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खर्चा कम मुनाफा ज्यादा, फूलों की खेती से खुशबू के साथ मोटी कमाई

गेंदे की एक एकड़ की खेती में खर्च तकरीबन 20 हजार रुपये आता है. फसल में सिंचाई की भी ज्यादा जरूरत नहीं होती है. मात्र दो से तीन सिंचाई करने से ही खेती लहलहाने लगती है. गेंदे के फूल की डिमांड वर्ष भर रहती है. त्योहारों और वैवाहिक कार्यक्रमों में जब इसकी मांग बढ़ जाती है तो दाम 100 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाते हैं.

KARNAL
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Published : Dec 6, 2019, 2:52 PM IST

करनालः कमाई ऐसी हो जिसकी खुशबू हर जगह फैले तो फिर क्या बात होगी. किसानों के लिए ऐसी ही कमाई का एक जरिया है गेंदे की फूल की खेती. हमेशा होते रहने वाले अलग-अलग कार्यक्रमों के चलते गेंदे के फूल की डिमांड वर्ष भर बनी रहती है. इन्हीं सारी बातों का फायदा उठा रहे हैं कि करनाल के गांव संघोहा के किसान प्रतीक. प्रतीक ने 1 एकड़ जमीन पर गेंदे के फूल की खेती की है और कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं.

ढाई से तीन महीने में तैयार हो जाती है फसल
गेंदा के फूल की कुछ प्रजातियों जैसे-हजारा और पांवर प्रजाति की फसल वर्ष भर की जा सकती है. एक फसल के खत्म होते ही दूसरी फसल के लिए पौध तैयार कर ली जाती है. इस खेती में जहां लागत काफी कम होती हैं, वहीं आमदनी काफी अधिक होती है. गेंदे की फसल ढाई से तीन माह में तैयार हो जाती है.

खर्चा कम मुनाफा ज्यादा, फूलों की खेती से खुशबू के साथ मोटी कमाई, क्लिक कर देखें वीडियो.

कम खर्च में ज्यादा मुनाफा
किसान प्रतीक ने बताया कि एक एकड़ की खेती में उनका खर्च तकरीबन 20 हजार रुपये आया है. फसल में सिंचाई की भी ज्यादा जरूरत नहीं होती है. मात्र दो से तीन सिंचाई करने से ही खेती लहलहाने लगती है. अभी तक प्रतीक ने फूलों की 8 से 10 तुड़ाई कर ली है और अभी और तुड़ाई हो सकती है. जिसका रेट 20 से 25 रूपए तक मिल रहा है और आगे चलकर गेंदा फूल बाजार में 70 से 80 रुपये प्रति किलो तक बिक जाएगा. त्योहारों और वैवाहिक कार्यक्रमों में जब इसकी मांग बढ़ जाती है तो दाम 100 रुपये प्रति किलो तक के हिसाब से मिल जाते हैं.

ये भी पढ़ेंः- कैसे कबाड़ और टूटी चूड़ियों से बनाया गया चंडीगढ़ में खूबसूरत 'वंडरलैंड', जानें

गेंदे की खेती के लिए उपयुक्त जमीन
गेंदे की खेती उत्तर भारत में मैदानी क्षेत्रों में शरद ऋतू में होती है, वहीं पहाड़ी क्षेत्रों में गर्मियों में इसकी खेती की जाती है. गेंदे की खेती के लिए बलुई दोमट और उचित जल निकास वाली भूमि उत्तम मानी जाती है. जिस भूमि का पी.एच. मान 7.0 से 7.5 के बीच होता है, वह इस खेती के लिए अच्छी अच्छी होती है.

फसल में लगने वाले रोग और उससे बचाव
गेंदे में अर्ध पतन, खर्रा रोग, विषाणु रोग और मृदु गलन रोग लगते हैं. अर्ध पतन के नियंत्रण हेतु रैडोमिल 2.5 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम या केप्टान 3 ग्राम या थीरम 3 ग्राम से बीज को उपचारित करके बुवाई करनी चाहिए. खर्रा रोग के नियंत्रण के लिए किसी भी फफूंदी नाशक को 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए. विषाणु और गलन रोग के नियंत्रण हेतु मिथायल ओ डिमेटान 2 मिलीलीटर या डाई मिथोएट एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए.

