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गर्मी से आदमी-पशु दोनों बेहाल, जानिए कैसे करें बचाव ?

इस बार भीषण गर्मी ने लोगों को नानी याद दिला दी है. जैठ की गर्मी से लोगों के साथ पशुओं का भी हाल खराब होता जा रहा है. दुधारू पशुओं का दूध सूकने लगा है.

गर्मी का सितम (डिजाइन फोटो)
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Published : Jun 2, 2019, 5:43 PM IST

करनाल: उत्तर भारत में पिछले कुछ दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए हैं. वहीं सीएम सिटी करनाल के लोगों को शुरुआत में ही गर्मी की तपिश ने नानी याद दिला दी है. लगातार पिछले कुछ दिनों से सुबह होते ही पारा चढ़ने से सूरज की तपिश बढ़ना शुरू हो जाती है.

कैसे बचें गर्मी से ?

  • अपने जरूरी काम सुबह के समय निपटा लें
  • पेय पदार्थों का प्रयोग ज्यादा करें
  • शरीर को कपड़ों से पूरा ढकें
  • दिन में नीबू पानी, शिकंजी, शरबत ज्यादा पीएं
  • दोपहर के समय घर से बाहर न निकलें
  • लू से बचने के लिए प्याज खाएं
  • मुंह को कपड़े से ढक कर चलें
  • आंखों को धूप से बचाने के लिए चश्मे का प्रयोग करें
    क्लिक कर देखें वीडियो

पशुओं पर गर्मी का असर

गर्मी के मौसम में पशुओं की स्वशन गति बढ़ जाती है. पशु हांफने लगते हैं, उनके मुंह से लार गिरने लगती है. पशुओं के शरीर में बाइकार्बोनेट आयरनों की कमी और रक्त के पी.एच. में वृद्धि हो जाती है. पशुओं के रियुमन में भोज्य पदार्थों के खिसकने की गति कम हो जाती है. जिससे पाच्य पदार्थों के आगे बढ़ने की दर में कमी आ जाती है.

रियुमन की फर्मेन्टेशन क्रिया में बदलाव आ जाता है. त्वचा की ऊपरी सतह का रक्त प्रभाव बढ़ जाता है. जिसके कारण आंत्रिक ऊतकों का रक्त प्रभाव कम हो जाता है. ड्राय मीटर इंटेक 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है. जिसके कारण दुग्ध उत्पादन में कमी आ जाती है. पशु को लू लगने पर 106 से 108 डिग्री फॉरेन हाइट तेज बुखार होता है.

पशुओं को गर्मी से कैसे बचाएं

  • गर्मी के मौसम में दुग्ध उत्पादन एवं पशु की शारीरिक क्षमता बनाए रखने लिए पशुओं को हरा चारा अधिक मात्रा में दें
  • हरे चारे से 70 से 90 प्रतिशत होती है पानी की पूर्ति
  • पशुओं को हरे चारे के लिए मूंग, मक्का, काऊपी, बरबटी की बुआई करें
  • पशुओं के लिए खाने की नांद के पास पानी की व्यवस्था करें
  • दिन में 2 से 3 बार नमक आटे का पानी पिलाएं
  • पशुओं के शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखने के लिए दिन में छांवदार पेड़ या ठंडे बाड़े में बांधे

करनाल: उत्तर भारत में पिछले कुछ दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए हैं. वहीं सीएम सिटी करनाल के लोगों को शुरुआत में ही गर्मी की तपिश ने नानी याद दिला दी है. लगातार पिछले कुछ दिनों से सुबह होते ही पारा चढ़ने से सूरज की तपिश बढ़ना शुरू हो जाती है.

कैसे बचें गर्मी से ?

