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कुरूक्षेत्र में भावांतर भरपाई योजना की पड़ताल, किसानों को नहीं मिल पा रहा योजना का ठीक से लाभ - भावांतर भरपाई योजना कुरूक्षेत्र न्यूज

इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान को बिजाई अवधि के दौरान मार्केटिंग बोर्ड की वेबसाईट पर बागवानी भावान्तर (BBY) ई-पोर्टल से रजिस्ट्रेशन कराना होता है. इसके बाद बागवानी विभाग रजिस्ट्रेशन करा चुके किसानों के खेत के एरिया का सत्यापन करता है.

Bhavantar Bharti Yojana
Bhavantar Bharti Yojana
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Published : Dec 17, 2019, 11:29 AM IST

कुरूक्षेत्रः प्रदेश में सब्जी की खेती करने वाले किसानों के लिए खेती में जोखिम को कम करने के लिए सरकार ने 1 जनवरी 2018 को भावांतर भरपाई योजना की शुरूआत की. जैसा कि नाम से ही आप समझ रहे होंगे की. इस योजना में भाव के अंतर की भरपाई की जाती है. इसके तहत सरकार 8 सब्जियों और 2 फलों की कीमतों के लिए एक निर्धारित रेट तय करती है और किसान को मंडी में यदि निर्धारित रेट से कम कीमत मिलती है, तो सरकार उसकी भरपाई करती है. लेकिन हालत ये है कि ज्यादातर किसानों को इस योजना की जानकारी ही नहीं है, ना ही संबंधित विभाग किसानों के द्वार तक योजना को पहुंचा रहा है.

किसानों को नहीं मिल पा रहा योजना का लाभ !
1 जनवरी 2018 को जब योजना की शुरूआत हुई तो सरकार ने इसमें आलू, प्याज, टमाटर और फूल गोभी को शामिल किया था. लेकिन 13 नवंबर 2019 को हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने इस योजना का विस्तार किया और इसमें चार और सब्जियों बैंगन, गाजर, शिमला मिर्च, मटर और दो फलों अमरूद और किन्नू को भी शामिल किया गया. लेकिन इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन कराने वाले किसान का कहना है कि सरकार संरक्षित मूल्य इतना कम तय करती है कि किसानों को ठीक से इसका लाभ नहीं मिल पा रहा.

भावांतर भरपाई योजना के लिए फसलों की तय कीमत और उत्पादन
फसल का नाम

संरक्षित मूल्य

(रुपये प्रति क्विंटल )

उत्पादन

(क्विंटल प्रति एकड़)

आलू 500 120
प्याज 650 100
टमाटर 500 140
फूल गोभी 750 100
बैंगन 500 -
किन्नू 1100 104
गाजर 700 100
मटर 1100 50
शिमला मिर्च 650 -
अमरूद 1300 -

ये भी पढ़ेंः- सुपर सीडर मशीन दिला रही पराली की समस्या से निजात, जानें इसकी खूबियां

कुरूक्षेत्र जिले में कितने किसानों को मिल रहा लाभ ?
वहीं मामले में जब हमने कुरूक्षेत्र के जिला बागवानी अधिकारी से बात कि तो उनकी बात की तो उन्होंने बताया कि जिले के लगभग 90% किसान इसका लाभ ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि आलू की फसल का 17000 एकड़ का रजिस्ट्रेशन हो चुका है और फूल गोभी का 137 एकड़ का रजिस्ट्रेशन हुआ है, वहीं गाजर की भी 45 एकड़ भूमि का रजिस्ट्रेशन हुआ है. वहीं इस बार किसानों ने 217 एकड़ मटर की बागवानी का भी रजिस्ट्रेशन कराया है. लेकिन जिले में खेती के दायरे को देखते हुए ये ऊंट की मूंह में जीरा जैसा ही लगता है. जिला बागवानी अधिकारी ने ये भी बताया कि किसानों को योजना का लाभ किस तरह मिल पाता है.

