ETV Bharat / state

Sawan Purnima 2023: सावन अधिकमास पूर्णिमा पर 19 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व - सावन पूर्णिमा शुभ मुहूर्त

इस बार 1 अगस्त को सावन की अधिकमास पूर्णिमा मनाई जा रही है. इस बार इस पूर्णमा पर 19 साल बाद दुलर्भ संयोग बना रहा है. जानें क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि.

Sawan Purnima 2023
Sawan Purnima 2023
author img

By

Published : Jul 29, 2023, 1:06 PM IST

करनाल: सनातन धर्म में हिंदू पंचांग के आधार पर दिनों की गणना की जाती है. उसी के आधार पर त्योहार और व्रत रखे जाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार 1 अगस्त को सावन महीने के अधिक मास की पूर्णिमा मनाई जा रही है. सावन महीने में आने वाली पूर्णिमा को श्रावणी पूर्णिमा भी कहा जाता है. बता दें कि हर महीने पूर्णिमा आती है. जिसका हिंदू धर्म में काफी महत्व होता है. अधिक मास में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है.

ये भी पढ़ें- Aaj Ka Panchang : सावन अधिकमास की एकादशी तिथि आज, भगवान विष्णु की पूजा से मिलेगा सुख का आशीर्वाद

हिंदू पंचांग के अनुसार अधिक मास में पड़ने वाली पूर्णिमा 3 साल के बाद आती है. सावन महीने के अधिक मास की इस पूर्णिमा पर 19 वर्षों बाद संयोग बन रहा है. सावन के महीने में अबकी बार दो पूर्णिमा आ रही हैं. पहली 1 अगस्त को मनाई जा रही है, जबकि दूसरी पूर्णिमा 30 अगस्त को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और साथ ही सत्यनारायण भगवान की पूजा अर्चना की जाती है.

सावन अधिक मास पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार सावन महीने मे अधिक मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 1 अगस्त को सुबह 5 बजकर 21 मिनट से होगी, जबकि इसका समापन 2 अगस्त सुबह 1 बजकर 31 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में सावन महीने की अधिक मास पूर्णिमा व्रत 1 अगस्त मंगलवार के दिन रखा जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन श्रावण मास का तृतीय मंगला गौरी व्रत भी रखा जाएगा.

स्नान-दान का महत्व: सावन अधिक मास पूर्णिमा के दिन स्नान करने बाद दान करने का विशेष महत्व होता है. इसलिए अगर कोई भी इंसान पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद दान करता है, तो वो सबसे उत्तम माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार सावन महीने के अधिक मास में आने वाली पूर्णिमा को स्नान दान करने का पहला शुभ मुहूर्त सुबह 4:18 मिनट से शुरू होगा जिस का समापन सुबह 5:00 बजे हो जाएगा.

वहीं स्नान व दान करने का दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 9:05 से शुरू होकर दोपहर 2:09 तक रहेगा. इस दौरान अगर आप पवित्र नदी में स्नान करने के बाद दान करें, तो पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व होता है. व्रत का पारण चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही किया जाता है. इस दिन चंद्रमा का उदय शाम के 7:16 पर होगा.

सावन अधिक मास पूर्णिमा पर बन रहे शुभ योग: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार सावन महीने के अधिक मास में आने वाली पूर्णिमा पर कई शुभ योग बन रहे हैं. अधिक मास की पूर्णिमा के दिन प्रीति योग और आयुष्मान योग बनने जा रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा के दिन प्रीति योग 8 बजकर 23 मिनट तक रहने वाला है, जबकि इसके बाद आयुष्मान योग शुरू हो जायेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन ही उत्तराषाढ़ा नक्षत्र शाम के 5:33 तक रहेगा. उसके बाद फिर श्रवण नक्षत्र लग जायेगा.

सावन महीने के अधिक मास पूर्णिमा का महत्व: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है, लेकिन सावन महीने के अधिक मास में आने वाली पूर्णिमा का और भी ज्यादा महत्व बढ़ जाता है क्योंकि 19 वर्षों के बाद सावन महीने के अधिक मास में पूर्णिमा आ रही है. पूर्णिमा के दिन मंगला गौरी व्रत व पूर्णिमा व्रत का भी शुभ संयोग बन रहा है. पूर्णिमा के दिन व्रत रखने का विशेष महत्व मिलता है.

इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद पूजा पाठ कर दान करने का विशेष महत्व है. इस दिन माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ पूजा की जाती है और साथ में भगवान विष्णु और लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है. पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की पूजा करने का सबसे सबसे ज्यादा महत्व होता है और जो इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा करता है. उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा का सबसे ज्यादा महत्व होता है, क्योंकि चंद्रमा की पूजा करने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है. जो भी इंसान पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करता है शास्त्रों के अनुसार उस मनुष्य की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति काफी मजबूत होती है और उसको सभी चंद्र दोष से मुक्ति मिल जाती है.

व्रत और पूजा की विधि: हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा के दिन व्रत रखने का और पूजा करने का विशेष महत्व होता है. इसलिए जो भी इंसान पूर्णिमा के दिन व्रत रखना चाहता है. वो सुबह सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें और अपनी इच्छा अनुसार गरीबों व जरूरतमंदों को दान करें, उसके बाद अपने घर के मंदिर में या आसपास किसी मंदिर में जाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें, उनको पीले रंग के वस्त्र, पीला रंग के फूल और फल अर्पित करें.

ये भी पढ़ें- Yearly Horoscope 2023: कुंभ राशि में रहेंगे शनिदेव, जानिए आपका कैसे गुजरेगा नया साल

इसके अलावा भगवान को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं और देसी घी का दीपक जलाएं, उसके बाद व्रत रखने का प्रण लें. ध्यान रहे कि पूर्णिमा के दिन व्रत का प्रण लेने वाले इंसान को पूरा दिन बिना अन्न के रहना होता है और शाम के समय चंद्रोदय के बाद चंद्र देव की पूजा करने के बाद अपना व्रत का पारण करें. पूर्णिमा के दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा भी की जाती है. उसका भी बहुत ज्यादा महत्व होता है. पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करें और उनकी कथा करें. माना जाता है कि जो भी इंसान पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करते हैं. भगवान सत्यनारायण उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं और उनके परिवार में सुख समृद्धि लाते हैं.

करनाल: सनातन धर्म में हिंदू पंचांग के आधार पर दिनों की गणना की जाती है. उसी के आधार पर त्योहार और व्रत रखे जाते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार 1 अगस्त को सावन महीने के अधिक मास की पूर्णिमा मनाई जा रही है. सावन महीने में आने वाली पूर्णिमा को श्रावणी पूर्णिमा भी कहा जाता है. बता दें कि हर महीने पूर्णिमा आती है. जिसका हिंदू धर्म में काफी महत्व होता है. अधिक मास में पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है.

ये भी पढ़ें- Aaj Ka Panchang : सावन अधिकमास की एकादशी तिथि आज, भगवान विष्णु की पूजा से मिलेगा सुख का आशीर्वाद

हिंदू पंचांग के अनुसार अधिक मास में पड़ने वाली पूर्णिमा 3 साल के बाद आती है. सावन महीने के अधिक मास की इस पूर्णिमा पर 19 वर्षों बाद संयोग बन रहा है. सावन के महीने में अबकी बार दो पूर्णिमा आ रही हैं. पहली 1 अगस्त को मनाई जा रही है, जबकि दूसरी पूर्णिमा 30 अगस्त को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और साथ ही सत्यनारायण भगवान की पूजा अर्चना की जाती है.

सावन अधिक मास पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार सावन महीने मे अधिक मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 1 अगस्त को सुबह 5 बजकर 21 मिनट से होगी, जबकि इसका समापन 2 अगस्त सुबह 1 बजकर 31 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में सावन महीने की अधिक मास पूर्णिमा व्रत 1 अगस्त मंगलवार के दिन रखा जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन श्रावण मास का तृतीय मंगला गौरी व्रत भी रखा जाएगा.

