करनाल: हरियाणा में बड़े स्तर पर धान की खेती की जाती है. जिसकी सिंचाई के लिए बहुत ज्यादा पानी की जरूरत पड़ती है. लगातार दोहन के चलते हरियाणा के कई इलाकों में भू-जल स्तर बहुत नीचे चला गया है. कई जिले डार्क जोन की कैटेगरी में आ गये हैं और सरकार ने वहां धान की खेती पर रोक लगा दी है. पानी की बर्बादी रोकने और भूमिगत जल स्तर बढ़ाने के मकसद से सरकार अब किसानों को डीएसआर (Direct Seeded Rice) तकनीक के जरिए धान की सीधी बिजाई के लिए प्रेरित कर रही है. इसके लिए किसानों को पैसा भी दे रही है और सुविधा भी.
डीएसआर के लिए 4 हजार का अनुदान- धान की सीधी बिजाई को हरियाणा सरकार ने काफी गंभीरता से लेते हुए इस पर अनुदान देने की भी घोषणा की है. जो किसान धान की सीधी बिजाई करेगा उसको हरियाणा सरकार की तरफ से 4000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि दी जाती है. हालांकि धान की सीधी बिजाई का चलन पिछले चार-पांच सालों से ही शुरू हुआ है. अब भी किसान धान की सीधी बिजाई करने से पीछे हटते हैं. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए ही सरकार ने 4000 रुपये प्रति एकड़ की राशि देने का फैसला किया. पहले ये प्रोत्साहन राशि 3000 प्रति एकड़ दी जाती थी.
40 प्रतिशत तक पानी की बजत- हरियाणा खेती संपन्न राज्य है. यहां बड़े स्तर पर धान की खेती की जाती है. धान में पानी की बहुत ज्यादा खपत होती है. कहा जाता है कि 1 किलो चावल उगाने के लिए औसतन 2000 लीटर पानी लगता है. जबकि धान की सीधी बिजाई करने पर 30 से 40 प्रतिशत पानी की बचत होती है. क्योंकि धान की सीधी बिजाई करने पर ना तो पहले नर्सरी लगाने की जरूरत पड़ती है और ना बाद में पानी भरे खेत में नर्सरी की रोपाई करने की आश्वयकता है. इसलिए हरियाणा सरकार भी धान की सीधी बिजाई को ज्यादा बढ़ावा दे रही है.
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मजदूर की समस्या से छुटकारा- धान की सीधी बिजाई से न केवल पानी की बचत होती है बल्कि मजदूर की समस्या से भी बचा जा सकता है. करनाल में धान की रोपाई के समय मजदूरों की समस्या अत्यधिक बढ़ जाती है. धान रोपाई के लिए किसानों को मजदूर नहीं मिल पाते. जिसके चलते किसानों की धान रोपाई में देरी हो जाती है. वहीं अगर मजदूर धान रोपाई के लिए आते भी हैं तो वो मुंह मांगे पैसे लेते हैं. इसके अतिरिक्त प्रति एकड़ रोपाई का खर्च भी हर साल बढ़ता जा रहा है. ऐसे में ये डीएसआर (Direct Seeded Rice) तकनीक मजदूरों की समस्या से भी निजात दिलाती है.
धान की डीएसआर तकनीक क्या है- डीएसआर (Direct Seeded Rice) विधि से धान का बीज मशीन के द्वारा सीधे खेत में बोया जाता है. जिससे खेत तैयार करने का खर्च भी कम हो जाता है और मजदूरों की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है. धान की सीधी बिजाई में पहले खरपतवार की समस्या आती थी लेकिन अब मार्केट में नए-नए खरपतवारनाशी मौजूद हैं जिससे उसकी समस्या भी खत्म हो जाती है. इस विधि से धान की खेती अत्यधिक सुलभ हो जाती है.
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सीधी बिजाई से पैदावार में कमी नहीं- धान की सीधी बिजाई करने से काफी किसान पीछे हटते हैं. उनका कहना है कि इससे धान की पैदावार कम होती है. हलांकि पिछले साल जिन किसानों ने इस विधि से धान की बिजाई की थी, उन सब की पैदावार में कोई कमी दर्ज नहीं की गई. साथ ही सरकार द्वारा प्रति एकड़ 4 हजार की सहायता से उनका और अधिक लाभ हुआ है. ऐसे में किसान इस विधि से धान की अच्छी पैदावार के साथ ही सरकार की योजना का भी फायदा ले सकते हैं.
डीएसआर के लिए पंजीकरण शुरू- हरियाणा कृषि विभाग द्वारा किसानों को डीएसआर के लिए जागरूक करने हेतु किसान जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें इच्छुक किसान अपना पंजीकरण भी करवा सकेंगे. किसान खुद नजदीकी सहायता केन्द्रों पर जाकर मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण कर सकते हैं. पंजीकरण शुरू चुका है. योजना का लाभ केवल उन किसानों को दिया जायेगा जो किसान पोर्टल पर पंजीकरण कर लेगा.
डीएसआर मशीन खरीदने पर अनुदान- अगर कोई किसान धान की सीधी बिजाई की मशीन (DSR Machine) लेने का इच्छुक है तो उसके लिए भी सरकार ने अनुदान देने का प्रावधान किया है. डीएसआर मशीन खरीदने वाले किसानों को हरियाणा सरकार ने 40 हजार रूपये का अनुदान देने की घोषणा की है. इसके लिए किसान को agriharyana.gov.in वेबसाइट पर पंजीकरण करवाना होगा. पंजीकरण की अंतिम तिथि 10 मई निर्धारित की गई है. सरकार द्वारा जल संरक्षण अभियान के तहत शुरू की गई इन योजनाओं का किसान भरपूर फायदा उठा सकते है.
इरिगेशन सिस्टम लगाने पर भी अनुदान- धान की सीधी बिजाई का मुख्य उद्देश्य यही है कि पानी की कम लागत हो और भूमिगत जलस्तर में सुधार आये. इसी को देखते हुए हरियाणा सरकार की तरफ से पानी की बचत करने के लिए ड्रिप इरिगेशन सिस्टम भी सिस्टम लगाने की मुहिम भी चलाई गई है. इस सिस्टम को लगाने के लिए सरकार किसानों को 80 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है. धान की सीधी बिजाई वाली फसल में ड्रिप इरिगेशन से भी सिंचाई की जा सकती है. जिसमें करीब 60 प्रतिशत पानी की बचत होती है.
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