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पापमोचनी एकादशी 2023: इस बार बन रहे हैं 3 खास संयोग, जानिए भगवान विष्णु को खुश करने का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

साल 2023 की पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2023) 18 मार्च को है. इस बार पापमोचनी एकादशी पर 3 खास संयोग बन रहे हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं पापमोचनी एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा का विधि विधान क्या है.

Papmochani Ekadashi 2023
पापमोचनी एकादशी 2023
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Published : Mar 17, 2023, 2:38 PM IST

करनाल: पापमोचनी एकादशी का हिंदू धर्म में काफी महत्व होता है. कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से अनेक जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं. इसलिए इसको पापमोचनी एकादशी कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार होलिका दहन के बाद और चैत्र नवरात्रि की शुरुआत से पहले आने वाली एकादशी को ही पापमोचनी एकादशी कहते हैं.

पोपमोचनी एकादशी का शुभ मुहूर्त- हिंदू पंचांग के अनुसार पापमोचनी एकादशी का प्रारम्भ 17 मार्च को रात 12 बजकर 7 मिनट से होगा और अगले दिन 18 मार्च को एकादशी तिथि 11 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी. पापमोचनी एकादशी का व्रत उदया तिथि के अनुसार 18 मार्च को रखा जाएगा. व्रत का पारण अगले दिन 19 मार्च को सुबह 6 बजकर 27 मिनट से लेकर सुबह 8:07 पर होगा.

पापमोचनी एकादशी पर बन रहा शुभ संयोग- 18 मार्च 2023 को पड़ने वाली पापमोचनी एकादशी के दिन तीन शुभ संयोग बन रहे हैं. द्विपुष्कर योग 18 मार्च की मध्‍यरात्रि 12 बजकर 29 मिनट से 19 मार्च की सुबह 6 बजकर 27 मिनट तक है. सर्वार्थ सिद्धि योग 18 मार्च की सुबह 6 बजकर 28 मिनट से 19 मार्च की सुबह 12 बजकर 29 मिनट तक है. इसके अलावा शिव योग 17 मार्च की प्रात: 3 बजकर 33 मिनट से 18 मार्च की रात 11 बजकर 54 मिनट तक है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन पूजा पाठ करने से जातकों को शुभ फल की प्राप्ति होगी और दान करने से कई गुना फल मिलता है.

पापमोचनी एकादशी का महत्व- करनाल के पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू शास्त्रों में भगवान श्री कृष्ण को विष्णु भगवान का स्वरूप माना गया है. हर माह की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को एकादशी मनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. 18 मार्च को पापमोचनी एकादशी है. इस दिन जो भी सच्चे मन से व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं उनके कई जन्मों के पाप व दोष दूर हो जाते हैं.

पापमोचनी एकादशी का मूल अर्थ है मनुष्य को किसी भी तरह के पाप से मुक्ति दिलाना. सभी पाप भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के उपरांत दान करने से दूर हो जाते हैं. पापमोचनी एकादशी का जिक्र भविष्ययोत्र पुराण और हरिवासर पुराण में भी मिलता है. जिसमें कहा गया है कि जो मनुष्य इस व्रत को निस्वार्थ भावना से रखते हैं, उन्हें गाय दान करने जितने पुण्य की प्राप्ति होती है. सभी प्रकार के पापों से मनुष्य को मुक्ति मिल जाती है. परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. कहा जाता है कि जाने अनजाने में मनुष्य से जो पाप हुए हैं, इस दिन व्रत रखने से उन सभी पापों से मुक्ति मिलती है.

पापमोचनी एकादशी पूजा की विधि- पापमोचनी एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करने के उपरांत भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की पूजा करें. इसके बाद अपने घर के मंदिर में कलश की स्थापना करें. इसमें अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं. भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, फूल और तुलसी दल समर्पित करें. उसके उपरांत व्रत रखने का प्रण लें और भगवान विष्णु का गुणगान करें. इस दिन आपको बिना खाए ही रहना है. शास्त्रों में कहा गया है कि जो भी इस व्रत को रखते हैं उनको रात को सोना नहीं चाहिए बल्कि भगवान विष्णु का जाप या कीर्तन करना चाहिए. शाम के समय गाय या जरूरतमंदों को भोजन कराकर व्रत खोलें.

