करनाल: सड़कों पर चलते हुए अक्सर वाहन कई तरह की दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं जिसमें किसी की जान चली जाती है तो कोई गंभीर रूप से घायल हो जाता है. लेकिन वाहनों में अगर फर्स्ट एड किट हो तो समय पर घायल व्यक्ति या फिर किसी बीमार को उपचार देकर उसे बचाया जा सकता है.
हरियाणा रोडवेज की बसों में फर्स्ट एड किट कि कमी
ईटीवी भारत की टीम ने करनाल में हरियाणा रोडवेज की बस और टूर एंड ट्रेवल्स के वाहनों का जायजा लिया और इस दौरान पाया गया कि रोडवेज की बसों में फर्स्ट एड किट के नाम पर महज औपचारिक्ता की गई है. ज्यादातर बसों में मौजूद फर्स्ट एड किट खाली ही मिलें.
वहीं करनाल बस स्टैंड के वर्कशॉप के फोरमैन अनिल से जब बात की तो उन्होंने कहा कि ऐसी बहुत सी बसे हैं जिस पर पक्के रूट नहीं है और ना ही पक्के तौर पर चालक परिचालक लगे हैं तो अपने बैग में ही फर्स्ट एड किट रखते हैं.
बसों में फर्स्ट एड किट को लेकर जब करनाल डिपो के महाप्रबंधक कुलदीप सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि विभाग के द्वारा प्रत्येक परिचालक को फर्स्ट एड किट दी जाती है और अगर परिचालक फर्स्ट एड किट को लेकर कोई लापरवाही बरतता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
उन्होंने बताया कि करनाल डिपो में लगभग 156 बस है जिसमें सभी को विशेष तौर पर आदेश दिए गए है कि फर्स्ट एड किट को मेंटेन रखें. अगर कोई परिचालक लापरवाही बरतता है या उसके खिलाफ फर्स्ट एड किट से संबंधित को शिकायत आती है तो उस पर विभाग द्वारा कार्रवाई भी की जाती है.
प्राइवेट बसों में ज्यादा बहतर हालात
हरियाणा रोडवेज की बसों का जायजा लेने के बाद टूर एंड ट्रेवल्स के वाहनों का जायजा लिया गया और यहां सरकारी वाहनों से ज्यादा बहतर हालात मिले. लगभग सभी वाहनों में फर्स्ट एड किट थी और उनमें प्रर्याप्त मात्रा में दवाईयां थी.
कर्मशियल वाहन चालकों ने बताया कि वो कई दिनों के लिए यात्रियों को लेकर दूसरे राज्यों में जाते हैं और उस दौरान अगर उनके साथ कोई दुर्घटना हो जाती है तो फर्स्ट एड किट का इस्तेमाल किया जाता है.
वहीं आरटीओ विभाग के इंस्पेक्टर जोगिंदर ढुल का कहना है कि सार्वजनिक तौर पर प्रयोग किए जाने वाली गाड़ियां विभाग के पास पासिंग के लिए जब आती है तब हम सभी नियम पास होने पर ही लाईसेंस देते हैं और उनमें सबसे महत्वपूर्ण है फर्स्ट एड किट, अगर किसी गाड़ी में फर्स्ट एड किट नहीं है या उसमें रखने वाला समान पूरा नहीं है तो विभाग की तरफ से उसको पास नहीं किया जाता.
ये भी पढ़ें: पशुओं को मुंह-खुर और गलघोंटू बीमारी से बचाएं, इस तरह लगवाएं वैक्सीन
अब आरटीओ विभाग द्वारा कितनी कार्रवाई की जाती है इसका तो कोई अंदाजा नहीं लेकिन हमारी ग्राउंड रिपोर्ट में ये जरूर पाया गया कि कर्मशियल वाहनों के मुकाबले हरियाणा रोडवेज की बसों में फर्स्ट एड किट की कमी ज्यादा है.