कुरुक्षेत्रः हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर इस बार घमासान युद्ध देखने को मिलेगा. अगर हम बात करें कुरुक्षेत्र की तो यहां के चुनावी रण में उतरने के लिए पार्टियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है. कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट एक ऐतिहासिक और प्रसिद्ध सीट है. कुरुक्षेत्र पर फिलहाल बीजेपी के बागी सांसद राजकुमार सैनी का कब्जा है.
2014 में था BJP का दबदबा
कुरुक्षेत्र से 2014 में बीजेपी के राजुकमार सैनी ने कांग्रेस के नवीन जिंदल को हराकर जीत हासिल की थी. सैनी ने कुरुक्षेत्र से 2004 और 2009 में दो बार सांसद रहे कांग्रेस के नवीन जिंदल को करारी शिकस्त दी थी.
आसान नहीं होगा जीत बरकरार रखना!
इस बार कुरुक्षेत्र की ये लोकसभा सीट और भी रोमांचक हो चुकी है क्योंकि बीजेपी की झोली में जीत डाल चुके सैनी ने अपनी एक अलग पार्टी बना ली है. इस बार वो अपनी नवनिर्मित लोकतंत्र सुरक्षा दल की तरफ से चुनाव लड़ेंगे. सैनी के अलग होने के बाद से माना जा रहा है कि यहां भाजपा के लिए संघर्ष पहले के मुकाबले और मुश्किल होने वाला है.
9 विधानसभा में से एक सीट पर ही कांग्रेस का राज
कुरुक्षेत्र संसदीय क्षेत्र में नौ विधानसभा क्षेत्र हैं. इनमें कैथल विधानसभा को छोड़कर अन्य सीटों पर भाजपा, इनेलो व निर्दलीय उम्मीदवारों का कब्जा है. कैथल के चारों विधानसभा क्षेत्र में कैथल से रणदीप सिंह सुरजेवाला विधायक हैं. गुहला से भाजपा विधायक कुलवंत बाजीगर हैं. कलायत से निर्दलीय विधायक जय प्रकाश व पूंडरी से निर्दलीय विधायक दिनेश कौशिक हैं.
हालांकि इस लोकसभा क्षेत्र में अब तक कांग्रेस का दबदबा रहा है. आठ बार कांग्रेस प्रत्याशी इस सीट पर जीतने में सफल रहे हैं.
कांग्रेस से टिकट की रेस में सुरजेवाला और जिंदल!
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से अभी तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. इस सीट से अब तक दो बार नवीन जिंदल और एक बार उनके पिता ओपी जिंदल चुनाव जीत चुके हैं. अब चौथी बार पूर्व सांसद नवीन जिंदल और रणदीप सिंह सुरजेवाला को कांग्रेस पार्टी का टिकट मिलने की चर्चाएं हैं. हालांकि जिंदल ने कार्यकर्ताओं को टिकट पक्का होने का संकेत देते हुए प्रचार करना शुरू कर दिया है.
रहा है कांग्रेस का दबदबा
अब तक यहां कांग्रेस का दबदबा रहा है.आठ बार कांग्रेस प्रत्याशी इस सीट पर जीतने में सफल रहे. अब तक हुए चुनावों मे ये जीते- 1957 में कांग्रेस से मूलचंद जैन, 1962 में कांग्रेस के डीडी शर्मा, 1967 में गुलजारी लाल नंदा, 1971 में गुलजारी लाल नंदा, 1977 में जनता पार्टी के रघुबीर सिंह विर्क, 1980 में जनता पार्टी से मनोहर लाल, 1984 में कांग्रेस से हरपाल सिंह, 1989 जनता दल से गुरदयाल सैनी, 1991 में सरदार तारा सिंह, 1996 में ओमप्रकाश जिंदल, 1998 में इनेलो से कैलाशोंसैनी, 1999 में कैलाशों सैनी, 2004 में कांग्रेस से नवीन जिंदल, 2009 में नवीन जिंदल व 2014 में भाजपा की टिकट पर राजकुमार सैनी सांसद बने.
कुरुक्षेत्र में कितने वोटर?
अब तक सात लाख 35 हजार 131 वोटर्स कीलिस्ट जिला निर्वाचन आयोग कार्यालय की तरफ से तैयार की गई है. हालांकि फाइनल लिस्टअप्रैल के पहले हफ्ते में आएगी.अभी इसमें नए वोटर और शामिल हो सकते हैं.जिले की चारों विधानसभा क्षेत्रों में कलायत में सबसे ज्यादा व गुहला विस क्षेत्र में सबसे कम वोटर हैं.
कुरुक्षेत्रका धार्मिक और चुनावी इतिहास
कौरव और पांडवों के बीच हुआ महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र की ही जमीन पर लड़ा गया था. जहां युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश भी दिया था. यहां के ब्रह्मसरोवर कुंड का भी ऐतिहासिक महत्व है. रोजाना सैकड़ों लोग यहां पवित्र जल में स्नान करने पहुंचते हैं.
धर्म और राजनीति के सबसे बड़े गवाह माने जाने वाले कुरुक्षेत्र का इतिहास काफी गहरा है. कुरुक्षेत्र का इतिहास उतना ही पुराना है, जितना गीता का ज्ञान और महाभारत का महासंग्राम है. यहां कि मिट्टी आज भी पूरी दुनिया में अधर्म पर धर्म की सबसे बड़ी जीत का संदेश देती है. कुरुक्षेत्र को भगवान श्रीकृष्ण की कर्मस्थली कहा जाता है.
1977 तक यहां कि लोकसभा सीट का हेड क्वार्टर कैथल में था. तत्कालीन सांसद पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा ने इसे कैथल से बदलकर कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र का दर्जा दिलवाया.