करनाल: पापमोचनी एकादशी का हिंदू धर्म में काफी महत्व होता है. कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से अनेक जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं. इसलिए इसको पापमोचनी एकादशी कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार होलिका दहन के बाद और चैत्र नवरात्रि की शुरुआत से पहले आने वाली एकादशी को ही पापमोचनी एकादशी कहते हैं.

पोपमोचनी एकादशी का शुभ मुहूर्त- हिंदू पंचांग के अनुसार पापमोचनी एकादशी का प्रारम्भ 17 मार्च को रात 12 बजकर 7 मिनट से होगा और अगले दिन 18 मार्च को एकादशी तिथि 11 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी. पापमोचनी एकादशी का व्रत उदया तिथि के अनुसार 18 मार्च को रखा जाएगा. व्रत का पारण अगले दिन 19 मार्च को सुबह 6 बजकर 27 मिनट से लेकर सुबह 8:07 पर होगा.

पापमोचनी एकादशी पर बन रहा शुभ संयोग- 18 मार्च 2023 को पड़ने वाली पापमोचनी एकादशी के दिन तीन शुभ संयोग बन रहे हैं. द्विपुष्कर योग 18 मार्च की मध्‍यरात्रि 12 बजकर 29 मिनट से 19 मार्च की सुबह 6 बजकर 27 मिनट तक है. सर्वार्थ सिद्धि योग 18 मार्च की सुबह 6 बजकर 28 मिनट से 19 मार्च की सुबह 12 बजकर 29 मिनट तक है. इसके अलावा शिव योग 17 मार्च की प्रात: 3 बजकर 33 मिनट से 18 मार्च की रात 11 बजकर 54 मिनट तक है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन पूजा पाठ करने से जातकों को शुभ फल की प्राप्ति होगी और दान करने से कई गुना फल मिलता है.

पापमोचनी एकादशी का महत्व- करनाल के पंडित विश्वनाथ ने बताया कि हिंदू शास्त्रों में भगवान श्री कृष्ण को विष्णु भगवान का स्वरूप माना गया है. हर माह की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को एकादशी मनाई जाती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. 18 मार्च को पापमोचनी एकादशी है. इस दिन जो भी सच्चे मन से व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं उनके कई जन्मों के पाप व दोष दूर हो जाते हैं.

पापमोचनी एकादशी का मूल अर्थ है मनुष्य को किसी भी तरह के पाप से मुक्ति दिलाना. सभी पाप भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के उपरांत दान करने से दूर हो जाते हैं. पापमोचनी एकादशी का जिक्र भविष्ययोत्र पुराण और हरिवासर पुराण में भी मिलता है. जिसमें कहा गया है कि जो मनुष्य इस व्रत को निस्वार्थ भावना से रखते हैं, उन्हें गाय दान करने जितने पुण्य की प्राप्ति होती है. सभी प्रकार के पापों से मनुष्य को मुक्ति मिल जाती है. परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. कहा जाता है कि जाने अनजाने में मनुष्य से जो पाप हुए हैं, इस दिन व्रत रखने से उन सभी पापों से मुक्ति मिलती है.

पापमोचनी एकादशी पूजा की विधि- पापमोचनी एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान करने के उपरांत भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की पूजा करें. इसके बाद अपने घर के मंदिर में कलश की स्थापना करें. इसमें अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं. भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, फूल और तुलसी दल समर्पित करें. उसके उपरांत व्रत रखने का प्रण लें और भगवान विष्णु का गुणगान करें. इस दिन आपको बिना खाए ही रहना है. शास्त्रों में कहा गया है कि जो भी इस व्रत को रखते हैं उनको रात को सोना नहीं चाहिए बल्कि भगवान विष्णु का जाप या कीर्तन करना चाहिए. शाम के समय गाय या जरूरतमंदों को भोजन कराकर व्रत खोलें.

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