करनाल: अब तक आपने हवा में प्लेन या हेलीकॉप्टर को उड़ते देखा होगा. लेकिन हरियाणा के करनाल में एक ऐसी तकनीक इजाद की गई है. जिसकी मदद से आपकी थाली में परोसे जाने वाले आलू हवा में तैयार होंगे. जी हां, इस तकनीक का नाम है एयरोपोनिक तकनीक. एयरोपोनिक तकनीक के जरिए अब जमीन से ऊपर हवा में आलू लगाया जा सकेगा. आलू उगाने की इस तकनीक का इस्तेमाल बागवानी विभाग की देखरेख में हो रहा है. दरअसल, एयरोपोनिक तकनीक से बिना मिट्टी के ही हवा में आलू उगाया जाता है और पैदावार भी 10 गुना से ज्यादा होती है. इस तकनीक से बने एक पौधे से करीब 40 से 60 आलू पैदा कर सकते हैं.
आलू के बीज तैयार कर अच्छी पैदावार संभव: आने वाले समय में एयरोपोनिक्स तकनीक के जरिए किसान अच्छे किस्म के आलू के बीज तैयार कर अच्छी पैदावार कर सकेंगे. आलू प्रौद्योगिकी केंद्र करनाल ने ऐसा संभव कर दिखाया है. यह आलू उत्पादन करने वाला भारत का सबसे बड़ा एयरोपोनिक्स तकनीकी संस्थान है. माना जा रहा है कि परंपरागत खेती करने वाले किसानों को इस आधुनिक खेती से ज्यादा फायदा होगा. एयरोपोनिक्स तकनीक यानि हवा में आलू उगाने की विधि. इस विधि से आलू की खेती और उसके बीज के उत्पादन में बढ़ोतरी की जा सकती है. ये ज्यादा फायदेमंद है.
एक्सपर्ट का कहना है कि इस तकनीक से आलू के बीज के उत्पादन की क्षमता को तीन से चार गुना तक बढ़ाया जा रहा है. इस तकनीक से सिर्फ हरियाणा ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के किसानों को भी लाभ पहुंचेगा. इस तरह नई-नई तकनीकों के आने से किसानों को जानकारी होने के साथ-साथ उनकी आमदनी में भी बढ़ोतरी हो रही है.
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एयरोपोनिक्स तकनीक से 10 गुना ज्यादा बढ़ोतरी: एक्सपर्ट का मानना है कि आलू की गुणवत्ता दूसरे तकनीक से करने वाले आलू की खेती से काफी बेहतर होती है. इसमें जहां किसान आने वाले समय में एक आलू से 10 बीज कर सकते हैं, तो वहीं एयरोपोनिक्स तकनीक से पैदावार में भी 10 गुना ज्यादा बढ़ोतरी होती है. ऐसे प्लांट लगाने के लिए सरकार विशेषतौर पर अनुदान भी दे रही है. एयरोपोनिक्स तकनीक से आलू में बीमारियां व कीट भी कम लगते हैं. और इसके गुणवत्ता भी काफी अच्छी होती है. इस तकनीक का प्रयोग करके किसान अच्छी गुणवत्ता के आलू का बीज तैयार कर सकते हैं. आलू के बीज दूसरे किसानों को बेचकर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं.
एयरोपोनिक तकनीक से कैसे होती है खेती: इस तकनीक में शुरुआत में लैब से आलू हार्डनिंग यूनिट तक पहुंचते हैं. इसके बाद पौधे की जड़ों को बावस्टीन में डुबोया जाता है. जिसके चलते आलू के पौधों में फंगस नहीं लगता. इसके बाद बेड बनाकर उसमें कॉकपिट में इन पौधों को लगा दिया जाता है. इसके तकरीबन 10 से 15 दिन बाद इन पौधों को एयरोपोनिक यूनिट के अंदर लगा दिया जाता है.
क्या है एयरोपोनिक तकनीक: करनाल में एयरोपोनिक तकनीक से आलू की खेती की जा रही है. एयरोपोनिक तकनीक हवा में आलू उगाने की वो तकनीक है जिससे न केवल आलू के उत्पादन की पैदावार बढ़ सकती है. बल्कि, परंपरागत खेती के मुकाबले आलू में लगने वाले रोग से भी इसे बचाया जा सकता है. इस तकनीक के जरिए उगने वाले आलू की संख्या और गुणवत्ता दोनों ही मोर्चे पर ये तकनीक बेहतर साबित हो रही है.