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गेहूं की फसल में तेला और चेपा का प्रकोप, कृषि वैज्ञानिक की ये सलाह तुरंत दूर करेगी बीमारी - तेला पर वैज्ञानिक की सलाह

बढ़ती गर्मी के साथ ही फसल पर कई तरह के संकट भी बढ़ जाते हैं. हरियाणा में अचानक आये मौसम में बदलाव गेहूं की फसल को भी प्रभावित करने लगा है. गेहूं की फसल में इस समय तेला (Tela insect in wheat crop in Haryana) का प्रकोप बढ़ने लगा है. आइये आपको बताते हैं कि फसल को तेला के प्रकोप से कैसे बचायें.

Tela insect in wheat crop in Haryana
Tela insect in wheat crop in Haryana
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Published : Mar 2, 2023, 10:08 AM IST

Updated : Mar 2, 2023, 12:06 PM IST

गेहूं की फसल में तेला और चेपा का प्रकोप, कृषि वैज्ञानिक की ये सलाह तुरंत दूर करेगी बीमारी

करनाल: देश के गेहूं उत्पादन में हरियाणा की बड़ा हिस्सा है. यहां काफी बड़े क्षेत्रफल में गेहूं की खेती की जाती है. इस वजह से किसान की आर्थिक स्थिति काफी हद तक गेहू की फसल पर निर्भर करती है. इस सीजन की बात करें अभी तक किसानों के खेतों में गेहूं की अच्छी फसल लहरा रही हैं. वर्तमान समय में मौसम में बदलाव हो रहा है और बदलते मौसम में गेहू की फसल में कई प्रकार की बीमारियां आने का खतरा रहता है.

हरियाणा में कुछ जगहों पर किसानों की गेहूं की फसल में तेले का प्रकोप देखने को मिला है, जिसको चेपा भी कहा जाता है. यह एक छोटा कीट होता है जो पौधे पर लगकर उससे उसका रस चूसता है गेहूं के लिए काफी हानिकारक होता है. जो खुराक पौधे को दाना बनने के लिए मिलनी चाहिए तेला वो खुलाक पौधे से क खुद ले लेता है. जिससे पौधे पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और वह उत्पादन नहीं दे पाता. ऐसे में किसान भाई किस प्रकार से गेहू की फसल को इससे बचाएंं, ये जानना जरूरी है.

Tela insect in wheat crop in Haryana
तेला गेहूं की पत्ती पर लगने वाला कीट है.

अगर फसल पर तेले के लक्षण नजर आए तो तुरंत कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर विभिन्न कीटनाशकों का छिड़काव करें. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर राम गोपाल शर्मा ने बताया कि गेहूं में कुछ जगहों पर काले व हरे तेले का प्रकोप देखने को मिला है, जिसको आम भाषा में चेपा भी कहा जाता है. पहले यह दो रंग का होता था लेकिन अब इसमें हरे व काले तेले के साथ सफेद रंग का तेला भी दिखाई देने लगा है.

Tela insect in wheat crop in Haryana
समय पर दवा का छिड़काव ये बीमारी रोक सकता है.

वर्तमान समय में लगातार तापमान में बढ़ोतरी हो रही है. जिसके कारण गेहू की फसल में तेला रोग आने की संभावनाएं रहती है. कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि बढ़ते तापमान के कारण गेहू की फसल में तेला रोग आ सकता है. किसान भाई इस रोग की रोकथाम के लिए 500 मिलीलीटर एंडोसल्फान 35 ईसी, 400 मिलीलटर मैलाथियान 50 ईसी 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें.

Tela insect in wheat crop in Haryana
चेपा कीट लगने से पत्ते खराब होकर सूख जाते हैं.

कृषि विशेषज्ञ ने कहा कि किसान सुबह शाम अपने खेत का दौरा करते रहें और पौधे के तने पर जरूर देखें कि वहां पर कोई चिपचिपा पदार्थ तो नहीं है या हरे काले, भूरे रंग के छोटे-छोटे कीट तो नहीं बैठे. जहां पर इन कीट का प्रकोप होता है वह एरिया अलग से काला काला दिखाई देने लगता है. काला तब दिखाई देता है जब उसका प्रकोप ज्यादा होता है, इसलिए समय रहते जगह-जगह पर पौधे को चेक करते रहे. अगर शुरुआती समय में ही इस पर नियंत्रण किया जाए तो फसल ठीक हो जाती है. अगर इसका प्रकोप बढ़ जाए तो यह 30 से 40 प्रतिशत तक उत्पादन को प्रभावित कर सकता है.

