कुरुक्षेत्र: लॉकडाउन की वजह से निजी शिक्षण संस्थान बंद होने की कगार पर है. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो. इसके लिए ऑनलाइन क्लास का प्रबंध किया गया, लेकिन मंथली फीस नहीं मिलने की वजह से निजी स्कूल संचालकों पर आर्थिक संकट गहराता जा रहा है.
अभिभावकों के मुताबिक लॉकडाउन की वजह से वो आर्थिक स्थिति से जूझ रहे हैं. जिसकी वजह से वो फीस नहीं दे सकते. अभिभावकों का ये भी कहना है कि जब उनके बच्चे स्कूल गए ही नहीं तो वो फीस क्यों दें. दूसरी तरफ निजी स्कूल संचालक अपने खर्चों से परेशान हैं. स्कूल संचालकों के मुताबिक उन्हें सरकार की तरफ से कोई भी सहायता नहीं मिली.
निजी स्कूल संचालकों के मुताबिक सरकार ने राहत देने की जगह निजी स्कूलों की कमर तोड़ने का काम किया है. दरअसल हरियाणा सरकार ने आदेश जारी कर कहा कि अब बच्चे निजी स्कूलों से बिना स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट लिए दूसरे स्कूल में दाखिला ले सकते हैं. निजी स्कूल संचालक सरकार के इस फैसले से नाखुश नजर आए. वहीं जिला शिक्षा अधिकारी अरुण आश्रय ने अभिभावकों से अपील करते हुए कहा कि निजी स्कूल को छोड़ने से पहले वो बकाया फीस जरूर दे. उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब तक एक लाख से ज्यादा बच्चे निजी स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला दे चुके हैं.
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जिला शिक्षा अधिकारी अरुण आश्रय ने बताया कि सरकारी स्कूलों में लगातार प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर बच्चे एडमिशन ले रहे हैं. जिस कारण लगातार स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. जिले में दसवीं कक्षा के हरियाणा शिक्षा बोर्ड भिवानी द्वारा रिकॉग्नाइज 50 स्कूल हैं और 6 सीबीएसई और एक आईसीएससी से मान्यता प्राप्त स्कूल है. सीनियर सेकेंडरी स्कूलों की अगर बात करें तो हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी से 50 मान्यता प्राप्त स्कूल हैं. 43 सीबीएसई से मान्यता प्राप्त हैं. जिले में लगभग डेढ़ सौ स्कूल मान्यता प्राप्त हैं.