करनाल: पहाड़ी इलाकों में हो रही बर्फबारी का असर मैदानी इलाकों में देखने को मिल रहा है. बर्फबारी के चलते उत्तर भारत समेत हरियाणा में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. हैरानी की बात ये है कि हर बार की तरह इस बार भी प्रशासन की तरफ से रैन बसेरों की व्यवस्था तो की गई है. लेकिन इन बसेरों का पता बताने वाले साइन बोर्ड नहीं लगाए गए हैं. इससे जरूरतमंद लोग इन तक नहीं पहुंच पा रहे हैं.
कहने को तो सीएम सिटी करनाल को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिया गया है. लेकिन प्रशासन की अनदेखी के चलते यहां लोग ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं. अधिकतर लोगों को रेन बसेरे का पता ही मालूम नहीं है. अस्पताल चौक सड़क के पास सो रहे लोगों से जब ईटीवी भारत की टीम ने बात की, तो उन्होंने बताया कि उन्हें रेन बसेरे के बारे में पता ही नहीं. सामाजिक सरोकार को समझते हुए ईटीवी भारत की टीम ने उन जरूरतमंदों को प्रशासन द्वारा बनाए गए रैन बसेरों के बारे में अवगत कराया.
रैन बसरों का नहीं है साइन बोर्ड: बता दें कि करनाल नगर निगम ने करीब 12.50 लाख रुपये की लागत से रैन बसेरे के रूप में पांच केबिन बनवा रखे हैं. लेकिन इनके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता है. इस वजह से शहर के जरूरतमंदों को रात के वक्त कड़कती ठंड में सोना पड़ता है. स्मार्ट सिटी के अधिकारियों की लापरवाही इस हद तक है कि शहर में काछवा पुल के नीचे, कैथल रोड पुल के पास, प्रेम नगर में बनाए गए नए रेन बसेरो के पास सांकेतिक बोर्ड तक नहीं लगाए गए हैं.
जरूरतमंदों ने क्या कहा? विनोद नाम के शख्स ने बताया कि 'मुझे रैन बसेरे के बारे में पता नहीं था. मैं पूछ कर वहां गया. लेकिन वहां लोग लड़ाई करते हैं. इस वजह से हम यहां सोने को मजबूर है.' वहीं रैन बसेरों में रह रहे लोगों से भी हमने बात की. वहां रह रहे लोगों ने बताया कि रैन बसेरों में अच्छी व्यवस्था की गई है. उन्हें किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं हो रही, रैन बसेरों में पीने के पानी से लेकर लाइट तक अच्छे इंतजाम किए गए हैं.
करनाल शहर में 6 रैन बसेरे: करनाल नगर निगम ने शहर में कुल 6 रेन बसेरे स्थापित किए हैं. जिसमें 5 पोटा केबिन पूरी तरह से रेडीमेड है. कंटेनर की तरह दिखने वाले एक पोटा केबिन की कीमत लगभग 2.50 लाख रुपये है. इसके अलावा नगर निगम द्वारा एक रैन बसेरा स्थाई रूप ने बनाया गया है. जो कैथल रोड पुल के नीचे प्रेमनगर में बनाया गया है. इसमे जरूरतमंद लोगों के लिए सर्दी से बचने के लिए सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध है. इसमें 80 लोगों के रुकने की व्यवस्था की गई है. यहां पर परिवार सहित लोग रह सकते हैं. दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधा है और कैंटीन भी बनाई गई है.
शहर में अलग-अलग जगह 50 से अधिक लोग इन पोटा केबिन में रात को सो सकते हैं. इस संबंध में नगर निगम कमिश्नर अभिषेक मीना ने कहा कि जरूरतमंद लोगों को रैन बसेरों का आसानी से पता चल सके, इसके लिए जल्द सांकेतिक बोर्ड लगा दिए जाएंगे. बिस्तरों की सुविधा व रखरखाव पर निगरानी रहेगी. उन्होंने कहा कि रेड क्रॉस की टीम द्वारा लोगों को जागरूक करने का काम किया जाएगा, ताकि कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति बाहर ना सोए.
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