कैसे ले सकते हैं योजना का लाभ ?
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान को बिजाई अवधि के दौरान मार्केटिंग बोर्ड की वेबसाईट पर बागवानी भावान्तर (BBY) ई-पोर्टल से रजिस्ट्रेशन कराना होता है. इसके बाद बागवानी विभाग रजिस्ट्रेशन करा चुके किसानों के खेत के एरिया सत्यापन करता है. बागवानी विभाग अगर खेत के एरिया के सत्यापन में कोई गलती करता है तो किसान इसके खिलाफ अपील भी दायर कर सकता है. रजिस्ट्रेशन के लिए कोई फीस नहीं ली जाती है.किसान एक निर्धारित अवधि के दौरान ही रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इसके लिए सर्व सेवा केंद्र/ई-दिशा केंद्र/मार्किटिंग बोर्ड/ बागवानी विभाग/कृषि विभाग और इन्टरनेट कियोस्क पर रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध रहती है.वहीं फसल के खेत के एरिया का सत्यापन और सत्यापन को लेकर अपील और फसल की बिक्री सभी का समय तय होता है. इसी के तहत योजना का लाभ किसान को मिल पाता है.

कुरूक्षेत्र में भावांतर भरपाई योजना की पड़ताल, किसानों को नहीं मिल पा रहा योजना का ठीक ढंग से लाभ.
भावांतर भरपाई योजना की महत्वपूर्ण बातें
फसल का नाम रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख
आलू 15 दिसंबर 2019
गोभी 15 दिसंबर 2019
गाजर 15 दिसंबर 2019
मटर 15 दिसंबर 2019
किन्नू 15 दिसंबर 2019
प्याज 15 फरवरी 2020
टमाटर 15 फरवरी 2020
शिमला मिर्च 15 मार्च 2020
बैंगन 15 मार्च 2020
अमरूद
15 मई 2020

कैसे मिलता है योजना का लाभ ?

  • योजना का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहन के लिए जे-फार्म पर बिक्री करनी होती है.
  • जे-फार्म पर बिक्री के बाद बिक्री विवरण भावांतर भरपाई योजना ई-पोर्टल पर अपलोड होता है, जिसके लिए प्रत्येक संबंधित मार्केट कमेटी के कार्यालय में सुविधा उपलब्ध रहती है.
  • बिक्री की अवधि के दौरान यदि फसल उत्पादन का थोक मूल्य संरक्षित मूल्य से कम मिलता है, तो किसान भाव के अंतर की भरपाई के लिए पात्र होगा.
  • जे-फार्म पर बिक्री और निर्धारित उत्पादन प्रति एकड़ (जो भी कम होगा) को भाव के अंतर से गुना करने पर प्रोत्साहन देय होगा.
  • प्रोत्साहन राशि किसान के आधार लिंकड बैंक खाते में बिक्री के 15 दिन के अन्दर जारी कर दी जाएगी.
  • औसत दैनिक थोक मूल्य मण्डी बोर्ड द्वारा चिन्हित मण्डियों के दैनिक भाव के आधार पर निर्धारित किया जाएगा.

ईटीवी भारत लोगों तक पहुंचा रहा योजना की जानकारी
देश और प्रदेश की सरकारें लोगों के लिए योजनाएं तो बनाती है. लेकिन वो लोगों तक नहीं पहुंच पाती. यहीं हाल भावांतर भरपाई योजना का भी हो रहा है. अधिकारियों की उदासीनता के चलते योजना दम तोड़ती नजर आ रही है, लेकिन अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझते हुए ईटीवी भारत ने किसानों तक इस योजना को पहुंचाने का का बीड़ा उठाया है.

ये भी पढ़ेंः- खर्चा कम मुनाफा ज्यादा, फूलों की खेती से खुशबू के साथ मोटी कमाई

कुरूक्षेत्रः प्रदेश में सब्जी की खेती करने वाले किसानों के लिए खेती में जोखिम को कम करने के लिए सरकार ने 1 जनवरी 2018 को भावांतर भरपाई योजना की शुरूआत की. जैसा कि नाम से ही आप समझ रहे होंगे की. इस योजना में भाव के अंतर की भरपाई की जाती है. इसके तहत सरकार 8 सब्जियों और 2 फलों की कीमतों के लिए एक निर्धारित रेट तय करती है और किसान को मंडी में यदि निर्धारित रेट से कम कीमत मिलती है, तो सरकार उसकी भरपाई करती है. लेकिन हालत ये है कि ज्यादातर किसानों को इस योजना की जानकारी ही नहीं है, ना ही संबंधित विभाग किसानों के द्वार तक योजना को पहुंचा रहा है.

