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"गब्बर" की ललकार, क्या करेगी सरकार ? अनिल विज अपनी ही सरकार की क्यों कर रहे मुखालफत ?... डिटेल में जानिए - ANIL VIJ CONTROVERSY

कैबिनेट मंत्री अनिल विज इन दिनों सरकार से नाराज है. उनके बयान सीएम के खिलाफ देखे जा रहे हैं.

Anil Vij Controversy
अनिल विज अपनी ही सरकार का क्यों कर रहे मुखालफत (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 3, 2025, 8:40 PM IST

Updated : Feb 3, 2025, 10:13 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा की सियासत में अपने बेबाक और दबंग अंदाज की वजह से मशहूर "गब्बर" कहलाने वाले परिवहन और ऊर्जा मंत्री अनिल विज सुर्खियों में हैं. इस बार उनके निशाने पर विपक्ष का कोई नेता नहीं, बल्कि प्रदेश के मुखिया यानी सीएम नायब सैनी है. विज करीब पांच दिनों से लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं, जिसकी वजह से हरियाणा की सियासत में घमासान मचा हुआ है. उन्होंने अपने ही सीएम के खिलाफ कुछ इस तरह झंडा बुलंद किया हुआ है कि सभी हैरान हैं. अब उनके इस अंदाज से आगे क्या होगा ? इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं.

गब्बर की दहाड़, निशाने पर अपनी ही सरकार: हरियाणा की सियासत में गब्बर के नाम से मशहूर अनिल विज बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं. पिछले दो टर्म मनोहर लाल सरकार में भी वे अपने बेबाक अंदाज की वजह से सरकार के सामने कई बार खड़े होते थे. फिर चाहे सीआईडी विभाग तत्कालीन सीएम मनोहर लाल के अपने पास रखने का मामला हो, आईपीएस के तबादलों की बात हो, या फिर दूसरे टर्म में स्वास्थ्य विभाग की वजह से अपनी ही सरकार से टकराव रहा हो. वहीं, नायब सैनी के पहली बार सीएम बनने पर बैठक छोड़कर जाने का मुद्दा रहा हो. फिर मंत्री पद न लेकर उन्होंने अपने तेवर भी साफ कर दिए थे. ऐसे कई वाकये हैं, जो अनिल विज के दबंग स्वभाव को व्यक्त करते हैं.

गब्बर के निशाने पर सीएम नायब सैनी: अनिल विज के तीखे तेवर का ताजा मामला सोशल मीडिया एक्स पर उनके लिखे गए वो शब्द हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से सीएम नायब सैनी पर ही सवाल उठा रहे हैं. उन्होंने अंबाला से पार्टी के एक स्थानीय नेता की उनके खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ीं चित्रा सरवारा के साथ फोटो शेयर करते हुए गद्दार टाइटल लिखा है. विज ने इसे शेयर करते हुए लिखा - "आशीष तायल जो खुद को नायब सैनी का मित्र बताते हैं, उनकी फेसबुक पर नायब सैनी के साथ अनेक चित्र मौजूद हैं. आशीष तायल के साथ विधानसभा चुनाव के दौरान जो कार्यकर्ता नजर आ रहे हैं, वो ही कार्यकर्ता चित्रा सरवारा भाजपा की विरोधी उम्मीदवार के साथ भी नजर आ रहे हैं. ये रिश्ता क्या कहलाता है..? तायल आज भी नायब सैनी के परम मित्र बने हुए हैं तो फिर प्रश्न उठता है, भाजपा उम्मीदवार की मुखालफत किसने करवाई ?" यानी वे सीधे सीधे सीएम नायब सैनी पर वार कर रहे हैं.