  • अपने जरूरी काम सुबह के समय निपटा लें
  • पेय पदार्थों का प्रयोग ज्यादा करें
  • शरीर को कपड़ों से पूरा ढकें
  • दिन में नीबू पानी, शिकंजी, शरबत ज्यादा पीएं
  • दोपहर के समय घर से बाहर न निकलें
  • लू से बचने के लिए प्याज खाएं
  • मुंह को कपड़े से ढक कर चलें
  • आंखों को धूप से बचाने के लिए चश्मे का प्रयोग करें
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पशुओं पर गर्मी का असर

गर्मी के मौसम में पशुओं की स्वशन गति बढ़ जाती है. पशु हांफने लगते हैं, उनके मुंह से लार गिरने लगती है. पशुओं के शरीर में बाइकार्बोनेट आयरनों की कमी और रक्त के पी.एच. में वृद्धि हो जाती है. पशुओं के रियुमन में भोज्य पदार्थों के खिसकने की गति कम हो जाती है. जिससे पाच्य पदार्थों के आगे बढ़ने की दर में कमी आ जाती है.

रियुमन की फर्मेन्टेशन क्रिया में बदलाव आ जाता है. त्वचा की ऊपरी सतह का रक्त प्रभाव बढ़ जाता है. जिसके कारण आंत्रिक ऊतकों का रक्त प्रभाव कम हो जाता है. ड्राय मीटर इंटेक 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है. जिसके कारण दुग्ध उत्पादन में कमी आ जाती है. पशु को लू लगने पर 106 से 108 डिग्री फॉरेन हाइट तेज बुखार होता है.

पशुओं को गर्मी से कैसे बचाएं

  • गर्मी के मौसम में दुग्ध उत्पादन एवं पशु की शारीरिक क्षमता बनाए रखने लिए पशुओं को हरा चारा अधिक मात्रा में दें
  • हरे चारे से 70 से 90 प्रतिशत होती है पानी की पूर्ति
  • पशुओं को हरे चारे के लिए मूंग, मक्का, काऊपी, बरबटी की बुआई करें
  • पशुओं के लिए खाने की नांद के पास पानी की व्यवस्था करें
  • दिन में 2 से 3 बार नमक आटे का पानी पिलाएं
  • पशुओं के शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखने के लिए दिन में छांवदार पेड़ या ठंडे बाड़े में बांधे
HAR                             KARNAL
REPORTER                 RAKESH KUMAR SHARMA

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स्टोरी  -  उत्तर भारत में पिछले कई दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी ने लोगों के छुड़ाए पसीने। जाना जाता है ज्येष्ठ महीना भीषण गर्मी के लिए । इसबार की गर्मी की तपिश ने लोगों को दिलाई नानी याद।  सुबह होते ही पारा चढ़ने से बढ़ जाती है सूरज की तपिश और आसमान उगलने लगता है आग  , लोगों को वर्षों बाद करना पड़ रहा है इतनी भीषण गर्मी का सामना , जहाँ ऐसी गर्मी से आमजन हो रहा है प्रभावित अपने मुंह ओर सिर कपड़े से लपेट,आंखों पर ऐनक लगा गर्मी से बचाव के लिए गन्ने का रस, शिकंजवी ओर पेयजल का सहारा लेते हुए लोग मजबूरी में निपटा रहे अपने जरुरी कामो को वहीं पशुओ पर भी पड़ रहा इसका असर , पशुओ के दूध देने की क्षमता भी हुई काफी कम । 


एंकर - उत्तर भारत में पिछले कुछ दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए है। वही सीएम सिटी करनाल के लोगो को शुरुआत में ही गर्मी की तपिश ने  नानी याद दिला के रख दी है  ! लगातार पिछले कुछ दिनों से सुबह होते ही पारा चढ़ने से सूरज की तपिश बढ़ जाती है । आम जनता अपने जरुरी कामो को सुबह जल्दी निपटाने में लग जाते है मज़बूरी में काम को निपटाने के लिए अपने मुंह ओर सिर कपड़े से लपेट,आंखों पर ऐनक लगा गर्मी से बचाव के लिए गन्ने का रस, शिकंजवी  ओर पेयजल का सहारा ले रहे है। 