किसानों को नहीं मिल पा रहा योजना का लाभ !
1 जनवरी 2018 को जब योजना की शुरूआत हुई तो सरकार ने इसमें आलू, प्याज, टमाटर और फूल गोभी को शामिल किया था. लेकिन 13 नवंबर 2019 को हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने इस योजना का विस्तार किया और इसमें चार और सब्जियों बैंगन, गाजर, शिमला मिर्च, मटर और दो फलों अमरूद और किन्नू को भी शामिल किया गया. लेकिन इस योजना के तहत रजिस्ट्रेशन कराने वाले किसान का कहना है कि सरकार संरक्षित मूल्य इतना कम तय करती है कि किसानों को ठीक से इसका लाभ नहीं मिल पा रहा.

भावांतर भरपाई योजना के लिए फसलों की तय कीमत और उत्पादन
फसल का नाम

संरक्षित मूल्य

(रुपये प्रति क्विंटल )

उत्पादन

(क्विंटल प्रति एकड़)

आलू 500 120
प्याज 650 100
टमाटर 500 140
फूल गोभी 750 100
बैंगन 500 -
किन्नू 1100 104
गाजर 700 100
मटर 1100 50
शिमला मिर्च 650 -
अमरूद 1300 -

ये भी पढ़ेंः- सुपर सीडर मशीन दिला रही पराली की समस्या से निजात, जानें इसकी खूबियां

कुरूक्षेत्र जिले में कितने किसानों को मिल रहा लाभ ?
वहीं मामले में जब हमने कुरूक्षेत्र के जिला बागवानी अधिकारी से बात कि तो उनकी बात की तो उन्होंने बताया कि जिले के लगभग 90% किसान इसका लाभ ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि आलू की फसल का 17000 एकड़ का रजिस्ट्रेशन हो चुका है और फूल गोभी का 137 एकड़ का रजिस्ट्रेशन हुआ है, वहीं गाजर की भी 45 एकड़ भूमि का रजिस्ट्रेशन हुआ है. वहीं इस बार किसानों ने 217 एकड़ मटर की बागवानी का भी रजिस्ट्रेशन कराया है. लेकिन जिले में खेती के दायरे को देखते हुए ये ऊंट की मूंह में जीरा जैसा ही लगता है. जिला बागवानी अधिकारी ने ये भी बताया कि किसानों को योजना का लाभ किस तरह मिल पाता है.

कैसे ले सकते हैं योजना का लाभ ?
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान को बिजाई अवधि के दौरान मार्केटिंग बोर्ड की वेबसाईट पर बागवानी भावान्तर (BBY) ई-पोर्टल से रजिस्ट्रेशन कराना होता है. इसके बाद बागवानी विभाग रजिस्ट्रेशन करा चुके किसानों के खेत के एरिया सत्यापन करता है. बागवानी विभाग अगर खेत के एरिया के सत्यापन में कोई गलती करता है तो किसान इसके खिलाफ अपील भी दायर कर सकता है. रजिस्ट्रेशन के लिए कोई फीस नहीं ली जाती है.किसान एक निर्धारित अवधि के दौरान ही रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इसके लिए सर्व सेवा केंद्र/ई-दिशा केंद्र/मार्किटिंग बोर्ड/ बागवानी विभाग/कृषि विभाग और इन्टरनेट कियोस्क पर रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध रहती है.वहीं फसल के खेत के एरिया का सत्यापन और सत्यापन को लेकर अपील और फसल की बिक्री सभी का समय तय होता है. इसी के तहत योजना का लाभ किसान को मिल पाता है.

कुरूक्षेत्र में भावांतर भरपाई योजना की पड़ताल, किसानों को नहीं मिल पा रहा योजना का ठीक ढंग से लाभ.
भावांतर भरपाई योजना की महत्वपूर्ण बातें
फसल का नाम रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख
आलू 15 दिसंबर 2019
गोभी 15 दिसंबर 2019
गाजर 15 दिसंबर 2019
मटर 15 दिसंबर 2019
किन्नू 15 दिसंबर 2019
प्याज 15 फरवरी 2020
टमाटर 15 फरवरी 2020
शिमला मिर्च 15 मार्च 2020
बैंगन 15 मार्च 2020
अमरूद
15 मई 2020

कैसे मिलता है योजना का लाभ ?

