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करनाल: आस फाउंडेशन ने चिकित्सा शैक्षणिक व अनुसंधान विभाग में भ्रष्टाचार के लगाए आरोप

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Published : Feb 9, 2022, 4:30 PM IST

हरियाणा में लगातार भ्रष्टाचार का बोलबाला है. ऐसे में सामाजिक संस्था आस फाउंडेशन की उपाध्यक्ष ने बुधवार को सरकार व अधिकारियों पर कई गंभीर आरोप लगाए. साथ ही चिकित्सा शैक्षणिक व अनुसंधान विभाग को भ्रष्टाचार का अड्डा बताया है.

Rani Kamboj accuses Haryana government of corruption
Rani Kamboj accuses Haryana government of corruption

करनाल: हरियाणा में आए दिन किसी न किसी प्रकार के घोटाले के मामले सामने आते रहते हैं. ऐसे में प्रदेश में घोटालों का जमकर बोलबाला है. साथ ही स्वास्थ्य व चिकित्सा विभाग पर भी आए दिन कुछ न कुछ नए खुलासे हो रहे हैं. ऐसे में सामाजिक संस्था आस फाउंडेशन की उपाध्यक्ष रानी कांबोज ने प्रदेश सरकार व अधिकारियों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. रानी कांबोज ने बुधवार को करनाल के एक निजी होटल में प्रेसवार्ता कर सरकार व अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए.

रानी कांबोज ने बताया कि 2009 में चिकित्सा शैक्षणिक व अनुसंधान विभाग बनाया गया था. जो सभी मेडिकल, होम्योपैथी, आयुर्वेद, डेंटल आदि के प्रशासनिक कार्यों को देखने के लिए बनाया गया था, परंतु यह विभाग तभी से भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है. इस विभाग में बैठे अधिकारी फर्जी एनओसी जारी कर करोड़ों का गोलमाल कर चुके हैं. रानी ने कहा कि जुलाई 2020 में 17 फर्जी नर्सिंग कॉलेज का खुलासा आस फाउंडेशन समाजिक संस्था (Aas Foundation Karnal) ने किया था. जिसमें स्वास्थ्य मंत्री के आदेश से लिप्त अधिकारियों को वापस उनके पेरेंट्स विभाग में भेज दिया गया था. लेकिन ना तो जांच सिरे चढ़ी बल्कि भृष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को वापस स्टेशन पर वापस बुला लिया गया.

आस फाउंडेशन ने चिकित्सा शैक्षणिक व अनुसंधान विभाग में भ्रष्टाचार के लगाए आरोप

ये भी पढ़ें- रजिस्ट्री गड़बड़ी मामला: 34 तहसीलदार-नायब तहसीलदार समेत 232 कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश जारी

ऐसे ही एक मामले में भिवानी के लोहानी स्थित बाबा योगी नाथ ट्रस्ट को फर्जी एनओसी जारी की गई. जिसमें सरकार की पॉलिसी के विरुद्ध जाकर अधिकारियों ने नर्सिंग कॉलेज के लिए 4 एकड़ की अनिवार्यता को नजरअंदाज कर फर्जी एनओसी जारी कर दी. जब एक अधिवक्ता ने इसकी तह तक जांच की, तो पाया कि भिवानी के तहसीलदार व पटवारी भी इस घोटाले में लिप्त हैं. जिनमें तहसीलदार ने स्वयं गलत जमीन का गलत सीजर प्रस्तुत किया. बाद में उपायुक्त भिवानी ने जांच की तो स्वयं सीजरा बदल दिया. जांच में तत्कालीन निदेशक चिकित्सा, शैक्षणिक, अनुसंधान विभाग आईएएस साकेत कुमार ने इन सभी अधिकारियों पर FIR के आदेश भी दिए और नेताओं और अफसरों की सांठगांठ के चलते कुछ नतीजा नहीं निकला.

ये भी पढ़ें- अंबाला में फर्जी पासपोर्ट बनाने पर 3 पुलिसकर्मी सस्पेंड, 5 के खिलाफ जांच के आदेश

रानी कांबोज ने दस्तावेज प्रस्तुत कर बताया कि इन्हीं अधिकारियों पर पहले भी अंडर रूल 7 के तहत कार्रवाई के कई बड़े अधिकारियों ने आदेश दिए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. हैरान करने वाली बात ये है कि जब सभी विभागीय जांच से हताश होकर अधिवक्ता ने सीएम विंडो पर शिकायत की, तो उसी विभाग ने सीएम विंडो एमिनेंट सिटीजन राजेंद्र नोनीवाल को जांच करने के लिए कहा और अधिवक्ता को राजेंद्र नोनिवाल का पता ना देकर भाजपा मुख्यालय पंचकूला कोठी नंबर 1086 पर बुलाया गया. जहां भाजपा के बड़े नेता ने अधिवक्ता पर समझौते का दबाव डाला. अन्यथा अंजाम भुगतने की धमकी तक दे डाली. रानी कांबोज ने कहा कि इन सभी घोटालों पर आस फाउंडेशन गरीब जनता के पैसे का हिसाब सीएम से मांगेगी. रानी काम्बोज ने कहा कि इस गंभीर मामले पर संज्ञान ले अन्यथा आस फाउंडेशन कोर्ट के जरिए कार्रवाई करेगी.

