कई यातनाओं से गुजरना पड़ा. शाम ढलते ही सड़कों पर घूम रहे अज्ञात आवारा लोगों ने उसे अपनी हवस का शिकार बनाया. एक बार नहीं, हर रोज, बार-बार.
वारदात के बाद लड़की की बिगड़ी हालत
स्थानीय लोगों ने भी उस लड़की के साथ हुई दरिंदगी के बारे में बताया. उन्होंने इस बात की भी तस्दीक की कि वहशी भेड़ियों ने उस लड़की के साथ कुरुक्षेत्र की अलग-अगल जगहों पर अलग-अलग लोगों ने ब्लात्कार किया. इसके बाद दिव्यांग लड़की की मानसिक हालत और ज्यादा खराब हो गई. वो लड़की अपनी आपबीती को सही से बता नहीं पा रही, लेकिन उसका गुस्सा बंद पड़े दुकानों के शटर, दुकानों के बाहर रखी टेबल पर निकलता है. पीड़िता सारा दिन परेशान रहने लगी है, रोती रहती है, चिल्लाती रहती है.
पुलिस ने साधी चुप्पी
इस मामले में ईटीवी भारत की टीम ने नजदीकी पुलिस थाने में भी बात की. वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने अपने से बड़े अधिकारी से बात करने की बात कह मामले को टाल दिया. पुलिस ने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से मना कर दिया.
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