  • योजना का लाभ लेने के लिए प्रोत्साहन के लिए जे-फार्म पर बिक्री करनी होती है.
  • जे-फार्म पर बिक्री के बाद बिक्री विवरण भावांतर भरपाई योजना ई-पोर्टल पर अपलोड होता है, जिसके लिए प्रत्येक संबंधित मार्केट कमेटी के कार्यालय में सुविधा उपलब्ध रहती है.
  • बिक्री की अवधि के दौरान यदि फसल उत्पादन का थोक मूल्य संरक्षित मूल्य से कम मिलता है, तो किसान भाव के अंतर की भरपाई के लिए पात्र होगा.
  • जे-फार्म पर बिक्री और निर्धारित उत्पादन प्रति एकड़ (जो भी कम होगा) को भाव के अंतर से गुना करने पर प्रोत्साहन देय होगा.
  • प्रोत्साहन राशि किसान के आधार लिंकड बैंक खाते में बिक्री के 15 दिन के अन्दर जारी कर दी जाएगी.
  • औसत दैनिक थोक मूल्य मण्डी बोर्ड द्वारा चिन्हित मण्डियों के दैनिक भाव के आधार पर निर्धारित किया जाएगा.

ईटीवी भारत लोगों तक पहुंचा रहा योजना की जानकारी
देश और प्रदेश की सरकारें लोगों के लिए योजनाएं तो बनाती है. लेकिन वो लोगों तक नहीं पहुंच पाती. यहीं हाल भावांतर भरपाई योजना का भी हो रहा है. अधिकारियों की उदासीनता के चलते योजना दम तोड़ती नजर आ रही है, लेकिन अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को समझते हुए ईटीवी भारत ने किसानों तक इस योजना को पहुंचाने का का बीड़ा उठाया है.

ये भी पढ़ेंः- खर्चा कम मुनाफा ज्यादा, फूलों की खेती से खुशबू के साथ मोटी कमाई

Intro:2017 में बागवानी उत्पादकों के लिए मंडी में उनके उत्पादन के कम दाम मिलने पर सरकार द्वारा भरपाई करने हेतु भावांतर भरपाई योजना चलाई गई थी जिसका मुख्य उद्देश्य मंडी में सब्जी से कम कीमत के दौरान किसानों को निर्धारित संरक्षित मूल्य द्वारा जोखिम को कम करना था इस योजना के अंतर्गत प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के हित के लिए भावांतर भरपाई योजना में पहले टमाटर प्याज आलू फूलगोभी शामिल थी इस बार की न्यू अमरूद गाजर मटर शिमला मिर्च बैंगन की फसलों को शामिल किया गया है पर यह योजना किसानों के लिए कितनी कारगर साबित हुई है इस बारे जाने के लिए जब हमने किसानों से बात करना चाहे तो अधिकतर किसानों का कहना था कि उन्हें इस योजना के बारे में पता ही नहीं बागवानी करने वाले किसान इस योजना से अछूते क्यों है या तो सरकार द्वारा प्रचार की कमी या विभाग द्वारा
कुरुक्षेत्र जिले के जिला उड़ान अधिकारी जोगिंदर सिंह ने बताया कि कुरुक्षेत्र जिले के लगभग 90% किसान इसका लाभ ले रहे हैं उन्होंने बताया कि आलू की फसल का 17000 एकड़ रजिस्ट्रेशन हो चुका है और इसी वर्ष फूलगोभी का 137 एकड़ का रजिस्ट्रेशन हुआ है और वही गाजर भी 45 एकड़ भूमि का रजिस्ट्रेशन हुआ है वहीं इस बार किसानों ने 217 एकड़ मटर की बागवानी का भी पंजीकरण कराया है वहीं अगर किसानों की बात करें तो इस बारे छोटे किसान अभी तक भी ऐसी भावांतर भरपाई योजना से अनजान है उनका कहना है कि उनके तक यह योजना पहुंची नहीं पाई ना उन्हें इस बारे में किसी अधिकारी ने कोई सूचना या जानकारी दी है
किसानों की जानकारी के लिए
इस योजना में विभाग द्वारा आलू गोभी गाजर मटर का किन्नू के लिए 15 दिसंबर वह प्याज टमाटर के लिए 15 फरवरी 2020 शिमला मिर्च में बैंगन के लिए 15 मार्च 2020 में अमरूद के लिए 15 मई 2020 की पंजीकरण की अंतिम तिथि रखा गया है सरकार द्वारा आलू बैंगन टमाटर फसल के लिए ₹500 प्रति क्विंटल गोभी के लिए 750 व गाजर के लिए 700 रुपए मटर व किन्नू के लिए 11 सो रुपए और प्याज के लिए ₹650 शिमला मिर्च के लिए ₹900 अमरूद के लिए 13 सौ रुपये प्रति क्विंटल सुरक्षित मूल्य निर्धारित किया है

बाईट:-किसान
बाईट:-जोगिंदर सिंह जिला उद्यान अधिकारी


Body:1


Conclusion:1
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