इस खबर को डिटेल में पढ़िए - अनिल विज की CM नायब सैनी को सीधी चुनौती, पूछा- "ये रिश्ता क्या कहलाता है"

सब छीन लो, विधायक पद नहीं छीन सकते - विज : इतना ही नहीं, इससे पहले बीते रविवार को रोहतक में अनिल विज ने पत्रकारों से बात करते हुए अपने तेवर फिर साफ कर दिए. इस बार उन्होंने अपने बयान से स्पष्ट कर दिया कि वे शांत बैठने वाले नहीं हैं. उन्होंने यहां तक कहा कि हम चाहते हैं कि हमारी पार्टी और सरकार ढंग से काम करे. सीएम साहब मंत्रियों और विधायकों की बात सुने. उन्होंने आगे कहा कि सैनी चाहे मेरा सब कुछ छीन सकते हैं. मेरी सीनियरिटी नहीं छीन सकते. मंत्री पद छीना जा सकता है, लेकिन विधायक का पद कोई नहीं छीन सकता. यानी उन्होंने अपने तेवर से बता दिया कि वे आसानी से रुकने वाले नहीं हैं.

इस खबर को डिटेल में पढ़िए - अनिल विज का हरियाणा CM को चैलेंज, बोले - मंत्री पद समेत सब छीन लें, विधायकी नहीं छीन पाएंगे

पुष्पा के स्टाइल में कह चुके अपनी बात : वहीं, साउथ की फिल्मों से प्रभावित होने वाले अनिल विज ने पुष्पा स्टाइल में भी इससे पहले अपनी बात सामने रखी थी. अधिकारियों की मनमानी और सीएम नायब सैनी से नाराजगी पर विज ने साउथ फिल्मों के सुपर स्टार अल्लू अर्जुन के पुष्पा फिल्म वाले अंदाज में कहा था कि "मैं जो बोलता हूं आत्मा से बोलता हूं, और आत्मा की आवाज को दबाया नहीं जा सकता."

इस खबर को डिटेल में पढ़िए - हरियाणा के 'गब्बर' का 'पुष्पा' अंदाज, बोले- मैं जो बोलता हूं, आत्मा से बोलता हूं, आत्मा की आवाज को दबाया नहीं जा सकता

सीएम को बता चुके उड़नखटोले में सवार: अनिल विज सीएम को चुनौती देकर सीधे-सीधे सरकार से टकराने का मन बना चुके हैं. अंबाला में उनके मुताबिक जिले के प्रमुख अधिकारियों पर कार्रवाई न होने से नाराज अनिल विज ने अपनी नाराजगी को दर्शाते हुए शनिवार को कहा था कि सीएम उड़नखटोले में सवार है. उन्होंने कहा था कि काम न होने से मंत्री और विधायक भी परेशान है. हालांकि उनके इस बयान के कुछ घंटों बाद ही सरकार ने अंबाला के डीसी का तबादला कर दिया, जिसको अनिल विज की नाराजगी को कम करने के तौर पर देखा जाने लगा. फिर लगा कि शायद अनिल विज अब शांत हो जाएंगे. लेकिन सरकार के इस कदम के बाद भी अनिल विज की सीएम से नाराजगी दूर होती नजर नहीं आई. इसके बाद भी अनिल विज और तीखे तेवर के साथ सामने आ गए हैं.

इस खबर को डिटेल में पढ़िए - अनिल विज के बागी तेवर! सीएम नायब सैनी पर साधा निशाना, बोले- जब से सीएम बने, उड़न खटोले से नीचे नहीं उतरे

नायब सैनी से पहले से ही खफा दिखते हैं विज: गाहे बगाहे अपनी बात को गानों के जरिए भी पेश करने वाले विज नायब सैनी से हाल में ही नाराज नहीं हुए हैं. जब पहली बार नायब सैनी का नाम सीएम पद के लिए सामने आया था, उस वक्त भी अनिल विज अपना लव लश्कर हरियाणा निवास चंडीगढ़ में छोड़कर अंबाला चले गए थे. उसके बाद जब नायब सैनी के मंत्रिमंडल में उनका नाम जोड़ा गया था तो उन्होंने मंत्री पद नहीं लिया था. यानी यह टकराव आज का दिखाई नहीं देता. इनमें कुछ पुरानी बातें भी शामिल है.

