करनाल: हरियाणा के करनाल में दुष्कर्म के दोषी को 20 साल की सजा और 25 हजार का जुर्माना लगाया गया है. अतिरिक्त जिला सत्र न्यायधीश करनाल ने नाबलिग लड़की से दुष्कर्म और अपहरण के मामले पर दोषी युवक को सजा सुनाई है. जुर्माना न भरने की एवज में दोषी को 6 माह अतिरिक्त जेल में रहना होगा. इसके अलावा अपहरण के मामलें में अदालत ने युवक को दोषी मानते हुए 4 साल की सजा व 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. जुर्माना न भरने पर युवक की 2 महीने की अतिरक्त सजा और काटनी होगी.
जानकारी के मुताबिक 6 मार्च 2019 को थाना निसिंग में शिकायत दर्ज कराते हुए 15 वर्षीय नाबालिग के पिता ने बताया था कि उसकी बेटी रात के समय से घर से गायब है. उसके लापता होने का उन्हें सुबह मालूम हुआ. जब लड़की घर पर नहीं मिली. काफी कोशिशों के बाद भी लड़की का कोई सुराग नहीं लगा. उन्होंने बताया कि जिस लड़के पर उन्हें शक था, वह भी घर से गायब था. पिता ने लड़के का नाम गुरमीत निवासी गांव डाचर बताया था. पुलिस ने इस संबंध में छानबीन कर लड़की को 21 मार्च को बरामद कर लिया.
लड़की ने अपने ने बताया कि दोषी गुरमीत ने अपनी जेब से रूमाल निकालकर उसके मुंह पर रख दिया. इस वजह से वह बेहोश हो गई और वह उसे अपने साथ ले गया. नाबालिग लड़की ने यह भी बताया कि ने पिस्तौल के बल पर डरा-धमका उसके साथ दुष्कर्म किया गया. पुलिस ने आरोपी युवक को 23 मार्च को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ पर आरोपी के घर से अनाज की टंकी से देसी कट्टा भी बरामद कर लिया गया. इसके बाद पुलिस ने आरोपी के खिलाफ थाना निसिंग में मामला दर्ज कर लिया.
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डॉ. पंकज जिला न्यायवादी ने बताया कि इस मामले की पैरवी करते हुए अदालत में गवाहों एवं सबूतों को मजबूती से पेश किया गया ताकि आरोपियों को अधिक से अधिक सजा मिल सके. सबूतों और गवाहों को देखते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायधीश, करनाल रेणु राणा ने फैसला सुनाते हुए दोषी गुरमीत को दुष्कर्म के मामले 20 साल का कारावास व 25 हजार रुपये का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया है.
जुर्माना न भरने पर दोषी को 6 माह अतिरिक्त जेल में रहना होगा. इसके अलावा अपहरण के मामले में अदालत ने युवक को दोषी मानते हुए 4 साल की सजा व 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. जुर्माना न भरने पर युवक को 2 महीने अतिरक्त सजा काटनी होगी. अदालत ने लड़की को जान से मारने की धमकी देने के मामले में भी दोषी को 2 साल की सजा के आदेश दिए हैं.
जिला न्यायवादी करनाल डॉ. पंकज ने बताया कि सरकार के आदेशों के मुताबिक गंभीर मामलों में दोषियों को अधिक से अधिक सजा दिलाने का प्रयास रहता है. बीते मामलों में भी दोषियों को लंबी सजा करवाई गई है. अदालत में गवाहों एवं सबूतों को मजबूती से पेश किया जाता है, ताकि दोषी बचके निकल ना पाए. दोषियों को सजा मिलने से समाज में भी संदेश जाता है कि अपराधी गतिविधियों में संलिप्त होने से दोषी बच नहीं सकता और आखिर में उसे जेल की सलाखों के पीछे आना ही पड़ता है. इसलिए अदालत ओर सजा का डर अपराध को कम करने में मददगार साबित होता है.