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जैविक खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहा कुरुक्षेत्र का किसान, 16 बार लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज - etv bharat haryana

पारंपरिक खेती को छोड़कर किचन गार्डनिंग में जैविक खेती अपना कर (organic farming in Kurukshetra) हरियाणा के प्रगतिशील किसान रणधीर सिंह अच्छा मुनाफा कमा रहे है. इतना ही नहीं रणधीर सिंह ने कई तरह की नस्ल की सब्जियों की पैदावर कर 16 बार लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है.

organic farming in Kurukshetra
जैविक खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहा कुरुक्षेत्र का किसान रणधीर सिंह, 16 बार लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है नाम
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Published : Jan 13, 2022, 8:06 PM IST

कुरुक्षेत्र: अमूमन किसान पारंपरिक खती कर अपना गुजारा कर रहा है. पारंपरिक खेती में किसानों को ज्यादा मुनाफा नहीं हो पाता है. जिसके चलते किसानों का मोह खेती से हटकर अन्य रोजगार के साधनों में बढ़ता जा रहा है. लेकिन हरियाणा के किसान रणधीर सिंह अपने प्रयासों से किसानों में एक नई अलख जगा दी है. हरियाणा के कुरुक्षेत्र के सब्जी उत्पादक किसान रणधीर सिंह ने घर के सामने बने छोटे से बगीचे में पारंपरिक खेती को छोड़कर न केवल जैविक खेती (organic farming in Kurukshetra) की ओर कदम बढ़ाया बल्कि सब्जियों की ऐसी नस्ल उगाई है, जिसकी बदौलत उन्हें 16 बार लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है.

इतना ही नहीं ऑर्गेनिक तरीके से सब्जी की खेती करने में सफल किसान के तौर पर रणधीर सिंह को वर्ष 2000 में भारत का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार बाबू जगजीवन राम अवार्ड से से भी सम्मानित किया जा चुका है. यह अवार्ड कृषि क्षेत्र में देश के सर्वश्रेष्ठ किसान को दिया जाता है. गौरतलब है कि रणधीर सिंह का शौक खेती में नए-नए प्रयोग करने का है. इसी के चलते उन्होंने अपने घर के एक बगीचे में सब्जियों की ऐसी ब्रीड उगाई है जिसको देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते है.

organic farming in Kurukshetra
किचन गार्डिनिंग में तैयार सब्जी

ये भी पढ़ें- मशरूम की खेती से हरियाणा के किसान ने खड़ी की लाखों की कंपनी, बाकी किसानों की भी कर रहा मदद

प्रगतिशील किसान रणधीर सिंह (Farmer Randhir Singh Kurukshetra) ने बताया कि पहले उनको अपनी फसलों में पैदावार तो मिलती थी, लेकिन कई बार सब्जी खराब हो जाने से नुकसान उठाना पड़ता था, तो कई बार फसलों की उचित कीमत बाजार में नहीं मिलती थी. तब रणधीर ने अपने खेत में धीरे-धीरे जैविक खेती को अपनाना शुरू किया और नई-नई तकनीकों के बारे में भी पढ़ना शुरू किया. इतना ही नहीं, किसान मेलों में कई तकनीकों के बारे में जानकारी जुटाकर उन्हें भी खेती में अपनाना शुरू किया.

जैविक खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहा कुरुक्षेत्र का किसान रणधीर सिंह, 16 बार लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है नाम

आज किसान रणधीर सिंह अपने घर के बाहर छोटी सी जगह पर किचन गार्डनिंग के माध्यम से सब्जी की (kitchen gardening in Kurukshetra) खेती कर रहे हैं. वे सबसे ज्यादा टमाटर, बैंगन और ब्रोकली समेत बाजार में मांग के अनुसार सब्जियों की खेती करते हैं. रणधीर सिंह इन सब्जियों में जैविक खाद का प्रयोग करते हैं. कोई भी रासायनिक फर्टीलाइजर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. खाद के रूप में वह गोबर से तैयार खाद, मुर्गियों के मल से तैयार खाद और शुगर मिल से निकली वेस्ट का प्रयोग करते है. इतना ही नहीं, प्लास्टिक मल्चिंग, लो टनल और स्टैकिंग के जरिए भी खेती करते है.

organic farming in Kurukshetra
किचन गार्डिनिंग में तैयार सब्जी

ये भी पढ़ें- पारंपरिक खेती छोड़ किसानों ने चुनी फूलों की खेती, अब हर महीने कमा रहे हैं लाखों रुपये

