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Vaishakh Purnima 2023: सत्यनारायण कथा करने से बरसेगी भगवान विष्णु की कृपा, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

इस बार वैशाख पूर्णिमा (buddha purnima 2023) का महत्व इसलिए ज्यादा है, क्योंकि इस दिन 2023 का पहला चंद्र ग्रहण भी लगेगा. हालांकि भारत में इसका प्रभाव नहीं दिखाई देगा. आइए जानते हैं वैशाख पूर्णिमा के व्रत और इस दिन की जाने वाली पूजा की विधि विधान के बारे में...

buddha purnima 2023
Vaishakh Purnima 2023: इस दिन करें सत्यनारायण कथा का पाठ
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Published : May 4, 2023, 12:49 PM IST

करनाल: हिंदू पंचांग के अनुसार 5 मई को वैशाख पूर्णिमा है. मान्यताओं के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और चंद्र देवता की पूजा की जाती है. पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. वैशाख पूर्णिमा की भी सनातन धर्म में काफी मान्यता है. शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान विष्णु वैशाख पूर्णिमा के दिन महात्मा बुध के रूप में अपने 9वें में अवतार के रूप में प्रकट हुए थे. इसलिए इसको बुध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

वैशाख पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा का आरंभ 4 मई को रात्रि 11:44 से शुरू होगा, जबकि इसका समापन 5 मई को रात के 11ः30 पर होगा. हिंदू शास्त्र के अनुसार किसी भी त्योहार को सूर्योदय तिथि के अनुसार ही मनाया जाता है, ऐसे में वैशाख पूर्णिमा को 5 मई के दिन मनाया जाएगा. वैशाख पूर्णिमा के दिन स्नान करने का शुभ मुहूर्त का समय 5 मई को सुबह 4:12 मिनट से शुरू होगा, जबकि इसका समापन सुबह 4:55 मिनट पर होगा.

वैशाख पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी, तालाब या पवित्र कुंड में स्नान करने का बहुत ज्यादा महत्व होता है. वहीं भगवान सत्यनारायण की पूजा अर्चना करने का शुभ मुहूर्त का समय 5 मई को सुबह 7 बजकर 18 मिनट से सुबह 8 बजकर 58 मिनट तक रहेगा. दोपहर के समय 12 बजकर 18 से दोपहर 1 बजकर 58 मिनट तक रहेगा. भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए यह दोनों मुहूर्त काफी शुभ है.

पढ़ें : Hanuman Jayanti 2023: यहां है एशिया की सबसे ऊंचे हनुमान जी की मूर्ति, दर्शन करके मिलती है अद्भुत शक्ति!

वैशाख पूर्णिमा का महत्व: हिंदू शास्त्रों में वैशाख पूर्णिमा का बहुत ज्यादा महत्व है. इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि इस दिन विष्णु ने अपने 9वें अवतार भगवान बुद्ध के रूप में जन्म लिया था. इसलिए इस पूर्णिमा को हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म के लोग भी पूरी श्रद्धा से मनाते हैं. हिंदू शास्त्र के अनुसार इस दिन हिंदू धर्म के लोग लक्ष्मी माता व भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं और ऐसा करने से भगवान विष्णु अपने भक्तों पर अपनी कृपा बना कर रखते हैं.

हिंदू शास्त्रों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के सत्य विनायक व्रत भी रखा जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान कृष्ण ने खुद सत्यविनायक व्रत को रखने के लिए सुदामा से कहा था, जिसको करने से सुदामा की गरीबी दूर हो गई थी. वहीं शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन मृत्यु के देवता धर्मराज की पूजा भी की जाती है, जो भी मनुष्य इस दिन धर्मराज की पूजा करता है. उससे मनुष्य को अकाल मौत का डर कम हो जाता है.

वैशाख पूर्णिमा के दिन लगेगा चंद्र ग्रहण: वैशाख पूर्णिमा के दिन हिंदू पंचांग के अनुसार 2023 का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. हालांकि यह चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. इसलिए इसके सूतक का भी भारत में प्रभाव नहीं पड़ेगा. इस दिन किसी पवित्र नदी या पवित्र तालाब में स्नान करने का बहुत ज्यादा महत्व होता है.

