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सुनिए कारगिल में शहीद हुए करनाल के प्रगत सिंह के परिवार की दास्तां

कारगिल युद्ध हुए 20 बरस बीत चुके हैं, लेकिन मरने वालो के परिजनों की आंखों के आंसू आज भी नहीं सूखे हैं. साल 2017 में जम्मू कश्मीर के राजौरी बॉर्डर पर शहीद हुए हरियाणा के रंबा गांव का जवान प्रगत सिंह को याद कर उनकी मां की आंखों में आंसू भर आते हैं.

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Published : Jul 26, 2019, 3:13 PM IST

Updated : Jul 26, 2019, 3:29 PM IST

शहीद हुए बेटे के लिए रो पड़ा परिवार

करनाल: आज का दिन हिंदुस्तान के लिए गर्व का दिन है. आज से ठीक 20 बरस पहले हुए कारगील युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ाते हुए घुसपैठियों को कारगिल की पहाड़ियों से वापस खदेड़ दिया था, इस युद्ध में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के करीब तीन हजार जवान मारे गए थे. सलाम उन शहीदों को जिन्होंने देश के खातीर अपने प्राणों की आहुती दी थी.

बेटे को याद कर रोने लगा शहीद परिवार

दिसंबर के साल 2017 में पाकिस्तान की ओर से जम्मू कश्मीर के राजौरी बॉर्डर पर केरी सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से बमबारी की गई थी. इस बमबारी में भारतीय सेना के हरियाणा के गांव रंबा के रहने वाले प्रगत सिंह भी शहीद हुए थे. जैसे ही परिवार वालों को इसकी सूचना मिली तो परिवार में मायूसी का माहौल बन गया, लेकिन वहीं लोगों को अपने वीर सपूतों की शाहदत पर गर्व भी था. शहीद का परिवार आज भी अपने बेटे को नहीं भूल पाया है.

बेटे को याद कर रोने लगी मां

शहीद की मां आज भी अपने बेटे की याद में नम आंखों से रोती है, लेकिन उनको अपने बेटे की कुर्बानी पर गर्व है. उनका कहना है देश के लिए शाहदत जरूरी है. क्योंकि अगर दुश्मनों से लड़ते हुए जान भी गवानी पड़े तो वो मंजूर होना चाहिए.

सेना में जाने का बेटे का सपना

कारगिल विजय दिवस पर प्रगत के परिवार का कहना है की देश की रक्षा के लिए जो जवान शहीद हुए वो हमारे ही बेटे थे. शहीद के परिवार का यह भी कहना है कि नई पीढ़ी को देश सेवा के लिए और देश की रक्षा के लिए शहीद होना पड़े तो पीछे ना हटे. शहीद प्रगत सिंह का 6 से 7 साल का बेटा भी देश सेवा करना चाहता है और हमेशा ही अपने पापा की शहादत की बात करता है. भले ही उसे शाहदत के बारे में अच्छे से ना पता हो.

करनाल: आज का दिन हिंदुस्तान के लिए गर्व का दिन है. आज से ठीक 20 बरस पहले हुए कारगील युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ाते हुए घुसपैठियों को कारगिल की पहाड़ियों से वापस खदेड़ दिया था, इस युद्ध में पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के करीब तीन हजार जवान मारे गए थे. सलाम उन शहीदों को जिन्होंने देश के खातीर अपने प्राणों की आहुती दी थी.

बेटे को याद कर रोने लगा शहीद परिवार

दिसंबर के साल 2017 में पाकिस्तान की ओर से जम्मू कश्मीर के राजौरी बॉर्डर पर केरी सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से बमबारी की गई थी. इस बमबारी में भारतीय सेना के हरियाणा के गांव रंबा के रहने वाले प्रगत सिंह भी शहीद हुए थे. जैसे ही परिवार वालों को इसकी सूचना मिली तो परिवार में मायूसी का माहौल बन गया, लेकिन वहीं लोगों को अपने वीर सपूतों की शाहदत पर गर्व भी था. शहीद का परिवार आज भी अपने बेटे को नहीं भूल पाया है.

बेटे को याद कर रोने लगी मां

शहीद की मां आज भी अपने बेटे की याद में नम आंखों से रोती है, लेकिन उनको अपने बेटे की कुर्बानी पर गर्व है. उनका कहना है देश के लिए शाहदत जरूरी है. क्योंकि अगर दुश्मनों से लड़ते हुए जान भी गवानी पड़े तो वो मंजूर होना चाहिए.

सेना में जाने का बेटे का सपना

कारगिल विजय दिवस पर प्रगत के परिवार का कहना है की देश की रक्षा के लिए जो जवान शहीद हुए वो हमारे ही बेटे थे. शहीद के परिवार का यह भी कहना है कि नई पीढ़ी को देश सेवा के लिए और देश की रक्षा के लिए शहीद होना पड़े तो पीछे ना हटे. शहीद प्रगत सिंह का 6 से 7 साल का बेटा भी देश सेवा करना चाहता है और हमेशा ही अपने पापा की शहादत की बात करता है. भले ही उसे शाहदत के बारे में अच्छे से ना पता हो.

