कुरुक्षेत्र: लॉकडाउन के चलते खादी उत्पादक इकाईयों में भारी स्टॉक इक्कठा हो गया है. खादी उत्पादों की सेल ना होने से खादी इकाई पर आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है. खादी संचालकों ने सरकार से अनुमति मिलने के बाद काम तो शुरू कर दिया है, लेकिन लॉकडाउन के दौरान हुई आर्थिक क्षति को पूरा करने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं.
खादी ग्रामोद्योग संघ मिर्जापुर नरड़ के सचिव सतपाल सैनी ने उम्मीद जताई है कि उन्हें केंद्र सरकार के राहत पैकेज से उन्हें सहायता जरूर मिलेगी. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राहत पैकेज के लिए धन्यवाद भी किया. सतपाल सैनी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान खादी उत्पादक केन्द्र को भारी आर्थिक क्षति हुई है.
कोरोना वायरस से बचाव के लिए लॉकडाउन में खादी इकाईयों का काम बिलकुल ठप्प हो गया. सैनी ने कहाकि सरकार की घोषणा के अनुसार लघु उद्योग पुन: प्रारम्भ हुए हैं. अब मेहनती कारीगर भी जुट गए हैं. उन्हें जो क्षति हुई है उसे पूरा करने और अपने लक्ष्य को भी हासिल करने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं.
सरकार से राहत की मांग
सतपाल सैनी ने कहा कि लॉकडाउन से पहले से ही उनकी खादी इकाईयों में स्टॉक इक्कठा हो गया है. सरकार जो खादी की बिक्री के लिए प्रोत्साहन देती थी, उसमें भी छूट के नाम पर 6 साल से कोई पैसा नहीं मिला है. डीबीटी स्कीम में जो उन्हें सब्सिडी का पैसा मिलता था. उसे भी सरकार ने रोक दिया है.
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील करते हुए कहा कि वो कामगारों और कारीगरों के प्रोत्साहन के लिए प्रभावी कदम उठाए. खादी के मुख्य बुनकर आशिक अली ने कहा कि उन्हें आर्थिक सहयोग की जरूरत है.
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बता दें कि कुरुक्षेत्र के खादी ग्राम उद्योग से लगभग हर महीने 50 से 60 लाख रुपये की प्रोडक्शन होती थी. लगभग ढाई महीने लगे इस लॉकडाउन से करीब डेढ़ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. कुरुक्षेत्र खादी ग्रामोद्योग के सचिव सतपाल सैनी ने बताया कि इस महीने काम शुरू होने के बाद भी वो प्रोडक्शन नहीं निकाल पाएंगे.