कुरुक्षेत्र: मथुरा और वृंदावन के लिए भगवान श्री कृष्ण का प्रेम किसी से छुपा नहीं है, लेकिन धर्मनगरी कुरुक्षेत्र से भी श्री कृष्ण का गहरा नाता रहा है. कुरुक्षेत्र में भी श्री कृष्ण ने अनेकों लीलाएं रची थीं. जिनके प्रमाण आज भी यहां देखे जा सकते हैं.
ऐसा ही एक मान्यता हरियाणा की धर्मनगरी कुरुक्षेत्र से भी जुड़ी है. माना जाता है कि कुरुक्षेत्र के प्राचीन राधा कृष्ण मिलन मंदिर में लगा तमाल का पेड़ खुद राधा और कृष्ण के प्रेम का गवाह है. जी हां, वही तमाल का पेड़ जो राधा कृष्ण के अटूट प्रेम का प्रतीक है. जिस पेड़ को श्री कृष्ण मानकर राधा आलिंगन किया करती थीं. जो पेड़ आपको वृंदावन के निधि वन में देखने को मिलता है. खास बात ये है कि तमाल का ये पेड़ अगर वृंदावन के बाद कहीं उग पाया है तो वो सिर्फ और सिर्फ कुरुक्षेत्र ही है.
राधाकृष्ण प्रेम का प्रतीक तमाल वृक्ष
इस पेड़ की बनावट कुछ इस प्रकार की है कि इस वृक्ष की टहनी एक दूसरे के ऊपर जाकर मिली हुई हैं. ठीक उसी प्रकार जैसे राधा और कृष्ण का आगाध प्रेम था. मान्यता के मुताबिक तमाल पेड़ का रंग सांवला है, जिस वजह से राधा को पेड़ में श्री कृष्ण की झलक दिखाई देती थी. जब भी राधा श्री कृष्ण के विरह में दुखी होती थीं, वो निधि वन में लगे तमाल के पेड़ को आलिंगन करती थीं.
धर्मनगरी में श्री कृष्ण ने दिए थे गोकुलवासियों को दर्शन
धर्मनगरी से श्री कृष्ण का एक और रिश्ता रहा है. श्रीमद्भागवद् पुराण के मुताबिक द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण जब अपने बड़े भाई बलराम के साथ गोकुल छोड़कर कंस के वध के लिए मथुरा जा रहे थे, तब राधा, यशोदा और नन्द बाबा श्रीकृष्ण के विरह में बहुत ही दुखी हुए थे. तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें वचन दिया था कि उनका गोकुलवासियों से एक बार मिलन अवश्य होगा. श्रीकृष्ण ने इसी वचन को निभाते हुए सोमवती अमावस्या के दिन जब पूर्ण सूर्य ग्रहण लगा था. तब कुरुक्षेत्र स्थित ब्रह्मसरोवर के उत्तरी तट पर माता देवकी, पिता वासुदेव और राधा सहित सभी गोपियों को दर्शन दिए थे.
ये भी पढ़िए: क्या होती है इम्यूनिटी और हमें कैसे बचाती है कोरोना से? सुनिए डॉक्टर की राय
भले ही कोरोना वायरस की वजह से हर्षोल्लास से मनाए जाने वाला जन्माष्टमी का त्योहार इस साल फीका पड़ गया हो, लेकिन राधा कृष्ण मिलन मंदिर में लगे इस तमाल के वृक्ष की चमक आज भी उतनी ही गहरी है. जितना गहरा राधा कृष्ण का प्रेम है.