Intro:कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानो को नमन, रम्बा के शहीद जवान के परिवार वाले आज भी करते है अपने जवान बेटे को याद ,बेटे की याद में बहते है आंसू लेकिन फिर दुसरे पल होता है बेटे पर नाज,कारगिल विजय दिवस पर प्रगत के परिवार का संदेश देश पहले बाकी सब बाद में आने वाली पीढ़ी को फोज में भर्ती होकर करनी चाहिये देश सेवा, राजौरी बोर्डर जम्मू कश्मीर में पाकिस्तान की तरफ से किए गए सीज फायर में शहीद हुआ गाँव रम्बा का जवान प्रगत सिंह !Body:पूरा देश कारगिल युद्ध को विजय दिवस के रूप में मना रहा है भारत पाकिस्तान के बीच 1999 में मई में शुरू होकर 26 जुलाई तक चले सशस्त्र संघर्ष में देश के कई वीर सपूत शहीद हुए थे जिन्होंने देश सेवा के आगे अपनी जान तक नोछावर कर दी बीना अपने घर परिवार की परवाह किए ! इन जवानो की शहादत को आज हर कोई सलाम कर रहा है लेकिन इनके आलावा भी देश के लिए कुछ कर गुजरने का होंसला रखने वाले जवानो की भी हमारे पास कमी नही है जो 24 घंटे सीमा पर तैनात रहकर दुशमन की गोली को छाती पर खाने का दम रखते है ! करनाल के रम्बा गाँव के प्रगत सिंह भी कुछ इस तरह थे गरीबी में बचपन गुजरा और जवानी में देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए जिनकी शहादत को आज पूरा गाँव सलाम करता है परिवार वाले भले ही आज अपने बच्चे भाई पति को नही भूल पाए लेकिन उसकी शहादत पर उन्हें गर्व है की वह देश की सुरक्षा के लिए छाती तान कर खड़ा रहा ! कारिगिल विजय दिवस पर इन्ही के माँ बाप का कहना है की अगर शहादत नही होगी तो देश आजाद नही रहेगा देश की आजादी के लिए हमारे बच्चे कुछ भी कर सकते है अपनी जान की बाजी भी वह लगा देते है माँ बाप परिवार वालो को उनके जाने का दुःख तो होता है लेकिन मान होता है अपने बच्चे पर की वह देश के काम आया है !

वीओ- साल 2017 दिसम्बर को पाकिस्तान की तरफ से जम्मू कश्मीर राजौरी बॉर्डर पर एलओसी पर केरी सेक्टर में पाकिस्तान की तरफ से हुई सीज फायरिंग में रम्बा का जवान प्रगत सिंह शहीद हो गया था घर वालो को इसकी सुचना मिली तो हर तरफ मातम पसर गया लेकिन इसके साथ ही सभी को प्रगत की शहादत पर गर्व था देखते ही देखते प्रगत को गए आज इतना समय हो गया लेकिन एक पल ऐसा नही जाता परिवार वाले उसे भुल गए हो क्यूंकि सारे परिवार की जिम्मेदारी उसपर थी हालांकि सरकार की तरफ से दी गयी मदद के तहत परिवार का सही गुजारा चल रहा है ! कारगिल विजय दिवस पर प्रगत के परिवार का कहना है की देश की रक्षा के लिए जो जवान शहीद हुए वो हमारे ही बेटे थे जैसे की प्रगत उनकी शहादत को सलाम है और साथ ही नई पीढ़ी को विनती है देश सेवा सबसे पहले करे क्यूंकि देश की रक्षा के लिए शहीद होना पड़े तो पीछे ना हटे देश पहले बाकी सब बाद में प्रगत सिंह 6 से 7 साल का बेटा भी देश सेवा करना चाहता है और हमेशा ही अपने पापा की शहादत की बात करता है भले ही उसे शहाडट के बारे में अच्छे से ना पता हो !
Conclusion:वीओ- प्रगत की माँ और उनकी पत्नी आज भी अपने बेटे पति को याद कर रो देती है क्यूंकि वह चाहकर भी उसे नही भूल पाती लेकिन देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान की कुर्बानी देने वाले प्रगत पर उनको गर्व है और साथ ही इनका कहना है की शहादत जरूरी है क्यूंकि देश के दुश्मनों से लड़ते हुए मरना ही पड़े वह मंजूर होना चाहिए क्यूंकि यह मिट्टी खून मांगती है और हमारे जवानो ने हमारे देश की मिट्टी के लिए अपना खून बहाया है चाहे कारगिल युद्द में हो या फिर दुश्मन से लड़ते हुए देश की सुरक्षा के लिए !

बाइट- 6 -शहीद प्रगट सिंह की पत्नी- रमनदीप कौर

बाइट-4 - शहीद प्रगट सिंह के पिता- रत्न सिंह

बाइट- 5 -शहीद प्रगट सिंह की माता - सुखविंदर कौर
Last Updated : Jul 26, 2019, 3:29 PM IST
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