करनाल: आज से कहीं दशक पहले ऐसा समय होता था कि उत्तरी हरियाणा के युवा नौकरी करने की बजाय अपने आप खुद की खेती करना ज्यादा बेहतर समझते थे. आज से 30-40 साल पहले जब युवाओं को नौकरी दी जाती थी तो वह नौकरी छोड़कर भाग आते थे. क्योंकि उतरी हरियाणा में शुरू से ही खेती सबसे अच्छी होती रही है और यहां पर जमीन भी सभी के पास अच्छी होती थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बदलता गया तो यहां पर जमीन भी कम होती गई और जमीन कम होने के कारण मौजूदा समय में रोजगार भी कम है. ऐसे में अब जहां पूरे देश में रोजगार को लेकर कंपटीशन बहुत हो गया है तो यहां के युवा विदेश जाकर कमाने की सोच रखने लगे हैं.
ऐसे में पढ़ाई वीजा पर जाने वाले युवा तो सहजता से विदेश पढ़ाई करने पहुंच जाते हैं, लेकिन डोंकी सिस्टम के जरिए (Donkey system karnal) जाने वाले युवाओं को अक्सर बहुत कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है. हम ऐसे युवाओं से भरे गांव के बारे बताने जा रहे हैं, जिन्होंने विदेश में कमाने का सपना लिए अपनी जमीन बेच दी. लेकिन ना ही वे विदेश पहुंच पाए साथ ही एजेंट को पैसा देने के लिए अपनी जमीन से भी हाथ धो बैठे.
करनाल के बड़थल (Badthal village of Karnal) गांव निवासी नरेश कुमार ने बताया कि वह तीन भाई हैं और तीनों के पास एक-एक लड़का है. तीनों लड़के विदेश गए हुए हैं. जहां पर पढ़ाई के साथ-साथ पैसा भी कमा रहे हैं. उनकी मजबूरी है क्योंकि यहां पर सरकारी नौकरी मिल नहीं पाती है. इसलिए अपने बच्चों को बाहर भेजने के लिए मजबूर हैं. नरेश कुमार ने बताया कि कुछ ऐसे भी युवा होते हैं, जो अपनी जमीन बेच कर बाहर जाते हैं. इसके बावजूद वह नहीं पहुंच पाते और वापस रास्ते से ही अपने गांव आ जाते हैं. ऐसे में उनकी जमीन भी चली जाती है और पैसा भी चला जाता है. जिससे उनकी स्थिति और खराब हो जाती है.
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बड़थल गांव के ही युवा विजय ने बताया कि वह दो भाई हैं. उनके पास 4 एकड़ जमीन है. जिसमें से विजय के हिस्से में 2 एकड़ जमीन ही आती है. विजय ने बताया कि उन्होंने सरकारी नौकरी की कई बार कोशिश की, लेकिन उसमें पास ना होने पर, उन्होंने पढ़ाई के जरिए बाहर जाना सोचा. वहीं पढ़ाई में उनसे पेपर पास नहीं होने पर विजय ने दो नंबर में डोंकी सिस्टम से बाहर जाने की सोची. इसी के लिए विजय ने अपनी 2 एकड़ जमीन 40 लाख रुपए में बेच दी, लेकिन 15-20 दिन मैक्सिको के जंगलों में रहने के बाद वहां से उनको अमेरिका में एंट्री नहीं मिली. फिर दीवार फांदकर गए तो अमेरिकी सरकार ने विजय को डिपोर्ट कर दिया.
विजय ने बताया कि उनके ग्रुप में 30 से 40 लड़के थे. 15-20 दिन का उनका सफर बहुत मुश्किलों भरा रहा, जिसमें कई-कई दिनों तक उनको पानी पर ही जीवित रहना पड़ा और खाने के लिए कुछ भी नहीं मिला. इस दौरान कुछ लड़के गंभीर रूप से बीमार भी हो गए, लेकिन फिर भी सभी को एक आस थी कि किसी भी तरीके से वह अमेरिका पहुंच जाएं और वहां पर काम धंधे पर लग जाएं. लगभग 20 दिनों के बाद वह अमेरिका में दीवार फांद कर गए. जहां पर पुलिस ने उन्हें पकड़कर कैंप में डाल दिया और अदालत में उनकी पेशी की, तब वहां की सरकार ने विजय को डिपोर्ट कर दिया.
यह अकेले विजय की कहानी नहीं है. ऐसे ही सैकड़ों-हजारों युवा हैं, जो इस जरिए से विदेशों में रोजगार कमाने के लिए जाते हैं, लेकिन डोंकी सिस्टम से बाहर जाने वालों को बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. विजय ने बताया कि वहां से आने के बाद उन्होंने एजेंट पर केस भी किया, लेकिन उससे कुछ नहीं बना. विदेश में कमाने के लालच में उनकी 2 एकड़ जमीन भी चली गई और उनका पैसा भी बर्बाद हो गया. अब हालात ऐसे हैं कि विजय को 10 हजार रुपये की एक प्राइवेट नौकरी करनी पड़ रही है.
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वहीं बड़थल निवासी संजीव कुमार ने बताया कि उनके गांव से लगभग 400 युवा बाहर हैं. जो पढ़ाई वीजा और और डोंकी सिस्टम से बाहर गए हुए हैं. लगभग 10 से 12 युवा ऐसे भी हैं जो अपना सबकुछ दांव पर लगा कर जाते हैं और रास्ते से ही वापस आ जाते हैं. इस अकेले गांव से मौजूदा समय में भी लगभग 15 से 20 युवा ऐसे हैं, जो बीच में ही फंसे हुए हैं. जिनका अभी तक यह नहीं पता कि वो वहां पर पहुंच पाएंगे या नहीं.
हरियाणा में विदेश जाने की चाहत में जमीन तक बेचने (selling land for job in abroad in haryana) और फिर सब कुछ गंवाने की ऐसी घटनाओं का शिकार हुए कुछ युवाओं ने कैमरे पर आने से मना कर दिया, जबकि कुछ युवा कैमरे पर आए और अपनी आपबीती बताई. युवाओं का मानना है कि अगर यहां भी रोजगार के अवसर पैदा होते तो युवाओं को बाहर अपनी जमीन बेचकर नहीं जाना पड़ता. मौजूदा समय में जमीन बहुत कम है और दो-तीन एकड़ में खेती भी अच्छे से नहीं हो पाती. ऐसे में युवा अपनी जमीन बेचकर एजेंट को मोटा पैसा देकर बाहर जाना चाहते हैं, लेकिन फिर भी वह बाहर नहीं जा पाते. जिससे वह पूरी तरीके से बर्बाद हो जाते हैं.
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