रणधीर सिंह ने बताया कि वो अपने बगीचे में 5 फुट 5 इंच और 5 फुट 8 इंच की लौकी उगा चुके हैं. इसके अलावा 3 फुट की अरबी और 700 ग्राम का लहसुन उगाने का रिकॉर्ड भी उनके नाम है. यही नहीं रणधीर सिंह ने अपने बगीचे में हल्दी, लहसुन, अरबी, गन्ना, मटर, चने की क्रॉस ब्रीड ब्रोकली और गोभी उगाते है. रणधीर ने बताया कि वो शौकिया तौर पर खेती करते है. वह बताते है कि हर किसान हमारे तरह की सब्जियां उगा सकते हैं. बस सब्जियां उगाते समय किसान को सिंचाई कब और कितनी में देनी है इस बात का ध्यान देना चाहिए. क्योकि सब्जी की खेती में पानी की मात्रा सही होना अहम होता है. सब्जी का पौधा स्वयं पानी की जरूरत को दर्शाता देता है और किसान को इस चीज का ज्ञान होना बहुत जरूरी है.

organic farming in Kurukshetra
किचन गार्डिनिंग में तैयार सब्जी

रणधीर सिंह ने बताया कि पहले मंडी में अच्छा दाम नहीं मिलता था और जैविक खेती के प्रति भी लोगों का रुझान नहीं था. इसलिए अपनी जैविक उपज को बेचने के लिए वो खुद जाता है. जहां जैविक उपज की अच्छी मांग है, वहां ये फसल हाथों हाथ बिक जाती है. रणधीर सिंह की मानें तो आज जैविक खेती से उन्हें अच्छा मुनाफा मिल रहा है. बड़ी बात यह है कि सब्जियों की क्वालिटी भी बहुत अच्छी होती है और कई दिनों तक रखे रहने के बाद भी सब्जियां खराब नहीं होती है. सब्जियों की क्वालिटी अच्छी होने की वजह से ही उनकी कीमत भी ज्यादा मिलती है.

organic farming in Kurukshetra
किचन गार्डिनिंग में तैयार सब्जी

ये भी पढ़ें- उत्तराखंड में महकी केसर की खुशबू, पीरूमदारा के किसान की मेहनत रंग लाई

रणधीर के सपनों को भी पंख लग गए हैं. उनका मुनाफा दिन-प्रतिदिन बढता जा रहा है. जिससे वो युवाओं से नौकरी के पीछे भागने से अच्छा खेती को बिजनेस बनाने और अच्छा मुनाफा कमाने की अपील करते है. अपने इस जज्बे और मेहनत के बलबूते आज रणधीर सिंह अपने इलाके के किसानों के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं. लोग उनकी खेती की तकनीक मुनाफे को देखकर अपनी खेती का स्वरूप बदल रहे हैं. वहीं अन्य किसान भी पारंपरिक खेती से हटकर जैविक खेती को अपनाकर मुनाफा कमा सकता है. साथ ही रोजगार के नए अवसर भी सृजित कर सकता है.

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कुरुक्षेत्र: अमूमन किसान पारंपरिक खती कर अपना गुजारा कर रहा है. पारंपरिक खेती में किसानों को ज्यादा मुनाफा नहीं हो पाता है. जिसके चलते किसानों का मोह खेती से हटकर अन्य रोजगार के साधनों में बढ़ता जा रहा है. लेकिन हरियाणा के किसान रणधीर सिंह अपने प्रयासों से किसानों में एक नई अलख जगा दी है. हरियाणा के कुरुक्षेत्र के सब्जी उत्पादक किसान रणधीर सिंह ने घर के सामने बने छोटे से बगीचे में पारंपरिक खेती को छोड़कर न केवल जैविक खेती (organic farming in Kurukshetra) की ओर कदम बढ़ाया बल्कि सब्जियों की ऐसी नस्ल उगाई है, जिसकी बदौलत उन्हें 16 बार लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया है.

इतना ही नहीं ऑर्गेनिक तरीके से सब्जी की खेती करने में सफल किसान के तौर पर रणधीर सिंह को वर्ष 2000 में भारत का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार बाबू जगजीवन राम अवार्ड से से भी सम्मानित किया जा चुका है. यह अवार्ड कृषि क्षेत्र में देश के सर्वश्रेष्ठ किसान को दिया जाता है. गौरतलब है कि रणधीर सिंह का शौक खेती में नए-नए प्रयोग करने का है. इसी के चलते उन्होंने अपने घर के एक बगीचे में सब्जियों की ऐसी ब्रीड उगाई है जिसको देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते है.

organic farming in Kurukshetra
किचन गार्डिनिंग में तैयार सब्जी

ये भी पढ़ें- मशरूम की खेती से हरियाणा के किसान ने खड़ी की लाखों की कंपनी, बाकी किसानों की भी कर रहा मदद

प्रगतिशील किसान रणधीर सिंह (Farmer Randhir Singh Kurukshetra) ने बताया कि पहले उनको अपनी फसलों में पैदावार तो मिलती थी, लेकिन कई बार सब्जी खराब हो जाने से नुकसान उठाना पड़ता था, तो कई बार फसलों की उचित कीमत बाजार में नहीं मिलती थी. तब रणधीर ने अपने खेत में धीरे-धीरे जैविक खेती को अपनाना शुरू किया और नई-नई तकनीकों के बारे में भी पढ़ना शुरू किया. इतना ही नहीं, किसान मेलों में कई तकनीकों के बारे में जानकारी जुटाकर उन्हें भी खेती में अपनाना शुरू किया.

