कुरुक्षेत्र: 27 सितंबर से हरियाणा सरकार ने चार जिलों में धान की सरकारी खरीद शुरू कर दी. अंबाला, करनाल, कुरुक्षेत्र और कैथल में धान की खरीद को शुरू किया गया. सरकार के आदेश के बाद किसान भी धान की फसल लेकर मंडी में पहुंचे, लेकिन पूरा दिन इंतजार करने के बाद भी किसानों की धान की फसल नहीं बिकी.
मंडी में नहीं हुई सरकारी खरीद
ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने जब धान की खरीद प्रणाली का जायजा लिया तो चारों तरफ अव्यवस्था ही नजर आई. एक तरफ सरकार दावा कर रही है कि किसानों की फल का एक-एक दाना एमएसपी यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस पर खरीदा जाएगा तो दूसरी तरफ किसान पूरा दिन एक-एक दाना सिमेटने में लगे रहे.
दरअसल पूरा दिन किसान सरकारी खरीद का इंतजार करते रहे. लेकिन धान की खरीद नहीं हुई. किसानों ने धान की खरीद के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर भी धान की बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया. इसके बाद भी किसानों की फसल नहीं बिकी.
पूरा दिन इंतजार करते रहे किसान
दरअसल सरकार ने नियम बनाया है कि जिसकी फसल में 17 प्रतिशत तक नमी होगी सिर्फ उन्हीं किसानों की फसलों को खरीदा जाएगा. जबकि किसानों की फसल में 18 से लेकर 22 प्रतिशत तक नमी है. जिसकी वजह से उनकी फसल नहीं बिकी है. इतना ही नहीं जिन किसानों की फसल में 14 प्रतिशत नमी है उनकी भी फसल को खरीदा नहीं गया.
किसानों का कहना है कि वो पिछले 10 दिनों से मंडी में धान की फसल लेकर रूके हुए हैं. ना तो मंडी में बरसात को लेकर कोई व्यवस्था है और ना ही धान खरीद की. बस मंडी प्रशासन की तरफ से उन्हें मैनुअल पास बनाकर दे दिया.
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इसी कड़ी में जब ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने मंडियों में आढ़तियों से बात की तो उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से बारदाना भी यहां नहीं पहुंचाया गया है. उन्होंने कहा कि बारिश से धान की फसल को बचाने के लिए मंडी में सिर्फ 5 शेड हैं और यहां जरूरत 15 शेड की है. रात को किसानों की फसल खुले में पड़ी हैं. व्यवस्था के नाम पर यहां लाइटें तक नहीं है. जिसकी वजह से यहां धान चोरी की खबरें भी सामने आ चुकी हैं. आढ़तियों ने कहा कि अधिकारियों से शिकायत के बाद भी इस तरफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है.