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Holi Festival 2023: ज्योतिषविदों में बनी असमंजस की स्थिति , क्या इस दिन मनाया जाएगा होली का पर्व - Holi Festival

पूरे देश में होली का पर्व उत्साह के साथ मनाया जाता है. यही नहीं प्रत्येक राज्य में अलग-अलग रीति रिवाज के साथ इस त्यौहार को मनाकर लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं. लेकिन पंडित विश्वनाथ बताते हैं कि अब की बार लोगों में एक असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि अबकी बार होली का त्यौहार 6 मार्च को होगा या 7 मार्च को होगा. तो चलिए जानते हैं क्या कहते हैं पंडितजी.

Holi fasting and worship method
Holi fasting and worship method
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Published : Feb 26, 2023, 7:21 AM IST

करनाल: हिंदू धर्म में होली के त्यौहार का काफी महत्व माना जाता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में आती है. अबकी बार हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर होली का त्यौहार आ रहा है. फाल्गुन महीना हिंदू कैलेंडर के मुताबिक आखिरी महीना होता है और होलिका दहन के बाद इस साल की समाप्ति हो जाती है. वहीं पूरे भारतवर्ष में होली के त्यौहार का काफी महत्व बताया गया है.

पंडित विश्वनाथ बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को 6 मार्च को साय काल 4:17 बजे से होली का शुभ मुहूर्त शुरू होगा, जिसका समापन 7 मार्च को साईं काल 6:09 पर होगा. कुछ ज्योतिष आचार्यों के अनुसार होलिका का दहन 6 मार्च को 4:17 के बाद किया जा सकता है. अगर कोई होलिका दहन 7 मार्च को करना चाहता है तो वह साय के 6:09 से पहले कर सकता है. वहीं होलिका दहन से अगले दिन यानि 8 मार्च को धुलंडी का त्यौहार मनाया जाएगा. जिसको हिंदू धर्म के लोग रंगों के साथ इसको खेलते हैं और यह हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है.

होली का व्रत व पूजा का विधि: हिंदू शास्त्रों के अनुसार होली के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं. व्रत रखने के लिए होली के सूर्य उदय होने के साथ ही वह स्नान इत्यादि करके पूजा पाठ करती हैं और अपने आपको पूरा दिन बिना खाए रहकर व्रत रखती हैं और शाम के समय होली की पूजा करके वह अपना व्रत खोलती है. होली के दिन होली की पूजा करने के लिए होलिका के पास जाकर पूर्व या उत्तर की दिशा में मुंह करके बैठ कर पूजा सामग्री लेकर जैसे जल, माला, चावल पुष्प, कच्चा सूत , बताशे गुलाल और नारियल के साथ होलिका पूजा करते हैं. कच्चा सूत को होलिका के चारों तरफ सात परिक्रमा करते हुए लपेटना चाहिए. फिर लौटे का शुद्ध जल व अन्य पूजन की सभी सामग्री होलिका को समर्पित करनी चाहिए. होली की बस में कुछ मनुष्य अपने घर पर भी लेकर आते हैं जिसको काफी शुभ माना जाता है.

यह भी पढ़ें-26 फरवरी का पंचांग: हिंदू पंचांग से जानिए आज का शुभ और अशुभ मुहूर्त

क्यों मनाया जाता है होली का त्यौहार: हिंदू शास्त्रों के अनुसार बताया जाता है कि होली का त्यौहार इसलिए मनाया जाता है क्योंकि होलिका और प्रहलाद की कथा से यह त्यौहार जुड़ा हुआ है. प्रह्लाद विष्णु भगवान का परम भक्त होता है, लेकिन प्रह्लाद के पिता अपने आपको ही सबसे बड़ा भगवान मानते हैं. प्रह्लाद की विष्णु भगवान के प्रति भक्ति को रोकने के लिए उनके पिता काफी प्रयत्न करते हैं लेकिन प्रह्लाद फिर भी भगवान विष्णु की भक्ति करते रहते हैं. उसके बाद प्रह्लाद के पिता अपनी बहन होलिका को कहते हैं कि वह अग्नि में बैठ जाए और साथ में गोद में प्रह्लाद को ले लें.