विज की नाराजगी पर क्या बोले कृषि मंत्री ? : हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने अनिल विज की नाराजगी पर कहा कि अनिल विज सीनियर मंत्री और विधायक है. अच्छे नेता है. हर व्यक्ति का अपना स्वभाव है, अनिल विज सम्मानित नेता हैं. हालांकि वे कहते हैं कि सरकार में कोई मतभेद नहीं है. ये सिर्फ आपस की बात है. सीएम साहब सभी काम करते हैं. हमारे यहां छोटे से लेकर बड़े तक सभी अधिकारी काम करते हैं. कृषि विभाग की जो जिम्मेदारी मुझे दी गई है, उसमें भी कोई दिक्कत नहीं है. सभी अधिकारी ठीक है. मैं जब दूसरे मंत्रियों के पास काम के लिए जाता हूं, वो काम कर देते हैं. कोई दिक्कत नहीं आती.

कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा (ETV Bharat)

राणा ने कहा कि भाईसाहब (अनिल विज) कुछ ना कुछ बोलते रहते हैं. मन के बहुत साफ सुथरे हैं. पार्टी के प्रति और सीएम के प्रति उनकी बहुत निष्ठा है. राणा ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि विज साहब की बात कोई ना सुने. अनिल विज हमारे मार्गदर्शक बने रहते हैं. उनसे हमारा लगाव है. विज हमसे सम्मान से बात करते हैं. हम कहते हैं उनसे प्रेम बना रहे और उनका मार्गदर्शन करते रहते हैं.

किस दिशा में जा रहा विज विवाद, क्या कहते हैं जानकर ? : ऐसे में सवाल यह है कि एक दशक में कई बार अपनी ही सरकार को घेरने वाले परिवहन और ऊर्जा मत्री आखिर क्या चाहते हैं? अनिल विज क्यों अपने ही मुख्यमंत्री को लगातार टारगेट कर रहे हैं ? इसका क्या राजनीतिक असर हो सकता है ?

क्या कहते हैं जानकर ? (ETV Bharat)

ये सामान्य संघर्ष नहीं हो सकता : अनिल विज के तेवर पर राजनीतिक मामलों के जानकर धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि अनिल विज की लड़ाई अब अगले स्तर पर चली गई है. सोशल मीडिया पर आए उनके ताजा बयान ने तो सीएम पर ही उन्होंने गद्दार का ठप्पा लगा दिया है. इसलिए इसको सामान्य संघर्ष नहीं माना जा सकता. अनिल विज का काम करने का अपना अलग अंदाज रहा है. 2014 से जब से बीजेपी की प्रदेश में सरकार बनी है, वे अपने अंदाज में काम कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें : अधिकारियों पर फिर भड़के हरियाणा के 'गब्बर', कहा- जरूरत पड़ी तो करूंगा आमरण अनशन, ग्रीवेंस कमेटी की बैठक में भी नहीं जाऊंगा

खट्टर से भी रहा है टकराव : वे कहते हैं कि पूर्व सीएम मनोहर लाल से भी उनका छत्तीस का आंकड़ा था, वे खुलकर अपनी बात करते थे. अनिल विज बेबाक तरीके से कम करते हैं, खुलकर अपनी बात करते हैं, किसी के दबाव में नहीं रहते. अब तक के उनके काम से ये बात साफ हो गई है. अब जो सीएम नायब सैनी के साथ उनका संघर्ष सामने आ रहा है, इसे सामान्य बात नहीं माना जा सकता.

हाईकमान भी ले सकता है एक्शन : वे कहते हैं कि विज ने इसको एक तरीके से आर-पार की लड़ाई के तौर पर ले लिया है. ये विरोध आज का नहीं, जब सीएम सैनी पहली बार सीएम बने थे, तब भी सामने आया था. अब जो संघर्ष शुरू हुआ है, ये बिना किसी निष्कर्ष पर जाए खत्म होता नजर नहीं आता है. हो सकता है हाईकमान अनिल विज पर कोई एक्शन ले, और अनिल विज भी इसके लिए मानसिक तौर पर तैयार दिखाई देते हैं.

