करनाल: रोजगार की गाड़ी जब पटरी से उतर जाए तो हालात अक्सर आपका साथ छोड़ देते हैं. ऐसा ही कुछ आजकल प्रवासी मजदरों के साथ हो रहा है. प्रदेश में रह रहे प्रवासी मजदूर दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. सरकार और प्रशासन लगातार उनको खाना और रहने की व्यवस्था के कसीदे पढ़ रहा है, लेकिन ऐसा हर जगह नहीं है.
बीती शाम कुछ प्रवासी मजदूर करनाल के लघु सचिवालय पहुंचे और प्रशासन ने घर जाने की गुहार लगाने लगे. इस दौरान प्रवासी मजदूरों ने कहा कि उनकी हालत खराब हो गई है. न रोजगार रहा, न मजदूरी, अब हम लोग भूखे मर रहे हैं. आप हमें बिहार तक घर भेजने का इंतजाम कर दो. हमारी मेडिकल जांच हो गई है. सभी कागजात भी भर दिए और रजिस्ट्रेशन भी हो गया फिर भी हम सड़कों पर हैं. हमें घर भेज दो.
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जैसे ही तहसीलदार को उनके सड़क पर बैठने की बात पता चली तो तहसीलदार मौके पर पहुंच गए. उनको तहसीलदार ने समझाया, लेकिन कोई हल नहीं निकला. जब ये लोग वहां से नहीं गए तो पुलिस ने इनको खदेड़ दिया. सभी लोग रोते हुए वहां से चले गए. तहसीलदार का आश्वासन तो मिल गया है लेकिन समाधान कुछ नहीं निकला है.