करनाल: 102 मिलियन टन के साथ भारत ने गेहूं उत्पादन में एक नए आयाम को छुआ है. ये लक्ष्य भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित उच्च गुणवत्ता युक्त किस्म और किसानों की कड़ी मेहनत के कारण संभव हो पाया है. इस बात की जानकारी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के उप महानिदेशक आनंद कुमार सिंह ने दी.
किसानों की आय हो सकती है दोगुना- किसान वैज्ञानिक
आनंद कुमार सिंह ने बताया कि अगर किसान वैज्ञानिक खेती अपना ले तो 4 साल में ही उसकी आय दोगुनी ही बल्कि 3 से 4 गुना भी हो सकती है. आनंद सिंह ने कहा कि उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ उनका लक्ष्य गेहूं निर्यात करने का भी है, ताकि किसानों को फायदा ज्यादा हो.
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विदेशों में उच्च क्वालिटी के गेहूं के निर्यात की तैयारी
उन्होंने बताया कि विदेशों में अधिकतर खाने में ब्रेड का प्रयोग होता है. जिसके लिए विशेष गुणवत्ता युक्त गेहूं का उत्पादन किया जाना है और इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं, अगर हम इसमें सफल हो गए तो किसानों का गेहूं विदेशों में बिक सकेगा.
पराली का भी जल्द होगा समाधान
उन्होंने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है, जिसके निपटान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान काम कर रहा है. इसके द्वारा किए गए प्रयासों से पिछले सालों के मुकाबले फसल अवशेषों को जलाने में काफी कमी आई है. हमें अवशेषों के उपयोग और इसकी खाद बनाने पर ध्यान देना होगा.
उन्होंने कहा कि किसान की आय को दोगुना करने में नई तकनीक कारगर साबित होगी. संस्थान द्वारा हाल ही में गेहूं की नई किस्म विकसित की गई है, इसके बेहतर परिणाम मिलेंगे. इसका इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि इसमें उत्पादन ज्यादा मिलता है और बीमारी का प्रकोप भी बहुत कम होता है.
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बता दें कि इस मौके पर संस्थान द्वारा हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित अन्य राज्यों से आए किसानों को इसने किस्म का बीज वितरित किया गया. कार्यशाला में कृषि उत्पादन की नई किस्म का प्रदर्शन और किसानों को इसके इस्तेमाल के बारे में जानकारी दी गई.