क्या उन पर केंद्र से किसी का हाथ है ? : वे कहते हैं कि या तो केंद्र से उनकी पीठ पर किसी का हाथ है. अगर ऐसा है भी तो बीजेपी नहीं चाहेगी कि तीसरी बार एंटी कैंबेंसी के बावजूद बनी सरकार अस्थिर हो. अनिल विज करीब पांच दिन से लगातार हमलावर हैं. कभी वे डल्लेवाल की तरह अनशन की बात करते हैं, कभी वे कहते हैं उनको हराने की कोशिश की गई. वे अपने नेताओं और अधिकारियों पर आरोप लगा रहे हैं. सीएम पर भी टिप्पणी कर रहे हैं.

अब जिस तरह से उन्होंने नायब सैनी पर गद्दार का ठप्पा लगाने की कोशिश की है, इससे ये लड़ाई अगले स्तर पर चली गई है, दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद लग रहा है कि इस पर कोई ना कोई एक्शन होगा.

दिल्ली चुनाव के बाद निकलेगा निष्कर्ष : एक्शन को लेकर भी कहते हैं कि माना जाता था कि बीजेपी अनुशासन वाली पार्टी है. लेकिन विधानसभा चुनाव में यह साफ हो गया था कि अनुशासन का नॉरेटिव तो है, लेकिन जमीन पर ऐसा कुछ नहीं है. 2014 से पहले हरियाणा में बीजेपी का बहुत बड़ा बेस नहीं था. तीसरी बार जिस तरीके से सरकार बनी है तो उसको देखकर लगता है कि हाईकमान शायद ही कोई रिस्क न ले. विज के इस ताजा प्रकरण के बाद लग रहा है कि 5 फरवरी के बाद इसमें कोई ना कोई एक्शन होगा.

हाईकमान विज की बात जरूर सुनेगा : वे कहते हैं कि देखने से ऐसा लगता है कि शायद एक बार हाई कमान इनको बैठाकर बातचीत करेगा. क्योंकि विज के भी आरएसएस और बीजेपी के शीर्ष नेताओं से अच्छे संबंध हैं. वे कोई सामान्य नेता नहीं है. मनोहर लाल के बाद उन्हें लग रहा था कि वह बड़ा पंजाबी चेहरा है, सीएम के स्वाभाविक दावेदार हैं. सातवीं बार चुनकर आए हैं. इसलिए भाजपा भी शायद उन्हें ऐसे नहीं छोड़ेगी. एक बार बातचीत की कोशिश होगी.

चंडीगढ़: हरियाणा की सियासत में अपने बेबाक और दबंग अंदाज की वजह से मशहूर "गब्बर" कहलाने वाले परिवहन और ऊर्जा मंत्री अनिल विज सुर्खियों में हैं. इस बार उनके निशाने पर विपक्ष का कोई नेता नहीं, बल्कि प्रदेश के मुखिया यानी सीएम नायब सैनी है. विज करीब पांच दिनों से लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं, जिसकी वजह से हरियाणा की सियासत में घमासान मचा हुआ है. उन्होंने अपने ही सीएम के खिलाफ कुछ इस तरह झंडा बुलंद किया हुआ है कि सभी हैरान हैं. अब उनके इस अंदाज से आगे क्या होगा ? इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं.

गब्बर की दहाड़, निशाने पर अपनी ही सरकार: हरियाणा की सियासत में गब्बर के नाम से मशहूर अनिल विज बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं. पिछले दो टर्म मनोहर लाल सरकार में भी वे अपने बेबाक अंदाज की वजह से सरकार के सामने कई बार खड़े होते थे. फिर चाहे सीआईडी विभाग तत्कालीन सीएम मनोहर लाल के अपने पास रखने का मामला हो, आईपीएस के तबादलों की बात हो, या फिर दूसरे टर्म में स्वास्थ्य विभाग की वजह से अपनी ही सरकार से टकराव रहा हो. वहीं, नायब सैनी के पहली बार सीएम बनने पर बैठक छोड़कर जाने का मुद्दा रहा हो. फिर मंत्री पद न लेकर उन्होंने अपने तेवर भी साफ कर दिए थे. ऐसे कई वाकये हैं, जो अनिल विज के दबंग स्वभाव को व्यक्त करते हैं.

