करनाल: एक तरफ पूरे देश में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रख रही हैं. वहीं दूसरी तरफ करनाल के ऐसे तीन गांव हैं जहां सदियों से ये व्रत नहीं मनाया जाता है. ये तीनों गांव श्रापित माने जाते हैं. मान्यता के मुताबिक अगर इन तीन गांव की महिलाओं ने ये व्रत रखा तो उनका सुहाग उड़ जाएगा.
करनाल के ये तीन गांव औंगद , गोंदर और कतलेड़ी हैं. ये तीनों ही गांव ठाकुरों के हैं, जहां की महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखने से डरती हैं. सदियां बीत गईं, मुसलिम साम्राज्य खत्म हो गया और अंग्रेज भी देश छोड़कर चले गए, लेकिन करनाल जिले के इन तीन गांव में 600 साल से चली आ रही परंपरा ज्यों की त्यों है.
600 साल पुरानी है कहानी
चलिए अब आपको करवा चौथ नहीं मनाने के पीछे की कहानी बताते हैं. ग्रामीणों के मुताबिक करीब 600 साल पहले राहड़ा गांव की लड़की की शादी गोंदर गांव के युवक से हुई थी. साधनों की कमी की वजह से पैदल का रास्ता था. वो अपने मायके राहड़ा गांव गई थी. करवा चौथ से पहले की रात उसे सपना आया कि उसके पति की किसी ने हत्या कर दी है और उसका शव बाजरे की गठरियों में छुपा रखा है.
अपशगुन की आशंका के चलते उसने ये बात अपने मायके वालों को बताई तो वो उसे लेकर गोंदर की तरफ चल पड़े. दिनभर का सफर तय करने के बाद जब वो गोंदर पहुंची तो उसे घर पर अपना पति दिखाई नहीं दिया. उसने सब से पूछताछ की लेकिन उसे अपना पति नहीं मिला. इसके बाद लड़की ने अपने सपने की बात गांव वालों को बताई, जिसके बाद ग्रामीण लड़की को लेकर उसी जगह गए जहां लड़की ने अपने पति की मौत सपने में देखी थी.
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लड़की की बताई जगह पर दबा मिला. चूंकि उस दिन उसने करवा चौथ का व्रत रख रखा था, इसलिए उसने घर में अपने से बड़ी महिलाओं को करवा देना चाहा तो उन्होंने उसे लेने से मना कर दिया. उसने पूरे गांव से निवेदन किया, लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी. इससे व्यथित होकर वो करवा सहित जमीन में समा गई और उसने श्राप दिया कि अगर भविष्य में इस गांव की किसी बहू ने करवा चौथ का व्रत किया तो उसका सुहाग उजड़ जाएगा. तब से गांव में किसी ने व्रत नहीं रखा है.
गोंदर से अलग हुए हैं औंगद और कतलेड़ी
समय बीतने के साथ-साथ गोंदर गांव में से कतलेड़ी और औंगद गांव अलग हो गए क्योंकि उनके वशंज गोंदर से थे इसलिए परंपरा यहां भी बरकरार रही. चौहान गौत्र की बहुओं ने इसके बाद कभी ये पर्व नहीं मनाया.
गांव की लड़कियां शादी के बाद रखती हैं व्रत
इन गांवों से विवाह होकर दूसरे गांव गई लड़कियां अपने ससुराल में जाकर करवा चौथ का व्रत रखतीं हैं. मान्यता है कि श्राप सिर्फ बहुओं को दिया गया था, बेटियों पर इस श्राप का कोई असर नहीं है. लड़कियों के लिए परिजन इस दिन कोथली भी भेजते हैं और उनके लिए साजो-सामान भी.