पढ़ें : Shubh Vivah: शादी में सात नहीं चार फेरे ही हैं काफी, जानिए क्यों

वहीं इस दिन चंद्र ग्रहण लगने के कारण स्नान करने के उपरांत अगर मनुष्य दान करता है तो उसको पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. ऐसा करने से उसके परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है. वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा भी करनी चाहिए और उसके उपरांत परिवार में सुख समृद्धि व अच्छे स्वास्थ्य के लिए चंद्रमा की पूजा करते हुए जल भी अर्पित करना चाहिए.

वैशाख पूर्णिमा के दिन करें सत्यनारायण कथा: वैशाख पूर्णिमा के दिन विष्णु भगवान और लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है और साथ में सत्यनारायण कथा का पाठ भी किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन सत्यनारायण की कथा करने से विष्णु भगवान की कृपा बनी रहती है और उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है. इस दिन सत्य विनायक व्रत भी रखा जाता है. माना जाता है कि जो भी इस व्रत को रखता है उसकी गरीबी दूर हो जाती है और परिवार में सुख समृद्धि आती है.

वैशाख पूर्णिमा के दिन पूजा व व्रत का विधि विधान: वैशाख पूर्णिमा के दिन सुबह उठ कर पवित्र नदी या तालाब में स्नान करने उपरांत साफ कपड़े पहनकर भगवान विष्णु व लक्ष्मी माता की पूजा करें और उनकी आरती करें. इसके बाद पूर्णिमा का व्रत रखने का संकल्प लें. भगवान विष्णु की पूजा करते समय उनके मंदिर में देशी घी का दीपक जलाएं, भगवान विष्णु को हल्दी का तिलक भी लगाए. अपनी इच्छा अनुसार भगवान विष्णु व लक्ष्मी माता को पीले रंग की मिठाई व फल भी अर्पित करें.

पढ़ें: ऑस्ट्रेलिया में गीता महोत्सव: वर्चुअली जुड़े हरियाणा के सीएम, विज ने किया गीता प्रेरणा पुस्तक का विमोचन

इसके बाद भगवान विष्णु या सत्यनारायण कथा का पाठ करें. व्रत रखने वाले इस दिन पूरा दिन बिना अन्न के रहते हैं. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने उपरांत आरती करके उनको मिठाई का भोग लगाएं और रात के समय चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा करने के बाद अपना व्रत खोलें. लेकिन इस बात का जरूर ध्यान रखें इस बार चंद्र ग्रहण होने के कारण वैशाख पूर्णिमा पर चंद्रमा के दर्शन बिल्कुल ना करें. व्रत खोलने से पहले ब्राह्मण, गरीबों व जरूरतमंदों को भोजन कराएं और अपनी इच्छा अनुसार उनको दान भी करें.

करनाल: हिंदू पंचांग के अनुसार 5 मई को वैशाख पूर्णिमा है. मान्यताओं के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और चंद्र देवता की पूजा की जाती है. पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है. वैशाख पूर्णिमा की भी सनातन धर्म में काफी मान्यता है. शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान विष्णु वैशाख पूर्णिमा के दिन महात्मा बुध के रूप में अपने 9वें में अवतार के रूप में प्रकट हुए थे. इसलिए इसको बुध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

वैशाख पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा का आरंभ 4 मई को रात्रि 11:44 से शुरू होगा, जबकि इसका समापन 5 मई को रात के 11ः30 पर होगा. हिंदू शास्त्र के अनुसार किसी भी त्योहार को सूर्योदय तिथि के अनुसार ही मनाया जाता है, ऐसे में वैशाख पूर्णिमा को 5 मई के दिन मनाया जाएगा. वैशाख पूर्णिमा के दिन स्नान करने का शुभ मुहूर्त का समय 5 मई को सुबह 4:12 मिनट से शुरू होगा, जबकि इसका समापन सुबह 4:55 मिनट पर होगा.

वैशाख पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी, तालाब या पवित्र कुंड में स्नान करने का बहुत ज्यादा महत्व होता है. वहीं भगवान सत्यनारायण की पूजा अर्चना करने का शुभ मुहूर्त का समय 5 मई को सुबह 7 बजकर 18 मिनट से सुबह 8 बजकर 58 मिनट तक रहेगा. दोपहर के समय 12 बजकर 18 से दोपहर 1 बजकर 58 मिनट तक रहेगा. भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए यह दोनों मुहूर्त काफी शुभ है.