गब्बर के निशाने पर सीएम नायब सैनी: अनिल विज के तीखे तेवर का ताजा मामला सोशल मीडिया एक्स पर उनके लिखे गए वो शब्द हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से सीएम नायब सैनी पर ही सवाल उठा रहे हैं. उन्होंने अंबाला से पार्टी के एक स्थानीय नेता की उनके खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ीं चित्रा सरवारा के साथ फोटो शेयर करते हुए गद्दार टाइटल लिखा है. विज ने इसे शेयर करते हुए लिखा - "आशीष तायल जो खुद को नायब सैनी का मित्र बताते हैं, उनकी फेसबुक पर नायब सैनी के साथ अनेक चित्र मौजूद हैं. आशीष तायल के साथ विधानसभा चुनाव के दौरान जो कार्यकर्ता नजर आ रहे हैं, वो ही कार्यकर्ता चित्रा सरवारा भाजपा की विरोधी उम्मीदवार के साथ भी नजर आ रहे हैं. ये रिश्ता क्या कहलाता है..? तायल आज भी नायब सैनी के परम मित्र बने हुए हैं तो फिर प्रश्न उठता है, भाजपा उम्मीदवार की मुखालफत किसने करवाई ?" यानी वे सीधे सीधे सीएम नायब सैनी पर वार कर रहे हैं.

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सब छीन लो, विधायक पद नहीं छीन सकते - विज : इतना ही नहीं, इससे पहले बीते रविवार को रोहतक में अनिल विज ने पत्रकारों से बात करते हुए अपने तेवर फिर साफ कर दिए. इस बार उन्होंने अपने बयान से स्पष्ट कर दिया कि वे शांत बैठने वाले नहीं हैं. उन्होंने यहां तक कहा कि हम चाहते हैं कि हमारी पार्टी और सरकार ढंग से काम करे. सीएम साहब मंत्रियों और विधायकों की बात सुने. उन्होंने आगे कहा कि सैनी चाहे मेरा सब कुछ छीन सकते हैं. मेरी सीनियरिटी नहीं छीन सकते. मंत्री पद छीना जा सकता है, लेकिन विधायक का पद कोई नहीं छीन सकता. यानी उन्होंने अपने तेवर से बता दिया कि वे आसानी से रुकने वाले नहीं हैं.

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पुष्पा के स्टाइल में कह चुके अपनी बात : वहीं, साउथ की फिल्मों से प्रभावित होने वाले अनिल विज ने पुष्पा स्टाइल में भी इससे पहले अपनी बात सामने रखी थी. अधिकारियों की मनमानी और सीएम नायब सैनी से नाराजगी पर विज ने साउथ फिल्मों के सुपर स्टार अल्लू अर्जुन के पुष्पा फिल्म वाले अंदाज में कहा था कि "मैं जो बोलता हूं आत्मा से बोलता हूं, और आत्मा की आवाज को दबाया नहीं जा सकता."

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सीएम को बता चुके उड़नखटोले में सवार: अनिल विज सीएम को चुनौती देकर सीधे-सीधे सरकार से टकराने का मन बना चुके हैं. अंबाला में उनके मुताबिक जिले के प्रमुख अधिकारियों पर कार्रवाई न होने से नाराज अनिल विज ने अपनी नाराजगी को दर्शाते हुए शनिवार को कहा था कि सीएम उड़नखटोले में सवार है. उन्होंने कहा था कि काम न होने से मंत्री और विधायक भी परेशान है. हालांकि उनके इस बयान के कुछ घंटों बाद ही सरकार ने अंबाला के डीसी का तबादला कर दिया, जिसको अनिल विज की नाराजगी को कम करने के तौर पर देखा जाने लगा. फिर लगा कि शायद अनिल विज अब शांत हो जाएंगे. लेकिन सरकार के इस कदम के बाद भी अनिल विज की सीएम से नाराजगी दूर होती नजर नहीं आई. इसके बाद भी अनिल विज और तीखे तेवर के साथ सामने आ गए हैं.