गेंदे में कलिका भेदक, थ्रिप्स एवं पर्ण फुदका कीट लगते हैं. इनके नियंत्रण हेतु फास्फोमिडान या डाइमेथोएट 0.05 प्रतिशत के घोल का छिड़काव 10 से 15 दिन के अंतराल पर दो-तीन बार करनी चाहिए अथवा क्यूनालफॉस 0.07 प्रतिशत का छिड़काव आवश्यकतानुसार करना चाहिए.

जब हमारे खेत में गेंदे की फसल तैयार हो जाती है तो फूलों को हमेशा प्रातः काल ही काटना चाहिए और तेज धूप न पड़े इसलिए फूलों को तेज चाकू से तिरछा काटना चाहिए फूलों को साफ बर्तन में रखना चाहिए. फूलों की कटाई करने के बाद छायादार स्थान पर फैलाकर रखना चाहिए. पूरे खिले हुए फूलों की ही कटाई करानी चाहिए. कटे फूलों को ज्यादा समय तक ताजा रखने के लिए 8 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान और 80 प्रतिशत आद्रता होनी चाहिए. कट फ्लावर के रूप में इस्तेमाल करने वाले फूलों के पात्र में एक चम्मच चीनी मिला देने से अधिक समय तक रख सकते हैं. गेंदे की उपज भूमि की उर्वरा शक्ति तथा फसल की देखभाल पर निर्भर करती है.

ये भी पढ़ेंः- ट्रेंच विधि से करें गन्ने की खेती, कम लागत में कमाएं ज्यादा मुनाफा

करनालः कमाई ऐसी हो जिसकी खुशबू हर जगह फैले तो फिर क्या बात होगी. किसानों के लिए ऐसी ही कमाई का एक जरिया है गेंदे की फूल की खेती. हमेशा होते रहने वाले अलग-अलग कार्यक्रमों के चलते गेंदे के फूल की डिमांड वर्ष भर बनी रहती है. इन्हीं सारी बातों का फायदा उठा रहे हैं कि करनाल के गांव संघोहा के किसान प्रतीक. प्रतीक ने 1 एकड़ जमीन पर गेंदे के फूल की खेती की है और कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं.

ढाई से तीन महीने में तैयार हो जाती है फसल
गेंदा के फूल की कुछ प्रजातियों जैसे-हजारा और पांवर प्रजाति की फसल वर्ष भर की जा सकती है. एक फसल के खत्म होते ही दूसरी फसल के लिए पौध तैयार कर ली जाती है. इस खेती में जहां लागत काफी कम होती हैं, वहीं आमदनी काफी अधिक होती है. गेंदे की फसल ढाई से तीन माह में तैयार हो जाती है.

खर्चा कम मुनाफा ज्यादा, फूलों की खेती से खुशबू के साथ मोटी कमाई, क्लिक कर देखें वीडियो.

कम खर्च में ज्यादा मुनाफा
किसान प्रतीक ने बताया कि एक एकड़ की खेती में उनका खर्च तकरीबन 20 हजार रुपये आया है. फसल में सिंचाई की भी ज्यादा जरूरत नहीं होती है. मात्र दो से तीन सिंचाई करने से ही खेती लहलहाने लगती है. अभी तक प्रतीक ने फूलों की 8 से 10 तुड़ाई कर ली है और अभी और तुड़ाई हो सकती है. जिसका रेट 20 से 25 रूपए तक मिल रहा है और आगे चलकर गेंदा फूल बाजार में 70 से 80 रुपये प्रति किलो तक बिक जाएगा. त्योहारों और वैवाहिक कार्यक्रमों में जब इसकी मांग बढ़ जाती है तो दाम 100 रुपये प्रति किलो तक के हिसाब से मिल जाते हैं.

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गेंदे की खेती के लिए उपयुक्त जमीन
गेंदे की खेती उत्तर भारत में मैदानी क्षेत्रों में शरद ऋतू में होती है, वहीं पहाड़ी क्षेत्रों में गर्मियों में इसकी खेती की जाती है. गेंदे की खेती के लिए बलुई दोमट और उचित जल निकास वाली भूमि उत्तम मानी जाती है. जिस भूमि का पी.एच. मान 7.0 से 7.5 के बीच होता है, वह इस खेती के लिए अच्छी अच्छी होती है.

