करनाल: हिंदू पंचांग के आधार पर ही सनातन धर्म में दिनों की गणना की जाती है और हिंदू पंचांग के आधार पर ही प्रत्येक व्रत और त्योहार मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार आज (25 अक्टूबर को) पापांकुशा एकादशी व्रत है. हिंदू वर्ष के आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है.
एक साल में 24 एकादशी: बता दें कि वर्ष में 24 एकादशी आती हैं. वैसे तो सभी एकादशियों का सनातन धर्म में विशेष महत्व होता है, लेकिन पापांकुशा एकादशी का सब एकादशी से बढ़कर महत्व होता है. मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी का व्रत रखने से इंसान के सभी प्रकार के पाप दूर हो जाते हैं और इंसान को सीधा मोक्ष की प्राप्ति होती है.
निर्जला रखते हैं पापांकुशा एकादशी व्रत: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि पापांकुशा एकादशी का व्रत निर्जला व्रत रखा जाता है. इस दिन विशेष तौर पर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है. भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ-साथ माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है. मान्यता है कि जो भी इंसान इस दिन व्रत रखता है भगवान विष्णु उनके द्वारा किए गए जाने-अनजाने में सभी प्रकार के पाप को दूर कर देते हैं. इसके साथ ही परिवार में सुख समृद्धि आती है. आइए जानते हैं इसके व्रत का विधि विधान और इसका महत्व.
पापांकुशा एकादशी का आरंभ: पंडित विश्वनाथ ने बताया हिंदू पंचांग के अनुसार पापांकुशा एकादशी का आरंभ 24 अक्टूबर को दोपहर 3:14 बजे से होगा, जबकि इसका समापन 25 अक्टूबर को दोपहर 12:32 बजे होगा. सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत का त्योहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए इस व्रत को 25 तारीख को रखा जाएगा. पापांकुशा एकादशी के व्रत के पारण का समय 26 अक्टूबर को सुबह 6:28 से 8:43 तक है.
पापांकुशा एकादशी पर बन रहे 2 शुभ योग: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष में आने वाली पापांकुशा एकादशी काफी लाभकारी रहने वाली है. क्योंकि इस दिन दो शुभ योग भी बनते हुए दिखाई दे रहे हैं. इस एकादशी के दिन रवि योग और वृद्धि योग बन रहा है जि काफी शुभ माना जाता है. मान्यता है कि वृद्धि योग में जो भी पूजा अर्चना करते हैं, उनकी पूजा सफल मानी जाती है. ऐसे करने से घर में सुख समृद्धि आती है. एकादशी के दिन वृद्धि योग का आरंभ 24 अक्टूबर को दोपहर 3:40 बजे से होगा, जबकि इसका समापन 25 अक्टूबर को दोपहर 12:18 बजे होगा.
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भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व: रवि योग का आरंभ 25 अक्टूबर को सुबह 6:28 बजे से होगा, जबकि इसका समापन दोपहर 1:30 बजे होगा. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व होता है. इस दौरान अगर कोई पूजा अर्चना करता है तो उसकी पूजा सफल माना जाती है. साथ ही भगवान विष्णु की कृपा उस पर बनी रहती है.
पापांकुशा एकादशी पूजा विधि: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की पूजा अर्चना करें और व्रत रखने का प्रण लें. याद रहे इस दिन विष्णु भगवान के पद्मनाभ रूप की पूजा अर्चना की जाती है. पूजा के दौरान भगवान विष्णु के आगे देसी घी का दीपक जलाएं और उनको पीले रंग के फल, फूल, मिठाई, वस्त्र अर्पित करें. यह व्रत बिल्कुल निर्जला रखना होता है. इसमें पानी तक ग्रहण नहीं करना होता है. पूरे दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के लिए पूजा अर्चना करें. इस दिन विष्णु चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से मन को शांति मिलती है. सुबह और शाम दोनों समय आप भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें. पारण के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे प्रसाद का भोग लगाकर व्रत का पारण कर लें.
पापांकुशा एकादशी का महत्व: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि पापांकुशा का सनातन धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व है. मान्यता है कि जो भी इंसान इस एकादशी का व्रत रखता है, भगवान विष्णु उनके तीन पीढ़ियों तक के सभी प्रकार के पाप और दोष दूर कर देते हैं. मान्यता है कि जो भी पूरे विधि विधान से इस एकादशी का व्रत करने पर 100 सूर्य यज्ञ ओर 1000 अश्वमेध यज्ञ करने के बराबर का फल प्राप्त होता है. शास्त्रों में बताया गया है कि जाने और अनजाने में किसी भी प्रकार से कोई भी पाप हुआ है तो उस पाप का प्रायश्चित करने के लिए पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जाता है. एकादशी व्रत के दौरान इंसान को अपनी इच्छा अनुसार दान भी करना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है.
एकादशी के दिन यह काम करने से बचें: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि पापांकुशा एकादशी के दिन अगर कोई व्रत रखता है तो उसका प्रभाव उसके पूरे परिवार पर पड़ता है. इसलिए व्रत रखने वाले इंसान और उसके परिवार के सदस्यों को इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए. इसके अलावा इस दिन दाल खाने से भी परहेज करना चाहिए. एकादशी व्रत रखने वाले को भूल कर भी जल और अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए. परिवार के सदस्यों को इस दिन मांस, मदिरा और अंडा का सेवन करना चाहिए.