इस खबर को डिटेल में पढ़िए - अनिल विज के बागी तेवर! सीएम नायब सैनी पर साधा निशाना, बोले- जब से सीएम बने, उड़न खटोले से नीचे नहीं उतरे

नायब सैनी से पहले से ही खफा दिखते हैं विज: गाहे बगाहे अपनी बात को गानों के जरिए भी पेश करने वाले विज नायब सैनी से हाल में ही नाराज नहीं हुए हैं. जब पहली बार नायब सैनी का नाम सीएम पद के लिए सामने आया था, उस वक्त भी अनिल विज अपना लव लश्कर हरियाणा निवास चंडीगढ़ में छोड़कर अंबाला चले गए थे. उसके बाद जब नायब सैनी के मंत्रिमंडल में उनका नाम जोड़ा गया था तो उन्होंने मंत्री पद नहीं लिया था. यानी यह टकराव आज का दिखाई नहीं देता. इनमें कुछ पुरानी बातें भी शामिल है.

विज की नाराजगी पर क्या बोले कृषि मंत्री ? : हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने अनिल विज की नाराजगी पर कहा कि अनिल विज सीनियर मंत्री और विधायक है. अच्छे नेता है. हर व्यक्ति का अपना स्वभाव है, अनिल विज सम्मानित नेता हैं. हालांकि वे कहते हैं कि सरकार में कोई मतभेद नहीं है. ये सिर्फ आपस की बात है. सीएम साहब सभी काम करते हैं. हमारे यहां छोटे से लेकर बड़े तक सभी अधिकारी काम करते हैं. कृषि विभाग की जो जिम्मेदारी मुझे दी गई है, उसमें भी कोई दिक्कत नहीं है. सभी अधिकारी ठीक है. मैं जब दूसरे मंत्रियों के पास काम के लिए जाता हूं, वो काम कर देते हैं. कोई दिक्कत नहीं आती.

कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा (ETV Bharat)

राणा ने कहा कि भाईसाहब (अनिल विज) कुछ ना कुछ बोलते रहते हैं. मन के बहुत साफ सुथरे हैं. पार्टी के प्रति और सीएम के प्रति उनकी बहुत निष्ठा है. राणा ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि विज साहब की बात कोई ना सुने. अनिल विज हमारे मार्गदर्शक बने रहते हैं. उनसे हमारा लगाव है. विज हमसे सम्मान से बात करते हैं. हम कहते हैं उनसे प्रेम बना रहे और उनका मार्गदर्शन करते रहते हैं.

किस दिशा में जा रहा विज विवाद, क्या कहते हैं जानकर ? : ऐसे में सवाल यह है कि एक दशक में कई बार अपनी ही सरकार को घेरने वाले परिवहन और ऊर्जा मत्री आखिर क्या चाहते हैं? अनिल विज क्यों अपने ही मुख्यमंत्री को लगातार टारगेट कर रहे हैं ? इसका क्या राजनीतिक असर हो सकता है ?

क्या कहते हैं जानकर ? (ETV Bharat)

ये सामान्य संघर्ष नहीं हो सकता : अनिल विज के तेवर पर राजनीतिक मामलों के जानकर धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं कि अनिल विज की लड़ाई अब अगले स्तर पर चली गई है. सोशल मीडिया पर आए उनके ताजा बयान ने तो सीएम पर ही उन्होंने गद्दार का ठप्पा लगा दिया है. इसलिए इसको सामान्य संघर्ष नहीं माना जा सकता. अनिल विज का काम करने का अपना अलग अंदाज रहा है. 2014 से जब से बीजेपी की प्रदेश में सरकार बनी है, वे अपने अंदाज में काम कर रहे हैं.

