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आज साल का सबसे बड़ा दिन, इसका धार्मिक महत्व और किस राशि पर पड़ता है अधिक प्रभाव? - साल की सबसे छोटी रात

साल का सबसे बड़ा दिन 21 जून को होता है. 21 जून को दिन 12 घंटे की जगह करीब 15 घंटे का दिन होता है. दरअसल इस दिन 21 जून के दिन सूर्य उत्तरायण और दक्षिणायन में प्रवेश करता है. इस दिन का वैज्ञानिक के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी है. आखिर इसका प्रभाव किस राशि पर सबसे अधिक पड़ता है जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर... (Longest Day Of The Year 2023)

Longest Day Of The Year 2023
साल का सबसे बड़ा दिन
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Published : Jun 19, 2023, 8:02 AM IST

Updated : Jun 21, 2023, 6:05 AM IST

पंडित विश्वनाथ से जानिए साल के सबसे बड़े दिन का धर्मिक महत्व.

करनाल: हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन के गणना हिंदू पंचांग के आधार पर की जाती है. हिंदू पंचांग के आधार पर ही हिंदू धर्म में प्रत्येक त्यौहार और व्रत रखे जाते हैं. वहीं, अगर बात करें 21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन होता है. हालांकि इस दिन के बारे में बड़ा दिन होने की पुष्टि वैज्ञानिकों के द्वारा की जाती है. खगोलीय वैज्ञानिकों के अनुसार 21 जून को सूर्य मध्याह्न में कर्क रेखा के ऊपर होता है. जिसके चलते दिन की अवधि करीब 15 घंटे हो जाती है. इसी दिन की रात में साल की सबसे छोटी रात भी होती है. ऐसै में आइये जानते हैं साल का सबसे बड़ा दिन होने का क्या धार्मिक महत्व है.

ये भी पढ़ें: Ashadha Gupt Navratri: सुख शांति के लिए गुप्त नवरात्रि में करें ये खास उपाय, जानिए घटस्थापना शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन: पंडित विश्वनाथ के अनुसार 21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन होता है. इसका मुख्य कारण यह होता है कि सूर्य कर्क रेखा के बिल्कुल ऊपर होता है और इसी के चलते यह सबसे बड़ा दिन होता है. माना जाता है कि इस दिन दोपहर के समय इंसान की परछाई भी सूर्य की धूप में दिखाई नहीं देती है. उन्होंने कहा कि इसमें धार्मिक दृष्टि से यह महत्व है कि सूर्य 6 महीने उत्तरायण और 6 महीने दक्षिणायन होता है.

सूर्य उत्तरायण और दक्षिणायन में करते हैं प्रवेश: मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण हो जाता है जो 6 महीने तक उत्तरायण में ही रहता है. वहीं, 21 जून के दिन सूर्य देव उत्तरायण और दक्षिणायन में प्रवेश करते हैं जिससे सूर्य देव की गति धीमी हो जाती है. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को सिंह राशि का स्वामी कहा गया है.

सिंह राशि पर प्रभाव: इसलिए शास्त्रों के अनुसार 21 जून के दिन से सूर्य का दक्षिणायन होने के चलते सूर्य देव की गति धीमी होने के कारण सिंह राशि वालों पर इसका प्रभाव पड़ता है. इसलिए सिंह राशि वालों को सुबह जल्द स्नान इत्यादि करके सूर्य देव को लाल चंदन डाल कर जल देना चाहिए. ऐसा करने से सिंह राशि वालों का सूर्य मजबूत होता है और उन पर सूर्य देव की कृपा बनी रहती है.

इस वजह से आषाढ़ महीने में मांगलिक कार्य है वर्जित: वहीं, साल में 6 महीने देवी देवताओं की पूजा के लिए माने जाते हैं, जबकि 6 महीने पितरों की पूजा के लिए माने जाते हैं. सूर्य देव का दक्षिणायन होने के कारण आषाढ़ के महीने में सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. इसके साथ ही पितरों से संबंधित काम शुरू हो जाते हैं. इन दिनों के दौरान पितरों के लिए पूजा अर्चना की जाती है और उनके ही कर्म पाठ किए जाते हैं. धार्मिक दृष्टि से इनको मनुष्य पर सिर्फ 21 जून यानी साल के सबसे बड़े दिन का इतना ही प्रभाव पड़ता है.

