कुरुक्षेत्रः पावन श्रावण माह शुरू हो गया है जो भगवान शिव का प्रिय माना (first monday of sawan) जाता है. आज सोमवार का पहला सोमवार है और इस मौके पर कुरुक्षेत्र के स्थानेश्वर शिव मंदिर में बड़ी संख्या (Sthaneshwar Shiva temple in Kurukshetra) में शिव भक्त सुबह से ही दर्शन, पूजन और जलाभिषेक करने पहुंच रहे है. स्थानेश्वर शिव मंदिर में भी भारी संख्या में शिवलिंग का जलाभिषेक (Worship of Lord Bholenath) करने के लिए श्रद्धालु पहुंचे और पूरे विधिविधान के साथ शिवलिंग पर फल, फूल अर्पित कर दूध, गंगाजल से अभिषेक किया. शिव भक्ताें ने भगवान शंकर को खुश करने के लिए शिवलिंग पर भोलेनाथ के प्रिय भांग, धतूरा आदि भी अर्पित किए. स्थानेश्वर मंदिर बहुत प्राचीन है और सावन में यहां दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शनों के लिए आते हैं.
सोमवार का दिन भगवान शिव का माना जाता है, इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा का विशेष महत्व है और सावन के सोमवार में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है. 18 जुलाई को इस बार के सावन का पहला सोमवार है, जिसे देखते हुए मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखी जा रही है. सावन के सोमवार के दिन शिव भक्त व्रत रखते हैं और भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं. कुरुक्षेत्र के स्थानेश्वर मंदिर पहुंचे श्रद्धालुओं का कहना है कि वो हर वर्ष सावन में स्थानेश्वर मंदिर में आकर पूजा अर्चना करते हैं. जिससे उनकी सभी मनोकामना पूरी (Sthaneshwar mahadev temple) होती है.
मंदिर के पुजारी नवल किशोर शास्त्री ने कहा कि सावन के पूरे महीने जो व्यक्ति शिव की पूजा अर्चना श्रद्धा के साथ करता है भगवान शंकर उसका कल्याण करते हैं. उन्होंने कहा की जो शिव भक्त शिव के सोलह सोमवार का व्रत रखना चाहते हैं वो व्रत सावन के पहले सोमवार से ही शुरू होते हैं. आज से ही शिव भक्त भगवान शिव की पूजा करके सोलह सोमवार के व्रत शुरू करें. सोलह सोमवार के व्रत रखने से भगवान भोलेनाथ सारी मनोकामना पूरी करते हैं.
स्थानेश्वर महादेव मंदिर का पौराणिक नाम स्थाणु है. स्थाणु शब्द का अर्थ होता है भगवान शिव का वास. पौराणिक कथाओं के अनुसार जब पांडवों और कौरवों के बीच महाभारत का युद्ध आरंभ होने वाला था तब पांडव और भगवान श्री कृष्ण ने इसी स्थान पर भगवान शिव की पूजा की थी. मंदिर के आंगन में ही स्थाणु सरोवर बना हुआ है. वामन पुराण में इसे स्थाणु तीर्थ कहा गया है. जिसके चारों ओर हजारों शिवलिंग हैं. कहा जाता है कि प्रजापति भगवान ब्रह्मा ने स्थाणु मंदिर में खुद इस शिवलिंग की स्थापना की थी.
इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि शिवलिंग के रूप में भगवान शिव की पहली बार पूजा इसी स्थान पर हुई थी. इसलिए इस मंदिर का महत्व बढ़ जाता है. कुरुक्षेत्र के तीर्थ धाम की यात्रा करने वाले श्रद्धालु इस मंदिर में आकर शिवलिंग के दर्शन जरूर करते हैं. स्थानेश्वर मंदिर में आए बिना कुरुक्षेत्र के 48 कोस धाम की परिक्रमा पूरी नहीं मानी जाती.