करनाल: हिंदू पंचांग में प्रत्येक दिन की गणना हिंदू पंचांग के आधार पर की जाती है और उसी आधार पर ही हिंदू धर्म में व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार गुरुवार, 6 जुलाई को संकष्टी चतुर्थी व्रत है. बता दें कि, प्रत्येक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. वहीं, सावन के महीने में आने वाली संकष्टी चतुर्थी को गजानन चतुर्थी कहा जाता है.
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प्रथम पूज्य देवता भगवान गणेश की पूजा का विशेष दिन: हिंदू धर्म में भगवान श्री गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है. इसलिए किसी भी प्रकार के शुभ कार्य करने से पहले भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना की जाती है. शास्त्रों में बताया गया है कि, चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से भगवान श्री गणेश परिवार में खुशहाली और सुख समृद्धि बनाए रखते हैं. इसके अलावा गजानन सभी प्रकार के दुखों का निवारण कर देते हैं. सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू हो चुका है, जो भगवान शिव का प्रिय महीना होता है. सावन के महीने के दौरान संकष्टी चतुर्थी का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि भगवान श्री गणेश भगवान महादेव के पुत्र हैं. ऐसे में इस दिन व्रत में पूजा करने से मनुष्य की आय में वृद्धि होती है और परिवार में सुख समृद्धि आती है.
संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि, हिंदू पंचांग के अनुसार संकष्टी चतुर्थी 6 जुलाई को मनाई जा रही है. चतुर्थी तिथि 6 जुलाई को सुबह 6:31 बजे से शुरू हो रही है, जबकि इसका समापन 7 जुलाई की रात को 3:13 बजे होगा. जिसके शुभ मुहूर्त का समय सुबह 5:26 बजे से शुरू होकर सुबह 10:40 बजे तक रहेगा. इस समय के दौरान अगर कोई भी मनुष्य भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करता है, तो उस पर भगवान श्री गणेश अपनी कृपा बनाए रखते हैं. चतुर्थी का व्रत सूर्योदय से शुरू होता है और चंद्र उदय के साथ समाप्त होता है. इसलिए 6 जुलाई को चंद्रोदय का समय रात 10:12 बजे है.
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संकष्टी चतुर्थी व्रत व पूजा का विधि विधान: पंडित विश्वनाथ कहते हैं कि, चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले मनुष्य को जल्दी उठकर स्नान इत्यादि करके पहले सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए. उसके बाद अपने मंदिर में भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना करने के साथ व्रत रखने का प्रण लेना चाहिए. इस दौरान भगवान गणेश की पूजा करते हुए उनको पीले रंग के फूल और पीले रंग के लड्डू अर्पित करें. इस दिन अपने मंदिर में देसी घी का दीपक जलाकर श्री गणेश की आरती करें. व्रत रखने का संकल्प लेने के साथ ही व्यक्ति को पूरा दिन बिना अन्न के रहना होता है. रात में चंद्र उदय के साथ चंद्र देवता को अर्घ्य देने के बाद अपना उपवास खोलें. भगवान श्रीगणेश को भोग लगाने के बाद ही आप भोजन ग्रहण करें. ऐसा करने से ही श्री गणेश की कृपा उस व्यक्ति के घर और परिवार पर बनी रहती है और परिवार में सुख समृद्धि आती है. शास्त्रों में बताया गया है कि जो भी मनुष्य संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना करता है, विघ्नहर्ता उसकी सभी समस्याओं का निवारण कर देते हैं.
प्रीति योग में होगी संकष्टी चतुर्थी: हिंदू पंचांग के अनुसार सावन संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले से लेकर रात को चंद्रोदय तक पूरा दिन प्रीति योग का संयोग बना रहेगा. इसलिए यह संकष्टी चतुर्थी काफी शुभ रहने वाला है. संकष्टी चतुर्थी के दौरान भद्रा एवं पंचक भी लगने वाला है. भद्रा सुबह 9:29 बजे से शुरू होगा, जबकि इसका समापन सुबह 6:30 बजे होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्थी के दिन भद्रा काल में भी पूजा अर्चना कर सकते हैं. क्योंकि ज्योतिष का मानना है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन भद्रा का वास पाताल लोक में होगा. इसलिए चतुर्थी के दिन पूजा करने पर इसका कोई भी प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. गजानन संकष्टी चतुर्थी के दिन पंचक भी लगने वाला है. पंचक 6 जुलाई को दोपहर 1:38 बजे से शुरू होगा, जिसका समापन अगले दिन सुबह 6:29 बजे होगा.