स्नान-दान का महत्व: सावन अधिक मास पूर्णिमा के दिन स्नान करने बाद दान करने का विशेष महत्व होता है. इसलिए अगर कोई भी इंसान पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद दान करता है, तो वो सबसे उत्तम माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार सावन महीने के अधिक मास में आने वाली पूर्णिमा को स्नान दान करने का पहला शुभ मुहूर्त सुबह 4:18 मिनट से शुरू होगा जिस का समापन सुबह 5:00 बजे हो जाएगा.

वहीं स्नान व दान करने का दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 9:05 से शुरू होकर दोपहर 2:09 तक रहेगा. इस दौरान अगर आप पवित्र नदी में स्नान करने के बाद दान करें, तो पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व होता है. व्रत का पारण चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही किया जाता है. इस दिन चंद्रमा का उदय शाम के 7:16 पर होगा.

सावन अधिक मास पूर्णिमा पर बन रहे शुभ योग: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार सावन महीने के अधिक मास में आने वाली पूर्णिमा पर कई शुभ योग बन रहे हैं. अधिक मास की पूर्णिमा के दिन प्रीति योग और आयुष्मान योग बनने जा रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा के दिन प्रीति योग 8 बजकर 23 मिनट तक रहने वाला है, जबकि इसके बाद आयुष्मान योग शुरू हो जायेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन ही उत्तराषाढ़ा नक्षत्र शाम के 5:33 तक रहेगा. उसके बाद फिर श्रवण नक्षत्र लग जायेगा.

सावन महीने के अधिक मास पूर्णिमा का महत्व: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है, लेकिन सावन महीने के अधिक मास में आने वाली पूर्णिमा का और भी ज्यादा महत्व बढ़ जाता है क्योंकि 19 वर्षों के बाद सावन महीने के अधिक मास में पूर्णिमा आ रही है. पूर्णिमा के दिन मंगला गौरी व्रत व पूर्णिमा व्रत का भी शुभ संयोग बन रहा है. पूर्णिमा के दिन व्रत रखने का विशेष महत्व मिलता है.

इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद पूजा पाठ कर दान करने का विशेष महत्व है. इस दिन माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ पूजा की जाती है और साथ में भगवान विष्णु और लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है. पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की पूजा करने का सबसे सबसे ज्यादा महत्व होता है और जो इस दिन सत्यनारायण भगवान की कथा करता है. उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा का सबसे ज्यादा महत्व होता है, क्योंकि चंद्रमा की पूजा करने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है. जो भी इंसान पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करता है शास्त्रों के अनुसार उस मनुष्य की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति काफी मजबूत होती है और उसको सभी चंद्र दोष से मुक्ति मिल जाती है.

व्रत और पूजा की विधि: हिंदू पंचांग के अनुसार पूर्णिमा के दिन व्रत रखने का और पूजा करने का विशेष महत्व होता है. इसलिए जो भी इंसान पूर्णिमा के दिन व्रत रखना चाहता है. वो सुबह सूर्योदय से पहले किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें और अपनी इच्छा अनुसार गरीबों व जरूरतमंदों को दान करें, उसके बाद अपने घर के मंदिर में या आसपास किसी मंदिर में जाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें, उनको पीले रंग के वस्त्र, पीला रंग के फूल और फल अर्पित करें.

ये भी पढ़ें- Yearly Horoscope 2023: कुंभ राशि में रहेंगे शनिदेव, जानिए आपका कैसे गुजरेगा नया साल

इसके अलावा भगवान को पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं और देसी घी का दीपक जलाएं, उसके बाद व्रत रखने का प्रण लें. ध्यान रहे कि पूर्णिमा के दिन व्रत का प्रण लेने वाले इंसान को पूरा दिन बिना अन्न के रहना होता है और शाम के समय चंद्रोदय के बाद चंद्र देव की पूजा करने के बाद अपना व्रत का पारण करें. पूर्णिमा के दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा भी की जाती है. उसका भी बहुत ज्यादा महत्व होता है. पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करें और उनकी कथा करें. माना जाता है कि जो भी इंसान पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करते हैं. भगवान सत्यनारायण उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं और उनके परिवार में सुख समृद्धि लाते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.