फसल में लगने वाले रोग और उससे बचाव
गेंदे में अर्ध पतन, खर्रा रोग, विषाणु रोग और मृदु गलन रोग लगते हैं. अर्ध पतन के नियंत्रण हेतु रैडोमिल 2.5 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम या केप्टान 3 ग्राम या थीरम 3 ग्राम से बीज को उपचारित करके बुवाई करनी चाहिए. खर्रा रोग के नियंत्रण के लिए किसी भी फफूंदी नाशक को 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए. विषाणु और गलन रोग के नियंत्रण हेतु मिथायल ओ डिमेटान 2 मिलीलीटर या डाई मिथोएट एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए.

गेंदे में कलिका भेदक, थ्रिप्स एवं पर्ण फुदका कीट लगते हैं. इनके नियंत्रण हेतु फास्फोमिडान या डाइमेथोएट 0.05 प्रतिशत के घोल का छिड़काव 10 से 15 दिन के अंतराल पर दो-तीन बार करनी चाहिए अथवा क्यूनालफॉस 0.07 प्रतिशत का छिड़काव आवश्यकतानुसार करना चाहिए.

जब हमारे खेत में गेंदे की फसल तैयार हो जाती है तो फूलों को हमेशा प्रातः काल ही काटना चाहिए और तेज धूप न पड़े इसलिए फूलों को तेज चाकू से तिरछा काटना चाहिए फूलों को साफ बर्तन में रखना चाहिए. फूलों की कटाई करने के बाद छायादार स्थान पर फैलाकर रखना चाहिए. पूरे खिले हुए फूलों की ही कटाई करानी चाहिए. कटे फूलों को ज्यादा समय तक ताजा रखने के लिए 8 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान और 80 प्रतिशत आद्रता होनी चाहिए. कट फ्लावर के रूप में इस्तेमाल करने वाले फूलों के पात्र में एक चम्मच चीनी मिला देने से अधिक समय तक रख सकते हैं. गेंदे की उपज भूमि की उर्वरा शक्ति तथा फसल की देखभाल पर निर्भर करती है.

ये भी पढ़ेंः- ट्रेंच विधि से करें गन्ने की खेती, कम लागत में कमाएं ज्यादा मुनाफा

Intro:त्योहारों पर प्रतिष्ठानों या घरों की सजावट करनी हो या फिर वैवाहिक कार्यक्रम हों, बिना फूलों के पूरे नहीं हो सकते, वहीं मंदिरों पर पूजन के लिए भी फूलों की रहती है जरूरत जिसके लिए अब बाजार में वर्ष भर गेंदा के फूलों की रहती है डिमांड ,करनाल  के संघोया गांव के किसान प्रतीक ने एक एकड़ में गेंदे की खेती में हजारो लगा कर लाखो की कमाई की ,खर्चा कम मुनाफा ज्यादा वाला फार्मूला प्रतीक के लिए इस खेती में बिलकुल सटीक बैठा। 



