करनाल: इस बार खेतों में सरसों की फसल (Mustard crop in Haryana) काफी अच्छी खड़ी थी. जिस कारण किसानों को सरसों की बम्पर पैदावार होने की उम्मीद थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से मौसम में अचानक बदलाव होने से सरसों की फसल को काफी नुकसान हुआ है. सरसों कि फसल में हरा तेला नाम की बीमारी (disease in mustard crop) का प्रकोप होने से किसानो में भारी चिंता सताने लगी है.
इस बीमारी से सरसों की फसल में फूल अच्छा नहीं बनेगा. जिससे की पैदावार पर सीधा असर पड़ेगा. कृषि अधिकारी डॉक्टर जेएन भाटिया ने ईटीवी भारत से फोन पर बताया कि पिछले कुछ दिनों से मौसम के बदलाव, मौसम में नमी के कारण कई गावों के खेतों में खड़ी सरसों की फसल में हरा और काला तेला की बीमारी के प्रकोप की संभावनाएं ज्यादा हो गई हैं. अगर ये बीमारी ऐसे ही बनी रही तो उत्पादन पर गहरा असर पड़ सकता है.
उन्होंने किसानों को सलाह दी कि हरा तेला शुरू में खेतों के चारों तरफ के पौधों पर आता है, फिर धीरे-धीरे ये अपना परिवार बढ़ाना शुरू कर देता है. अगर ये शुरू में कम है तो किसान प्रभावित पौधों की टहनी को तोड़ दें. उस से भी ये प्रकोप नियंत्रण हो सकता है. कृषि अधिकारी ने बताया कि वो अपनी मर्जी से सरसों पर दवाइयों का इस्तेमाल ना करें. इसके प्रकोप को रोकने के लिए मेटासेटोक, डेमोक्रैनिक, रोगर दवाई 200 एमएल को 150 लीटर पानी में घोल कर स्प्रे करें.
इसे इन बीमारियों का प्रभाव कम हो जाता है. इसके साथ जब ये हरा तेला सरसों पर आता है तो ये पौधों पर मधुश्राप छोड़ देता है. जिस से पौधे की पतियां काली हो जाती हैं. जिस से पौधे की प्रकाश संस्लेसन क्रिया पूरी नहीं होती और पौधा अपने लिए पूरा भोजन नहीं बना पाता जिसका सीधा असर पैदावार पर पड़ता है. पीले रतवे के लिए फोफिट कोनोजोन का छिड़काव करें. अगर फिर भी नहीं जाता तो दोबारा दस दिन बाद दोबारा स्प्रे करें.
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