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करनाल: हरियाणा में आए दिन किसी न किसी प्रकार के घोटाले के मामले सामने आते रहते हैं. ऐसे में प्रदेश में घोटालों का जमकर बोलबाला है. साथ ही स्वास्थ्य व चिकित्सा विभाग पर भी आए दिन कुछ न कुछ नए खुलासे हो रहे हैं. ऐसे में सामाजिक संस्था आस फाउंडेशन की उपाध्यक्ष रानी कांबोज ने प्रदेश सरकार व अधिकारियों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. रानी कांबोज ने बुधवार को करनाल के एक निजी होटल में प्रेसवार्ता कर सरकार व अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए.

रानी कांबोज ने बताया कि 2009 में चिकित्सा शैक्षणिक व अनुसंधान विभाग बनाया गया था. जो सभी मेडिकल, होम्योपैथी, आयुर्वेद, डेंटल आदि के प्रशासनिक कार्यों को देखने के लिए बनाया गया था, परंतु यह विभाग तभी से भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है. इस विभाग में बैठे अधिकारी फर्जी एनओसी जारी कर करोड़ों का गोलमाल कर चुके हैं. रानी ने कहा कि जुलाई 2020 में 17 फर्जी नर्सिंग कॉलेज का खुलासा आस फाउंडेशन समाजिक संस्था (Aas Foundation Karnal) ने किया था. जिसमें स्वास्थ्य मंत्री के आदेश से लिप्त अधिकारियों को वापस उनके पेरेंट्स विभाग में भेज दिया गया था. लेकिन ना तो जांच सिरे चढ़ी बल्कि भृष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को वापस स्टेशन पर वापस बुला लिया गया.

आस फाउंडेशन ने चिकित्सा शैक्षणिक व अनुसंधान विभाग में भ्रष्टाचार के लगाए आरोप

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ऐसे ही एक मामले में भिवानी के लोहानी स्थित बाबा योगी नाथ ट्रस्ट को फर्जी एनओसी जारी की गई. जिसमें सरकार की पॉलिसी के विरुद्ध जाकर अधिकारियों ने नर्सिंग कॉलेज के लिए 4 एकड़ की अनिवार्यता को नजरअंदाज कर फर्जी एनओसी जारी कर दी. जब एक अधिवक्ता ने इसकी तह तक जांच की, तो पाया कि भिवानी के तहसीलदार व पटवारी भी इस घोटाले में लिप्त हैं. जिनमें तहसीलदार ने स्वयं गलत जमीन का गलत सीजर प्रस्तुत किया. बाद में उपायुक्त भिवानी ने जांच की तो स्वयं सीजरा बदल दिया. जांच में तत्कालीन निदेशक चिकित्सा, शैक्षणिक, अनुसंधान विभाग आईएएस साकेत कुमार ने इन सभी अधिकारियों पर FIR के आदेश भी दिए और नेताओं और अफसरों की सांठगांठ के चलते कुछ नतीजा नहीं निकला.

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रानी कांबोज ने दस्तावेज प्रस्तुत कर बताया कि इन्हीं अधिकारियों पर पहले भी अंडर रूल 7 के तहत कार्रवाई के कई बड़े अधिकारियों ने आदेश दिए थे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. हैरान करने वाली बात ये है कि जब सभी विभागीय जांच से हताश होकर अधिवक्ता ने सीएम विंडो पर शिकायत की, तो उसी विभाग ने सीएम विंडो एमिनेंट सिटीजन राजेंद्र नोनीवाल को जांच करने के लिए कहा और अधिवक्ता को राजेंद्र नोनिवाल का पता ना देकर भाजपा मुख्यालय पंचकूला कोठी नंबर 1086 पर बुलाया गया. जहां भाजपा के बड़े नेता ने अधिवक्ता पर समझौते का दबाव डाला. अन्यथा अंजाम भुगतने की धमकी तक दे डाली. रानी कांबोज ने कहा कि इन सभी घोटालों पर आस फाउंडेशन गरीब जनता के पैसे का हिसाब सीएम से मांगेगी. रानी काम्बोज ने कहा कि इस गंभीर मामले पर संज्ञान ले अन्यथा आस फाउंडेशन कोर्ट के जरिए कार्रवाई करेगी.

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