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खट्टर से भी रहा है टकराव : वे कहते हैं कि पूर्व सीएम मनोहर लाल से भी उनका छत्तीस का आंकड़ा था, वे खुलकर अपनी बात करते थे. अनिल विज बेबाक तरीके से कम करते हैं, खुलकर अपनी बात करते हैं, किसी के दबाव में नहीं रहते. अब तक के उनके काम से ये बात साफ हो गई है. अब जो सीएम नायब सैनी के साथ उनका संघर्ष सामने आ रहा है, इसे सामान्य बात नहीं माना जा सकता.

हाईकमान भी ले सकता है एक्शन : वे कहते हैं कि विज ने इसको एक तरीके से आर-पार की लड़ाई के तौर पर ले लिया है. ये विरोध आज का नहीं, जब सीएम सैनी पहली बार सीएम बने थे, तब भी सामने आया था. अब जो संघर्ष शुरू हुआ है, ये बिना किसी निष्कर्ष पर जाए खत्म होता नजर नहीं आता है. हो सकता है हाईकमान अनिल विज पर कोई एक्शन ले, और अनिल विज भी इसके लिए मानसिक तौर पर तैयार दिखाई देते हैं.

क्या उन पर केंद्र से किसी का हाथ है ? : वे कहते हैं कि या तो केंद्र से उनकी पीठ पर किसी का हाथ है. अगर ऐसा है भी तो बीजेपी नहीं चाहेगी कि तीसरी बार एंटी कैंबेंसी के बावजूद बनी सरकार अस्थिर हो. अनिल विज करीब पांच दिन से लगातार हमलावर हैं. कभी वे डल्लेवाल की तरह अनशन की बात करते हैं, कभी वे कहते हैं उनको हराने की कोशिश की गई. वे अपने नेताओं और अधिकारियों पर आरोप लगा रहे हैं. सीएम पर भी टिप्पणी कर रहे हैं.

अब जिस तरह से उन्होंने नायब सैनी पर गद्दार का ठप्पा लगाने की कोशिश की है, इससे ये लड़ाई अगले स्तर पर चली गई है, दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद लग रहा है कि इस पर कोई ना कोई एक्शन होगा.

दिल्ली चुनाव के बाद निकलेगा निष्कर्ष : एक्शन को लेकर भी कहते हैं कि माना जाता था कि बीजेपी अनुशासन वाली पार्टी है. लेकिन विधानसभा चुनाव में यह साफ हो गया था कि अनुशासन का नॉरेटिव तो है, लेकिन जमीन पर ऐसा कुछ नहीं है. 2014 से पहले हरियाणा में बीजेपी का बहुत बड़ा बेस नहीं था. तीसरी बार जिस तरीके से सरकार बनी है तो उसको देखकर लगता है कि हाईकमान शायद ही कोई रिस्क न ले. विज के इस ताजा प्रकरण के बाद लग रहा है कि 5 फरवरी के बाद इसमें कोई ना कोई एक्शन होगा.

हाईकमान विज की बात जरूर सुनेगा : वे कहते हैं कि देखने से ऐसा लगता है कि शायद एक बार हाई कमान इनको बैठाकर बातचीत करेगा. क्योंकि विज के भी आरएसएस और बीजेपी के शीर्ष नेताओं से अच्छे संबंध हैं. वे कोई सामान्य नेता नहीं है. मनोहर लाल के बाद उन्हें लग रहा था कि वह बड़ा पंजाबी चेहरा है, सीएम के स्वाभाविक दावेदार हैं. सातवीं बार चुनकर आए हैं. इसलिए भाजपा भी शायद उन्हें ऐसे नहीं छोड़ेगी. एक बार बातचीत की कोशिश होगी.

Last Updated : Feb 3, 2025, 10:13 PM IST
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