करनाल: भारत एक कृषि प्रधान देश है. जिसमें लगभग 60% लोग कृषि व्यवसाय से जुड़े हैं. कृषि के लिए किसानों को पाने की आवश्यकता होती है. जिसके लिए सिंचाई विभाग काम करता है. ईटीवी भारत ने करनाल के सिंचाई परियोजना के ऊपर रिपोर्ट बनाई. जिसमें विभाग की तरफ से सिंचाई परियोजनाओं के रखरखाव के प्रबंध के बारे में जाना. ये जानने की कोशिशि की कि क्या किसानों को सिंचाई विभाग की परियोजनाओं का लाभ मिल रहा है.
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ईटीवी भारत हरियाणा से करनाल सिंचाई विभाग के एक्शन राजेश कुमार चोपड़ा ने बातचीत की और बताया कि करनाल में दो मुख्य नहरों एसवाईएल और डब्ल्यूजेसी से पानी पहुंचता है. जिसे जिले में सिंचाई के लिए किसानों तक पहुंचाया जाता है. कुछ पानी दिल्ली और दक्षिण हरियाणा में जाता है. जिले में चार ऐसी मुख्य नहर हैं. जिससे पूरे जिले में पानी सप्लाई होता है. मुख्य नहरों से छोटे-छोटे रजवाहों को जोड़ा गया है. जिसके जरिए किसानों को नहरी पानी मिलता है.
मनरेगा के तहत होता है रखरखाव
सिंचाई परियोजना के रखरखाव और साफ सफाई के काम के लिए विभाग को सरकार की तरफ से मनरेगा मजदूर मिलते हैं. वो साफ सफाई का काम समय-समय पर करते रहते हैं. अगर मेंटेनेंस की बात करें तो जरूरत के अनुसार ही पैसा विभाग को मिलता है. अगर कहीं पर किसी चीज की जरूरत होती है तो उसका एस्टीमेट बनाकर भेजा जाता है. उसी के आधार पर विभाग को पैसा मिल जाता है.
वक्त पर होता है मेंटेनेंस का काम
किसान अजय सिंचाई परियोजनाओं से संतुष्ट नजर आए. उन्होंने माना कि हमारे क्षेत्र में नहरों का पानी हर खेत तक पहुंच रहा है. पानी की कहीं पर कोई कमी नहीं रहती. ज्यादा पानी की आवश्यकता धान की फसल में होती है. उसमें भी खेतों में नहर का पानी वक्त पर पहुंच जाता है. समय-समय पर साफ सफाई के लिए भी विभाग के द्वारा लोग भेजे जाते हैं. कहीं पर कोई मेंटेनेंस का काम करना है तो उसका भी काम विभाग के द्वारा समय-समय पर किया जाता है.
स्थानीय लोग भी सिंचाई विभाग के काम से संतुष्ट
इंद्री के सिंचाई विभाग के एक्शन नवतेज ने कहा कि जिले में 70% कृषि योग्य भूमि पर नहरों का पानी पहुंच रहा है. जिले में ऐसा कोई भी स्थान नहीं जहां पानी की कमी हो, हालांकि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां पानी नहीं पहुंचता. वहां के लिए दो प्रोजेक्ट करनाल सिंचाई विभाग लेकर आया है. जो अगले 1 साल तक पूरे हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि डिविजन वाइज 10 से 12 लाख रुपये सिंचाई विभाग के पास पहुंचते हैं. जिसे मेंटेनेंस के काम में लगाया जाता है. साफ सफाई की व्यवस्था मनरेगा के मजदूरों की सहायता से करवाई जाती है. करनाल में पांच डिवीजन हैं. तो लगभग 1 साल में 60 लाख रुपये विभाग को मिलता है. अगर कहीं पर विशेष आवश्यकता होती है तो उसका एस्टीमेट बनाकर भेजा जाता है और वो पैसा विभाग को मिल जाता है.
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नवतेज ने कहा कि एमएलए नहर पर लाइनिंग, मेंटेनेंस का काम चल रहा है. अभी उन्हें 12-13 हजार क्यूबिक पानी मिल रहा था. जो अब काम पूरा होने के बाद 17000 क्यूबिक पानी मिलेगा. जो करनाल जिले के काम आएगा. बाकि पानी को दक्षिण हरियाणा में भेजा जाएगा. करनाल में सीवरेज के पानी का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनेगा. जिपर करीब 56 करोड़ की लागत आएगी. ये ट्रीटमेंट प्लांट लगभग 6100 एकड़ खेतों को कवर करेगा. करीब 11 गांवों की जमीन में ये पानी सिंचाई के लिए प्रयोग में लाया जाएगा. इसमें किसानों के लिए माइक्रो इरिगेशन का सिस्टम विभाग के द्वारा सब्सिडी पर लगाया जाएगा. जिसमें किसान को 15% अपने आप देना होगा और 85% विभाग सब्सिडी देगा. उस 15% में से 5% एक बार शुरुआत में भरकर फिर 10 साल तक एक 1-1% ही पैसा भरना है. जो काफी कम होगा. इससे किसानों को लाभ ज्यादा मिलेगा.