वहीं गर्मी के मौसम में पशुओं की स्वशन गति बढ़ जाती है, पशु हांपने लगते हैं, उनके मुंह से लार गिरने लगती है।   पशुओं के शरीर में बाइकार्बोनेट आयनों की कमी और रक्त के पी.एच. में वृद्धि हो जाती है।  पशुओं के रियुमन में भोज्य पदार्थों के खिसकने की गति कम हो जाती है, जिससे पाच्य पदार्थों के आगे बढऩे की दर में कम हो जाती है और रियुमन की फर्मेन्टेशन क्रिया में बदलाव आ जाता है। त्वचा की ऊपरी सतह का रक्त प्रभाव बढ़ जाता है, जिसके कारण आंत्रिक ऊतकों का रक्त प्रभाव कम हो जाता है।ड्राय मेटर इंटेक 50 प्रतिशत तक कम हो जाता है, जिसके कारण दुग्ध उत्पादन में कमी आ जाती है। पशुु को लू लगने पर 106 से 108 डिग्री फेरनहाइट तेज बुुखार होता है सुस्त होकर खाना-पीना छोड़ देता है, मुंह से जीभ बाहर निकलती है तथा सही तरह से सांस लेने में कठिनाई होती है तथा मुंह के आसपास झाग आ जाता है. लू लगने पर आंख व नाक लाल हो जाती है. प्राय: पशु की नाक से खून आना प्रारंभ हो जाता है जिसे हम नक्सीर आने पर पशु के हृदय की धड़कन तेज हो जाती है और श्वास कमजोर पड़ जाती है जिससे पशु चक्कर खाकर गिर जाता है तथा बेहोशी की हालत में ही मर जाता है ! इस रोग से पशुओं को बचाने के लिये कुछ सावधानियां बरतनी चाहिये. पशु आवास में स्वच्छ वायु जाने एवं दूषित वायु बाहर निकलने के लिये रोशनदान होना चाहिए. तथा गर्म दिनों में पशु को दिन में नहलाना चाहिए खासतौर पर भैंसों को ठंडे पानी से नहलाना चाहिए. पशु को ठंडा पानी पर्याप्त पिलाना चाहिए। संकर नस्ल के पशु जिनको अधिक गर्मी सहन नहीं होती है उनके आवास में पंखे या कूलर लगाना चाहिए. पशुओं को इस रोग से बचाने में उसके आवास के पास लगे पेड़-पौधे बहुत सहायक होते हैं। लू लगने पर पशु के शरीर में पानी की कमी हो जाती है, इसकी पूर्ति के लिये पशु को ग्लूकोज की बोतल ड्रिप चढ़वानी चाहिए तथा बुखार को कम करने व नक्सीर के उपचार की विस्तार से जानकारी लेने व चिकित्सा के लिए तुरन्त पशु चिकित्सक से सलाह लें।



वीओ - गर्मी के मौसम में दुग्ध उत्पादन एवं पशु की शारीरिक क्षमता बनाये रखने की दृष्टि से पशु आहार का भी महत्वपूर्ण योगदान है. गर्मी के मौसम में पशुओं को हरे चारे की अधिक मात्रा उपलब्ध कराना चाहिए. इसके दो लाभ हैं, एक पशु अधिक चाव से स्वादिष्ट एवं पौष्टिक चारा खाकर अपनी उदरपूर्ति करता है, तथा दूसरा हरे चारे में 70-90 प्रतिशत तक पानी की मात्रा होती है, जो समय-समय पर जल की पूर्ति करता है. प्राय: गर्मी में मौसम में हरे चारे का अभाव रहता है. इसलिए पशुपालक को चाहिए कि गर्मी के मौसम में हरे चारे के लिए मार्च, अप्रैल माह में मूंग , मक्का, काऊपी, बरबटी आदि की बुवाई कर दें जिससे गर्मी के मौसम में पशुओं को हरा चारा उपलब्ध हो सके. ऐसे पशुपालन जिनके पास सिंचित भूमि नहीं है, उन्हें समय से पहले हरी घास काटकर एवं सुखाकर तैयार कर लेना चाहिए. यह घास प्रोटीन युक्त, हल्की व पौष्टिक होती है. इस मौसम में पशुओं को भूख कम लगती है और प्यास अधिक. पशुपालको पशुओं को पर्याप्त मात्रा में दिन में कम से कम तीन बार पानी पिलाना चाहिए. जिससे शरीर के तापक्रम को नियंत्रित करनेे में मदद मिलती है. इसके अलावा पशु को पानी में थोड़ी मात्रा में नमक एवं आटा मिलाकर पानी पिलाना चाहिए।


बाईट - डॉ बी एस मीणा  वैज्ञानिक  राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान केंद्र करनाल


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