जैविक खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहा कुरुक्षेत्र का किसान रणधीर सिंह, 16 बार लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है नाम

आज किसान रणधीर सिंह अपने घर के बाहर छोटी सी जगह पर किचन गार्डनिंग के माध्यम से सब्जी की (kitchen gardening in Kurukshetra) खेती कर रहे हैं. वे सबसे ज्यादा टमाटर, बैंगन और ब्रोकली समेत बाजार में मांग के अनुसार सब्जियों की खेती करते हैं. रणधीर सिंह इन सब्जियों में जैविक खाद का प्रयोग करते हैं. कोई भी रासायनिक फर्टीलाइजर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. खाद के रूप में वह गोबर से तैयार खाद, मुर्गियों के मल से तैयार खाद और शुगर मिल से निकली वेस्ट का प्रयोग करते है. इतना ही नहीं, प्लास्टिक मल्चिंग, लो टनल और स्टैकिंग के जरिए भी खेती करते है.

organic farming in Kurukshetra
किचन गार्डिनिंग में तैयार सब्जी

ये भी पढ़ें- पारंपरिक खेती छोड़ किसानों ने चुनी फूलों की खेती, अब हर महीने कमा रहे हैं लाखों रुपये

रणधीर सिंह ने बताया कि वो अपने बगीचे में 5 फुट 5 इंच और 5 फुट 8 इंच की लौकी उगा चुके हैं. इसके अलावा 3 फुट की अरबी और 700 ग्राम का लहसुन उगाने का रिकॉर्ड भी उनके नाम है. यही नहीं रणधीर सिंह ने अपने बगीचे में हल्दी, लहसुन, अरबी, गन्ना, मटर, चने की क्रॉस ब्रीड ब्रोकली और गोभी उगाते है. रणधीर ने बताया कि वो शौकिया तौर पर खेती करते है. वह बताते है कि हर किसान हमारे तरह की सब्जियां उगा सकते हैं. बस सब्जियां उगाते समय किसान को सिंचाई कब और कितनी में देनी है इस बात का ध्यान देना चाहिए. क्योकि सब्जी की खेती में पानी की मात्रा सही होना अहम होता है. सब्जी का पौधा स्वयं पानी की जरूरत को दर्शाता देता है और किसान को इस चीज का ज्ञान होना बहुत जरूरी है.

organic farming in Kurukshetra
किचन गार्डिनिंग में तैयार सब्जी

रणधीर सिंह ने बताया कि पहले मंडी में अच्छा दाम नहीं मिलता था और जैविक खेती के प्रति भी लोगों का रुझान नहीं था. इसलिए अपनी जैविक उपज को बेचने के लिए वो खुद जाता है. जहां जैविक उपज की अच्छी मांग है, वहां ये फसल हाथों हाथ बिक जाती है. रणधीर सिंह की मानें तो आज जैविक खेती से उन्हें अच्छा मुनाफा मिल रहा है. बड़ी बात यह है कि सब्जियों की क्वालिटी भी बहुत अच्छी होती है और कई दिनों तक रखे रहने के बाद भी सब्जियां खराब नहीं होती है. सब्जियों की क्वालिटी अच्छी होने की वजह से ही उनकी कीमत भी ज्यादा मिलती है.

organic farming in Kurukshetra
किचन गार्डिनिंग में तैयार सब्जी

ये भी पढ़ें- उत्तराखंड में महकी केसर की खुशबू, पीरूमदारा के किसान की मेहनत रंग लाई

रणधीर के सपनों को भी पंख लग गए हैं. उनका मुनाफा दिन-प्रतिदिन बढता जा रहा है. जिससे वो युवाओं से नौकरी के पीछे भागने से अच्छा खेती को बिजनेस बनाने और अच्छा मुनाफा कमाने की अपील करते है. अपने इस जज्बे और मेहनत के बलबूते आज रणधीर सिंह अपने इलाके के किसानों के लिए रोल मॉडल बन चुके हैं. लोग उनकी खेती की तकनीक मुनाफे को देखकर अपनी खेती का स्वरूप बदल रहे हैं. वहीं अन्य किसान भी पारंपरिक खेती से हटकर जैविक खेती को अपनाकर मुनाफा कमा सकता है. साथ ही रोजगार के नए अवसर भी सृजित कर सकता है.

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