होलिका ऐसा ही करती है. प्रह्लाद को लेकर वह अग्नि में बैठ जाती है लेकिन इस अग्नि में प्रह्लाद बच जाता है और होलिका जल जाती है. उसके बाद से ही होलिका का त्यौहार मनाया जा रहा है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार होली के 8 दिन पहले ही प्रह्लाद को उसके पिता के द्वारा यातनाएं देना शुरू कर दी गई थी, जिसको हिंदू धर्म में होलाष्टक के रूप में मनाया जाता है. होलाष्टक के दौरान किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं की जाती क्योंकि यह 8 दिन अशुभ माने जाते हैं.

करनाल: हिंदू धर्म में होली के त्यौहार का काफी महत्व माना जाता है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में आती है. अबकी बार हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर होली का त्यौहार आ रहा है. फाल्गुन महीना हिंदू कैलेंडर के मुताबिक आखिरी महीना होता है और होलिका दहन के बाद इस साल की समाप्ति हो जाती है. वहीं पूरे भारतवर्ष में होली के त्यौहार का काफी महत्व बताया गया है.

पंडित विश्वनाथ बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को 6 मार्च को साय काल 4:17 बजे से होली का शुभ मुहूर्त शुरू होगा, जिसका समापन 7 मार्च को साईं काल 6:09 पर होगा. कुछ ज्योतिष आचार्यों के अनुसार होलिका का दहन 6 मार्च को 4:17 के बाद किया जा सकता है. अगर कोई होलिका दहन 7 मार्च को करना चाहता है तो वह साय के 6:09 से पहले कर सकता है. वहीं होलिका दहन से अगले दिन यानि 8 मार्च को धुलंडी का त्यौहार मनाया जाएगा. जिसको हिंदू धर्म के लोग रंगों के साथ इसको खेलते हैं और यह हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है.

होली का व्रत व पूजा का विधि: हिंदू शास्त्रों के अनुसार होली के दिन महिलाएं व्रत रखती हैं. व्रत रखने के लिए होली के सूर्य उदय होने के साथ ही वह स्नान इत्यादि करके पूजा पाठ करती हैं और अपने आपको पूरा दिन बिना खाए रहकर व्रत रखती हैं और शाम के समय होली की पूजा करके वह अपना व्रत खोलती है. होली के दिन होली की पूजा करने के लिए होलिका के पास जाकर पूर्व या उत्तर की दिशा में मुंह करके बैठ कर पूजा सामग्री लेकर जैसे जल, माला, चावल पुष्प, कच्चा सूत , बताशे गुलाल और नारियल के साथ होलिका पूजा करते हैं. कच्चा सूत को होलिका के चारों तरफ सात परिक्रमा करते हुए लपेटना चाहिए. फिर लौटे का शुद्ध जल व अन्य पूजन की सभी सामग्री होलिका को समर्पित करनी चाहिए. होली की बस में कुछ मनुष्य अपने घर पर भी लेकर आते हैं जिसको काफी शुभ माना जाता है.

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क्यों मनाया जाता है होली का त्यौहार: हिंदू शास्त्रों के अनुसार बताया जाता है कि होली का त्यौहार इसलिए मनाया जाता है क्योंकि होलिका और प्रहलाद की कथा से यह त्यौहार जुड़ा हुआ है. प्रह्लाद विष्णु भगवान का परम भक्त होता है, लेकिन प्रह्लाद के पिता अपने आपको ही सबसे बड़ा भगवान मानते हैं. प्रह्लाद की विष्णु भगवान के प्रति भक्ति को रोकने के लिए उनके पिता काफी प्रयत्न करते हैं लेकिन प्रह्लाद फिर भी भगवान विष्णु की भक्ति करते रहते हैं. उसके बाद प्रह्लाद के पिता अपनी बहन होलिका को कहते हैं कि वह अग्नि में बैठ जाए और साथ में गोद में प्रह्लाद को ले लें.

होलिका ऐसा ही करती है. प्रह्लाद को लेकर वह अग्नि में बैठ जाती है लेकिन इस अग्नि में प्रह्लाद बच जाता है और होलिका जल जाती है. उसके बाद से ही होलिका का त्यौहार मनाया जा रहा है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार होली के 8 दिन पहले ही प्रह्लाद को उसके पिता के द्वारा यातनाएं देना शुरू कर दी गई थी, जिसको हिंदू धर्म में होलाष्टक के रूप में मनाया जाता है. होलाष्टक के दौरान किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं की जाती क्योंकि यह 8 दिन अशुभ माने जाते हैं.

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