करनाल: इस बार हरियाणा में मानसून (Haryana Heavy Rain) कुछ देरी से आया लेकिन जब आया तो अपने साथ आफत लेकर आया. पिछले कुछ दिनों से प्रदेश के साथ-साथ पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बारिश की वजह से हरियाणा में छोटी नहरें ओवरफ्लो हो रही हैं. जिसके कारण उनके टूटने से सिर्फ करनाल जिले में करीब 1 हजार एकड़ फसल तबाह हो चुकी है. जब हमने जिले के नीलोखेड़ी और उसके आसपास के ग्रामीण इलाकों का जायजा लिया तो वहां की तस्वीरें चौंकाने वाली थी.
दरअसल जिला प्रशासन और नहरीय विभाग की लापरवाही का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. नीलोखेड़ी से होकर गुजरने वाली एक छोटी सी नहर ने ही पूरे गांव को डूबा दिया है. ये नहर तीन जगह से टूट गई है जिसकी वजह से लगभग 100 एकड़ फसल तबाह हो गई. हद तो तब हो गई जब किसानों ने प्रशासनिक अधिकारियों को इसकी सिकायत की तो उन्होंने फोन उठाने ही बंद कर दिए. किसानों का कहना है कि पिछले 5 से 6 दिन हो चुके हैं लेकिन कोई भी प्रशासनिक अधिकारी उनकी मदद के लिए नहीं आया.
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आखिर में थक हारकर ग्रामीणों ने खुद ही नहर की मरम्मत शुरू कर दी और रेत से भरे कट्टों को टूटी हुई जगह पर रखकर पानी रोका गया. लेकिन ये अस्थाई रूप से मरम्मत की गई है और ग्रामीण चाहते हैं की प्रशासन मौके पर आकर इसका स्थाई समाधान निकाले. ग्रामीणों का कहना है कि अगर दोबारा बारिश हुई तो ये बांध फिर से टूट सकता है. वहीं गांव संधीर और बुटाना की करें तो यहां भी यही हाल है. यहां किसानों की 100 एकड़ से ज्यादा की फसल जल्मग्न हो चुकी है और प्रशासन अभी आंखें मूंदे बैठा है.
किसानों ने बताया कि उनके धान की फसल की रोपाई पर अभी तक 10 से 15 हजार रूपये प्रति एकड़ खर्च आ चुका है. लेकिन बारिश ने उनकी महनत पर पानी फेर दिया है. उन्होंने कहा कि हम सरकार से अपील करते हैं कि उनकी खराब हुई फसल की गिरदावरी करवाकर उचित मुआवजा दिया जाए. उनका कहना है कि ये सब नहर विभाग की लापरवाही से हुआ है. अगर समय रहते विभाग के अधिकारी काम करते तो इतना ज्यादा नुकसान नहीं होता. लेकिन अब खेतों में 4 से 5 फुट तक भरा हुआ है और सारी फसल बर्बाद हो गई है.
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ग्रामीणों ने कहा कि उन्होंने अपने फसल का बीमा भी करवाया हुआ है लेकिन उनको सरकार और कृषि विभाग से कोई उम्मीद नहीं कि उनको उनकी फसल का बीमा दिया जाएगा. अगर समय पर प्रशासन का कोई नुमाइंदा ग्रामीणों के पास आ जाता तो ग्रामीण इतने गुस्से में ना होते. उनके अंदर ज्यादा गुस्सा इस बात का है कि उनके गांव में इतना भारी नुकसान हो गया लेकिन फिर भी प्रशासन की तरफ से कोई भी नुमाइंदा उनकी फसल या क्षेत्र का दौरा करने के लिए नहीं आया.
आपको बता दें कि करनाल जिले में नेशनल हाईवे के दोनों तरफ लगभग 300 एकड़ फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. इसमें गांव संधीर, बुटाना, पधानां, रंबा, शामगढ़, उचानी में लगभग 300 एकड़ से ज्यादा फसल बर्बाद हो गयी. जबकि इंद्री और घरौंडा कस्बे में भी लगभग 200 से 300 एकड़ फसल खराब हुई है. लेकिन गिरदावरी करवाने के लिए प्रशासन की तरफ से कुछ नहीं किया जा रहा है.
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वहीं वहीं जब हमारी जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. आदित्य प्रताप से बात हुई तो उन्होंने कहा कि गिरदावरी के लिए जिला उपयुक्त आदेश देते हैं. जब वो आदेश देंगे उसके बाद ही गिरदावरी करवाई जाएगी और उसके बाद ही फसल बर्बादी का सही आंकड़ा सामने आएगा.