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वैशाख पूर्णिमा का महत्व: हिंदू शास्त्रों में वैशाख पूर्णिमा का बहुत ज्यादा महत्व है. इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. क्योंकि इस दिन विष्णु ने अपने 9वें अवतार भगवान बुद्ध के रूप में जन्म लिया था. इसलिए इस पूर्णिमा को हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म के लोग भी पूरी श्रद्धा से मनाते हैं. हिंदू शास्त्र के अनुसार इस दिन हिंदू धर्म के लोग लक्ष्मी माता व भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं और ऐसा करने से भगवान विष्णु अपने भक्तों पर अपनी कृपा बना कर रखते हैं.

हिंदू शास्त्रों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के सत्य विनायक व्रत भी रखा जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान कृष्ण ने खुद सत्यविनायक व्रत को रखने के लिए सुदामा से कहा था, जिसको करने से सुदामा की गरीबी दूर हो गई थी. वहीं शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन मृत्यु के देवता धर्मराज की पूजा भी की जाती है, जो भी मनुष्य इस दिन धर्मराज की पूजा करता है. उससे मनुष्य को अकाल मौत का डर कम हो जाता है.

वैशाख पूर्णिमा के दिन लगेगा चंद्र ग्रहण: वैशाख पूर्णिमा के दिन हिंदू पंचांग के अनुसार 2023 का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. हालांकि यह चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. इसलिए इसके सूतक का भी भारत में प्रभाव नहीं पड़ेगा. इस दिन किसी पवित्र नदी या पवित्र तालाब में स्नान करने का बहुत ज्यादा महत्व होता है.

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वहीं इस दिन चंद्र ग्रहण लगने के कारण स्नान करने के उपरांत अगर मनुष्य दान करता है तो उसको पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके सारे कष्ट दूर हो जाते हैं. ऐसा करने से उसके परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है. वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा भी करनी चाहिए और उसके उपरांत परिवार में सुख समृद्धि व अच्छे स्वास्थ्य के लिए चंद्रमा की पूजा करते हुए जल भी अर्पित करना चाहिए.

वैशाख पूर्णिमा के दिन करें सत्यनारायण कथा: वैशाख पूर्णिमा के दिन विष्णु भगवान और लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है और साथ में सत्यनारायण कथा का पाठ भी किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन सत्यनारायण की कथा करने से विष्णु भगवान की कृपा बनी रहती है और उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है. इस दिन सत्य विनायक व्रत भी रखा जाता है. माना जाता है कि जो भी इस व्रत को रखता है उसकी गरीबी दूर हो जाती है और परिवार में सुख समृद्धि आती है.

वैशाख पूर्णिमा के दिन पूजा व व्रत का विधि विधान: वैशाख पूर्णिमा के दिन सुबह उठ कर पवित्र नदी या तालाब में स्नान करने उपरांत साफ कपड़े पहनकर भगवान विष्णु व लक्ष्मी माता की पूजा करें और उनकी आरती करें. इसके बाद पूर्णिमा का व्रत रखने का संकल्प लें. भगवान विष्णु की पूजा करते समय उनके मंदिर में देशी घी का दीपक जलाएं, भगवान विष्णु को हल्दी का तिलक भी लगाए. अपनी इच्छा अनुसार भगवान विष्णु व लक्ष्मी माता को पीले रंग की मिठाई व फल भी अर्पित करें.

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इसके बाद भगवान विष्णु या सत्यनारायण कथा का पाठ करें. व्रत रखने वाले इस दिन पूरा दिन बिना अन्न के रहते हैं. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने उपरांत आरती करके उनको मिठाई का भोग लगाएं और रात के समय चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा करने के बाद अपना व्रत खोलें. लेकिन इस बात का जरूर ध्यान रखें इस बार चंद्र ग्रहण होने के कारण वैशाख पूर्णिमा पर चंद्रमा के दर्शन बिल्कुल ना करें. व्रत खोलने से पहले ब्राह्मण, गरीबों व जरूरतमंदों को भोजन कराएं और अपनी इच्छा अनुसार उनको दान भी करें.

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