करनाल: भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर में रोजाना लाखों लोग संक्रमित हो रहे हैं. कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए दो तरीकों से टेस्ट किया जाता है एक रैपिड एंटीजन टेस्ट और दूसरा rt-pcr. ज्यादातर टेस्ट RTPCR किट के जरिए किए जाते हैं. कई बार देखने को मिला है कि आरटी पीसीआर से जो टेस्ट किया जाता है. उसका रिजल्ट अच्छा नहीं मिलता.
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स्थानीय निवासी धर्मवीर ने कहा कि उसके दोस्त को कई दिनों से बुखार आ रहा था. तब उन्होंने rt-pcr किट से कोरोना का टेस्ट करवाया. लेकिन उसमें उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई. तीन-चार दिन बाद उनकी तबीयत ठीक नहीं हुई. जिसके बाद फिर उन्होंने मरीज का सिटी स्कैन करवाया. जिसमें उनको कोरोना संक्रमित होने की सूचना मिली. हालांकि धर्मवीर का दोस्त अब ठीक है, अगर समय रहते पहले टेस्ट में ही पता लग जाता तो ज्यादा अच्छा होता. उनके पैसों की भी बचत होती.
'कोरोना पॉजिटिव लक्षण पर भी नेगिटिव आती है रिपोर्ट'
ओमप्रकाश नाम के स्थानीय ने कहा कि उसके एक रिश्तेदार के बुखार हुआ था. जब उन्होंने कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज करनाल में आरटीपीसीआर किट से कोरोना टेस्ट करवाया तब रिपोर्ट नेगेटिव आई और तीन-चार दिन के बाद जब उनकी तबीयत खराब हुई तो मरीज को निजी अस्तपाल में भर्ती किया. जहां उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई. अगर समय रहते पहले ही टेस्ट में उनका पता लग जाता तो उनको अस्तपाल में एडमिट होने की नौबत नहीं आती.
स्थानीय लोगों ने माना कि कोरोना का टेस्ट करने वाली किट में काफी खामी है. जिसे दूर किया जाना चाहिए. मान लीजिए अगर कोई इंसान कोरोना पॉजिटिव है और उसकी रिपोर्ट आरटीपीआर टेस्ट में नेगिटिव आती है. तो वो इंसान दूसरे लोगों से भी जाकर मिलेगा. जिससे कोरोना के संक्रमण का खतरा और ज्यादा बढ़ेगा.
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करनाल के सीएमओ डॉक्टर योगेश शर्मा ने कहा कि जिले में रोजाना 3000 से 4000 टेस्ट कोरोना वायरस के किए जा रहे हैं. जिनमें से लगभग 1500 से 2000 टेस्ट rt-pcr किट के द्वारा किए जा रहे हैं. उन्होंने खुद माना कि आरटी पीसीआर किट में 80% परिणाम सही दिए जाते हैं, लेकिन 20% परिणाम सही नहीं आते. ये क्या वजह है इसकी जानकारी हमें नहीं है. इसके बारे में एक्सपर्ट ही बता पाएंगे.