गेहूं की फसल में तेला और चेपा का प्रकोप, कृषि वैज्ञानिक की ये सलाह तुरंत दूर करेगी बीमारी

करनाल: देश के गेहूं उत्पादन में हरियाणा की बड़ा हिस्सा है. यहां काफी बड़े क्षेत्रफल में गेहूं की खेती की जाती है. इस वजह से किसान की आर्थिक स्थिति काफी हद तक गेहू की फसल पर निर्भर करती है. इस सीजन की बात करें अभी तक किसानों के खेतों में गेहूं की अच्छी फसल लहरा रही हैं. वर्तमान समय में मौसम में बदलाव हो रहा है और बदलते मौसम में गेहू की फसल में कई प्रकार की बीमारियां आने का खतरा रहता है.

हरियाणा में कुछ जगहों पर किसानों की गेहूं की फसल में तेले का प्रकोप देखने को मिला है, जिसको चेपा भी कहा जाता है. यह एक छोटा कीट होता है जो पौधे पर लगकर उससे उसका रस चूसता है गेहूं के लिए काफी हानिकारक होता है. जो खुराक पौधे को दाना बनने के लिए मिलनी चाहिए तेला वो खुलाक पौधे से क खुद ले लेता है. जिससे पौधे पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और वह उत्पादन नहीं दे पाता. ऐसे में किसान भाई किस प्रकार से गेहू की फसल को इससे बचाएंं, ये जानना जरूरी है.

Tela insect in wheat crop in Haryana
तेला गेहूं की पत्ती पर लगने वाला कीट है.

अगर फसल पर तेले के लक्षण नजर आए तो तुरंत कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर विभिन्न कीटनाशकों का छिड़काव करें. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर राम गोपाल शर्मा ने बताया कि गेहूं में कुछ जगहों पर काले व हरे तेले का प्रकोप देखने को मिला है, जिसको आम भाषा में चेपा भी कहा जाता है. पहले यह दो रंग का होता था लेकिन अब इसमें हरे व काले तेले के साथ सफेद रंग का तेला भी दिखाई देने लगा है.

Tela insect in wheat crop in Haryana
समय पर दवा का छिड़काव ये बीमारी रोक सकता है.

वर्तमान समय में लगातार तापमान में बढ़ोतरी हो रही है. जिसके कारण गेहू की फसल में तेला रोग आने की संभावनाएं रहती है. कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि बढ़ते तापमान के कारण गेहू की फसल में तेला रोग आ सकता है. किसान भाई इस रोग की रोकथाम के लिए 500 मिलीलीटर एंडोसल्फान 35 ईसी, 400 मिलीलटर मैलाथियान 50 ईसी 250 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें.

Tela insect in wheat crop in Haryana
चेपा कीट लगने से पत्ते खराब होकर सूख जाते हैं.

कृषि विशेषज्ञ ने कहा कि किसान सुबह शाम अपने खेत का दौरा करते रहें और पौधे के तने पर जरूर देखें कि वहां पर कोई चिपचिपा पदार्थ तो नहीं है या हरे काले, भूरे रंग के छोटे-छोटे कीट तो नहीं बैठे. जहां पर इन कीट का प्रकोप होता है वह एरिया अलग से काला काला दिखाई देने लगता है. काला तब दिखाई देता है जब उसका प्रकोप ज्यादा होता है, इसलिए समय रहते जगह-जगह पर पौधे को चेक करते रहे. अगर शुरुआती समय में ही इस पर नियंत्रण किया जाए तो फसल ठीक हो जाती है. अगर इसका प्रकोप बढ़ जाए तो यह 30 से 40 प्रतिशत तक उत्पादन को प्रभावित कर सकता है.

Last Updated : Mar 2, 2023, 12:06 PM IST
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