करनाल: गन्ना प्रजनन संस्थान क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र करनाल ने गन्ने की एक और उम्दा किस्म सीओ 15023 रिलीज की है. ये अब तक के इतिहास में सबसे अधिक मिठास वाली किस्म मानी जा रही है. केंद्रीय रिलीजिंग कमेटी ने गन्ने की नई किस्म को अच्छी किस्म माना है.
हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, केंद्रीय उत्तर प्रदेश और पश्चिम उत्तर प्रदेश के लिए ये किस्म सर्वोत्तम है. केंद्र के ब्रीडर वैज्ञानिक डॉ. रविंद्र कुमार के नेतृत्व में ये किस्म इजाद की गई है. इस किस्म की टेस्टिंग में अभी 1 साल का समय बाकी था, लेकिन समय से पहले पिराई योग्य क्षमता बनाने और अतिरिक्त गुणों के चलते इसे रिलीज कर दिया गया है.
![sugarcane new variety and technique](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10035455_abcd.png)
हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार की अनेकों चीनी मिलों में इस किस्म का एमओयू के तहत परीक्षण किया जा चुका है. जिसमें इस किस्म में करीब 20 प्रतिशत से अधिक जूस सुक्रोज मिला है. जो अब तक अन्य किसी भी किस्म से अधिक है.
डॉ. रविंद्र कुमार ने बताया कि ये किस्म जल्द पकने से चीनी मिलों का पिराई सत्र 1 महीने पूर्व चलाने की क्षमता रखती है. इसे रबी सीजन में गन्ने के बाद गेहूं और अन्य फसल उगाने का सही समय किसानों को मिलेगा. अक्टूबर में ये किस्म पक जाती है. इसके चलते सर्दियों में इस समय फूटाव बहुत रहेगा. उद्योग स्तर पर ट्रायल में इस किस्म का उत्पादन सीओ 0238 किस्म से 5 प्रतिशत अधिक रहा है.
गन्ना लगाने की नई विधि
डॉ. रविंद्र कुमार ने बताया कि इस नई किस्म को एक नई विधि से लगाने के लिए एक नई तकनीक इजाद की है. जिसको पौधारोपण विधि कहा जाता है. इस विधि में पौधों की तरह ट्रे में गन्ने की नर्सरी तैयार की जाती है.
डॉ. रविंद्र कुमार ने कहा कि फरवरी में बिजाई के समय किसानों को तापमान की वजह से काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इसलिए उन्होंने एक नई तकनीक अपनाई है. जिसमें गन्ने की मिट्टी या खेत में सीधी बिजाई करने की बजाय किसान अब पौधों की तरह उसके नर्सरी तैयार कर सकते हैं.
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उन्होंने कहा कि जहां पर गन्ने की बिजाई में लगभग 30 से 40 क्विंटल गन्ना लगता है. उसकी तुलना में इसमें आधा गन्ना लगता है और उससे भी हम गन्ने की आंखें निकाल लेते हैं, जो ट्रे में पौधे के रूप में नारियल के बरुदे में लगाया जाता है. बाकी गन्ने का हम गुड़ या जूस इत्यादि निकाल सकते हैं.
नई विधि से होगी दोगुनी पैदावार
इसमें लगभग 15 हजार प्रति एकड़ बिजाई करते समय किसान अपनी बचत कर सकता है. साथ ही इस विधि से बिजाई करने पर किसान आम गन्ने में लगभग 400 से 500 कुंटल प्रति एकड़ पैदावार लेता है, वहीं नई विधि से लगभग 800 क्विंटल प्रति एकड़ तक पैदावार हो रही है.
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इस विधि में लगभग एक महीना नर्सरी को तैयार करने में लगता है. किसान केंद्र से प्रशिक्षण लेकर अपने आप भी इस नर्सरी को तैयार कर सकता है. दिसंबर और जनवरी में ज्यादा ठंड पड़ने के कारण ठंड में पौधे मर जाते हैं, इसलिए अगर किसान अपने तरीके से करना चाहें तो उसको इस ठंड से बचा कर रखें और विधि यही अपनाएं तो उसमें किसान अच्छी पैदावार ले सकते हैं.
इस विधि के तहत 1.5/2 फुट के अंतराल पर पौधा लगाया जाता है. जहां आम किस्म के एक गन्ने का वजन 1 किलो से 1.25 किलो होता है. वहीं इस विधि से बिजाई करने पर एक गन्ने का वजन 2 से ढाई किलो ग्राम तक होता है. ऐसे में हिसाब लगा सकते हैं कि इसमें किसान को लगभग दोगुनी पैदावार मिल रही है.
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