पंडित विश्वनाथ से जानिए साल के सबसे बड़े दिन का धर्मिक महत्व.

करनाल: हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन के गणना हिंदू पंचांग के आधार पर की जाती है. हिंदू पंचांग के आधार पर ही हिंदू धर्म में प्रत्येक त्यौहार और व्रत रखे जाते हैं. वहीं, अगर बात करें 21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन होता है. हालांकि इस दिन के बारे में बड़ा दिन होने की पुष्टि वैज्ञानिकों के द्वारा की जाती है. खगोलीय वैज्ञानिकों के अनुसार 21 जून को सूर्य मध्याह्न में कर्क रेखा के ऊपर होता है. जिसके चलते दिन की अवधि करीब 15 घंटे हो जाती है. इसी दिन की रात में साल की सबसे छोटी रात भी होती है. ऐसै में आइये जानते हैं साल का सबसे बड़ा दिन होने का क्या धार्मिक महत्व है.

ये भी पढ़ें: Ashadha Gupt Navratri: सुख शांति के लिए गुप्त नवरात्रि में करें ये खास उपाय, जानिए घटस्थापना शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन: पंडित विश्वनाथ के अनुसार 21 जून को साल का सबसे बड़ा दिन होता है. इसका मुख्य कारण यह होता है कि सूर्य कर्क रेखा के बिल्कुल ऊपर होता है और इसी के चलते यह सबसे बड़ा दिन होता है. माना जाता है कि इस दिन दोपहर के समय इंसान की परछाई भी सूर्य की धूप में दिखाई नहीं देती है. उन्होंने कहा कि इसमें धार्मिक दृष्टि से यह महत्व है कि सूर्य 6 महीने उत्तरायण और 6 महीने दक्षिणायन होता है.

सूर्य उत्तरायण और दक्षिणायन में करते हैं प्रवेश: मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण हो जाता है जो 6 महीने तक उत्तरायण में ही रहता है. वहीं, 21 जून के दिन सूर्य देव उत्तरायण और दक्षिणायन में प्रवेश करते हैं जिससे सूर्य देव की गति धीमी हो जाती है. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को सिंह राशि का स्वामी कहा गया है.

सिंह राशि पर प्रभाव: इसलिए शास्त्रों के अनुसार 21 जून के दिन से सूर्य का दक्षिणायन होने के चलते सूर्य देव की गति धीमी होने के कारण सिंह राशि वालों पर इसका प्रभाव पड़ता है. इसलिए सिंह राशि वालों को सुबह जल्द स्नान इत्यादि करके सूर्य देव को लाल चंदन डाल कर जल देना चाहिए. ऐसा करने से सिंह राशि वालों का सूर्य मजबूत होता है और उन पर सूर्य देव की कृपा बनी रहती है.

इस वजह से आषाढ़ महीने में मांगलिक कार्य है वर्जित: वहीं, साल में 6 महीने देवी देवताओं की पूजा के लिए माने जाते हैं, जबकि 6 महीने पितरों की पूजा के लिए माने जाते हैं. सूर्य देव का दक्षिणायन होने के कारण आषाढ़ के महीने में सभी मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है. इसके साथ ही पितरों से संबंधित काम शुरू हो जाते हैं. इन दिनों के दौरान पितरों के लिए पूजा अर्चना की जाती है और उनके ही कर्म पाठ किए जाते हैं. धार्मिक दृष्टि से इनको मनुष्य पर सिर्फ 21 जून यानी साल के सबसे बड़े दिन का इतना ही प्रभाव पड़ता है.

Last Updated : Jun 21, 2023, 6:05 AM IST
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