Body:बाजार में अब वर्ष भर गेंदा के फूलों की डिमांड रहती है।  त्योहारों पर प्रतिष्ठानों या घरों की सजावट करनी हो, या फिर वैवाहिक कार्यक्रम हों, बिना फूलों के पूरे नहीं हो सकते, वहीं मंदिरों पर पूजन के लिए भी फूलों की जरूरत रहती है।  इसके अतिरिक्त अन्य कार्यक्रमों में भी फूलों की मांग बनी रहती है।  ऐसे में गेंदा की खेती करना काफी फायदे का सौदा है।  गेंदा के कुछ प्रजातियों जैसे-हजारा और पांवर प्रजाति की फसल वर्ष भर की जा सकती है। एक फसल के खत्म होते ही दूसरी फसल के लिए पौध तैयार कर ली जाती है। इस खेती में जहां लागत काफी कम होती हैं, वहीं आमदनी काफी अधिक होती है।  गेंदा की फसल ढाई से तीन माह में तैयार हो जाती है। इसकी फसल दो महीने में प्राप्त की जा सकती है। करनाल जिले के गाँव संघोहा में खेती कर रहे प्रतीक ने बताया  की एक एकड़ में उसका खर्चा 20 हजार रुपये के करीब आया है और हार्वेस्टिंग अभी शरू हुई है अभी ये फूल नवंबर अंत तक चलेंगे, वहीं सिंचाई की भी अधिक जरूरत नहीं होती।  मात्र दो से तीन सिंचाई करने से ही खेती लहलहाने लगती है, अभी हमने 8 से 10 तुड़ाई कर ली है ,जिसका रेट 20 से 25 रूपए तक मिल रहा है और आगे चलकर  गेंदा फूल बाजार में 70 से 80 रुपये प्रति किलो तक बिक जाता है। त्योहारों और वैवाहिक कार्यक्रमों में जब इसकी मांग बढ़ जाती है तो दाम 100 रुपये प्रति किलो तक के हिसाब से मिल जाते हैं। गेंदा की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि गेंदा की खेती में लागत कम हैं। त्योहारों में अच्छे दाम मिल जाते हैं, और इसकी डिमांड पूरे वर्ष ही विभिन्न कार्यक्रमों के चलते बनी रहती है। किसान प्रतीक ने बतया की मेरा ध्यान सिर्फ ऑर्गनिक की और ही इसी लिए सिर्फ फंगीसाइड का स्प्रे ही किया है। अलग से किसी भी प्रकार की दवाइयों का प्रयोग नहीं किया है। Conclusion:करनाल जिले के गाँव संघोहा में एक किसान के खेत में गेंदे के फूल लहलहा रहे हैं। यह क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसे लगाने के बाद उनकी तकदीर बदलती जा रही है। फूलों से उन्हें मुनाफा हो रहा है वह फूल व्यवासियों को नियमित गेंदा फूल बेच रहे हैं। इससे उन्हें हर महीने 10 हजार रुपये से अधिक का शुद्ध मुनाफा हो रहा है। उत्तर भारत में मैदानी क्षेत्रो में शरद ऋतू में उगाया जाता है तथा उत्तर भारत के पहाड़ी क्षेत्रो में गर्मियों में इसकी खेती की जाती है। गेंदा की खेती बलुई दोमट भूमि उचित जल निकास वाली उत्तम मानी जाती है।  जिस भूमि का पी.एच. मान 7.0 से 7.5 के बीच होता है वह भूमि खेती के लिए अच्छी मानी जाती है।  गेंदा में अर्ध पतन, खर्रा रोग, विषाणु रोग तथा मृदु गलन रोग लगते है। अर्ध पतन हेतु नियंत्रण के लिए रैडोमिल 2.5 ग्राम या कार्बेन्डाजिम  2.5 ग्राम या केप्टान 3 ग्राम या थीरम 3 ग्राम से बीज को उपचारित करके बुवाई करनी चाहिए। खर्रा रोग के नियंत्रण के लिए किसी भी फफूंदी नाशक को 800 से 1000 लीटर पानी में मिलाकर15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए।  विषाणु एवं गलन रोग के नियंत्रण हेतु मिथायल ओ डिमेटान 2 मिलीलीटर या डाई मिथोएट  एक मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए।  गेंदा में कलिका भेदक, थ्रिप्स एवं पर्ण फुदका कीट लगते है इनके नियंत्रण हेतु फास्फोमिडान या डाइमेथोएट 0.05 प्रतिशत के घोल का छिड़काव 10 से 15 दिन के अंतराल पर दो-तीन छिड़काव करना चाहिए अथवा क़यूनालफॉस 0.07 प्रतिशत का छिड़काव आवश्यकतानुसार करना चाहिए।   जब हमारे खेत में गेंदा की फसल तैयार हो जाती है तो फूलो को हमेशा प्रातः काल ही काटना चाहिए तथा तेज धूप न पड़े फूलो को तेज चाकू से तिरछा काटना चाहिए फूलो को साफ़ पात्र या बर्तन में रखना चाहिए। फूलो की कटाई करने के बाद छायादार स्थान पर फैलाकर रखना चाहिए।पूरे खिले हुए फूलो की ही कटाई करानी चाहिए। कटे फूलो को अधिक समय तक रखने हेतु 8 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पर तथा 80 प्रतिशत आद्रता पर तजा रखने हेतु रखना चाहिए। कट फ्लावर के रूप में इस्तेमाल करने वाले फूलो के पात्र में एक चम्मच चीनी मिला देने से अधिक समय तक रख सकते है। गेंदे की उपज भूमि की उर्वरा शक्ति तथा फसल की देखभाल पर निर्भर करती है।  

बाईट - किसान प्रतीक    
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