ETV Bharat / state

हरियाणा का वो गांव जहां महाभारत काल में बकासुर राक्षस का आहार बने थे भीम, जानिए अक्षय वट तीर्थ की विशेषता - barthal village karnal

इतिहास में आज भी कई ऐसे किस्से और कहानियां हैं. जिनके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता है. ऐसी ही एक कहानी है करनाल के बड़थल गांव स्थित अक्षय वट तीर्थ की. यहां महाभारत काल से जुड़े कई किस्से मौजूद हैं. जानें क्या है यहां का इतिहास

Story of Haryana
हरियाणा की ऐतिहासिक कहानी
author img

By

Published : Jan 29, 2023, 3:28 PM IST

Updated : Jan 29, 2023, 4:07 PM IST

हरियाणा को वो गांव जहां महाभारत काल में बकासुर राक्षस का आहार बने थे भीम, जानिए अक्षय वट तीर्थ की विशेषता

करनाल के गांव बड़थल में अक्षय वट तीर्थ है. महाभारत काल के दौरान इस तीर्थ का निर्माण किया गया था. ये तीर्थ 48 कोस की भूमि में कुरुक्षेत्र में स्थिति है. अक्षय वट नामक ये तीर्थ करनाल से लगभग 27 किमी दूर व कुरुक्षेत्र से 15 किलोमीटर दूर बड़थल गांव में स्थित है. इस तीर्थ का वर्णन महाभारत, अग्निपुराण, पद्मपुराण, वायुपुराण और ब्रह्मपुराण मे मिलता है. इस तीर्थ पर पितरों के निमित्त दिया हुआ दान अक्षय होता है, इसलिए इसे अक्षयवट तीर्थ की संज्ञा दी गई है.

Story of Haryana
महाभारत काल से जुड़े कई किस्से

माना जाता है कि अक्षय वट तीर्थ पर जाकर जो व्यक्ति ब्राह्मणों को संतुष्ट करता है और उनकी अर्चना कर उन्हें प्रसन्न करता है. उससे पितरों सहित सारे देवता संतुष्ट हो जाते हैं. ब्रह्म पुराण मे इसे पुलस्त्य मुनि की तपस्थली कहा गया है. बताया जाता है कि अक्षयवट विष्णु का एकमात्र स्थान होने से लोकपूज्य हुआ और नाश रहित होने के कारण अक्षय वट के नाम से प्रसिद्ध हुआ. अगर कोई भी शख्स इस तीर्थ के सच्चे मन से दर्शन करता है, तो उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.

महाभारत कालीन वटवृक्ष: इस तीर्थ स्थल पर शिवलिंग भी मौजूद है. कहा जाता है कि ये महाभारत काल से ही यहां है. जिसे अब गांव वासियों ने एक शिव मंदिर बना दिया है. उसी मंदिर के पास ही अक्षय वट तीर्थ है. वहीं पर एक सूर्यकुंड भी मौजूद है. माना जाता है कि इस सूर्य कुंड में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. कुष्ठ व चरम रोग से निजात मिलता है. इस तीर्थ पर लगा बरगद का पेड़ जिसको वटवृक्ष कहते हैं यह भी महाभारत कालीन बताया जाता है, जो 5000 वर्ष पुराना है.

Story of Haryana
बकासुर राक्षस से जुड़ा किस्सा

बकासुर राक्षस से जुड़ा किस्सा: गांव के ही ज्योतिषाचार्य पंडित विश्वनाथ ने बताया कि महाभारत काल में इस स्थान का काफी महत्व रहा है. गांव के बुजुर्गों ने अपनी आने वाली पीढ़ियों को बताया था कि यह वही स्थान है, जहां पर महाभारत काल में भीम ने बकासुर नामक राक्षस का वध किया था. बकासुर राक्षस इसी गांव में रहता था और वह हर रोज एक घर से एक व्यक्ति को अपना आहार बनाता था. उस गांव में उस वक्त पंडित के घर में बनवास के दौरान पांचों पांडव कुछ समय के रहने आए थे. एक दिन उस घर की बारी आ गई जिसमें पांडव थे. जब घर वाले परेशान दिखे तो पांडवों ने उनसे उनकी परेशानी जानी. तब भीम ने बकासुर राक्षस का आहार बनने की बात कहकर उसके पास चला गया और उसका वध कर दिया था.

Story of Haryana
महाभारत कालीन वटवृक्ष

महाभारत काल से जुड़ी कांच की सीढ़ियां: बताया जाता है कि भगवान नारायण भी खुद ही इस गांव में कई बार आए थे. गांव वाले बताते हैं कि गांव में जो सूर्य कुंड मौजूद है, इस सूर्यकुंड के अंदर कांच की सीढ़ियां भी बनी हुई हैं. जो महाभारत काल से ही जुड़ी हुई हैं. इस तीर्थ का दृश्य इतना मनमोहक है कि इसमें सूर्य कुंड के एक तरफ शिव मंदिर बना हुआ है तो तीन तरफ ऊंचे टीले हैं. हालांकि टीलों की ऊंचाई अब कम हो गई है. बताया जाता है कि यहीं पर भीम ने अपनी जुतियों से मिट्टी को झाड़ा था तब से यहां पर तीन बड़े टीले बन गए थे.

Story of Haryana
अक्षय वट तीर्थ पर लगता था मेला

मनोकामनाएं होती हैं पूरी: शिव मंदिर के निवासी महंत तपस्वी नागा महंत नवल गिरि ने बताया कि यहां पर जो भी भक्त मनोकामना लेकर आते हैं, वह पूरी होती है. यहां दूर-दराज से लोग अक्षय वट तीर्थ पर स्नान करने के लिए आते हैं, जिससे से चर्म रोग दूर होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है. यह स्थान तपोस्थली भी माना जाता है. यहां पर बड़े-बड़े ऋषि मुनियों ने यहां पर तप किया है.

बताया जाता है कि इस मंदिर में कई महंत ने तप उपरांत समाधि ले ली थी. वही मंदिर के महंत ने बताया कि आज से कई दशक पहले गांव में काफी ओलावृष्टि हुई थी. महंत ने अपनी शक्ति के द्वारा उस ओलावृष्टि को इस सूर्य कुंड में उतार दिया था. इससे गांव वालों की फसल बर्बाद होने से बच गई थी. जब गांव वालों ने बाबा की शक्ति को देखा तो सभी हैरान रह गए थे.

Story of Haryana
महाभारत काल से जुड़ी कांच की सीढ़ियां

ये भी पढ़ें- इस गांव में हुआ था श्रीराम की माता कौशल्या का जन्म, यहां से जुड़े हैं कई रहस्य

अक्षय वट तीर्थ पर लगता था मेला: किसी समय में इस सूर्य कुंड पर बने अक्षय वट तीर्थ पर मेला भी लगता था. जो कुछ साल पहले बंद हो गया है. गांव वाले अब उसको दोबारा लगाने की बात कह रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनके इस तीर्थ का काफी महत्व है और उस तीर्थ के बदौलत ही उनका गांव फल फूल रहा है. गांव की आबादी करीब आठ हजार है. गांव से करीब 500 बच्चे विदेशों में रहकर काम कर रहे हैं. गांव में करीब 200 से 300 के करीब नौकरियां हैं. खेती-बाड़ी के क्षेत्र में भी इस गांव के लोग काफी आगे है. जिसे स्पष्ट होता है कि यह एक आबाद गांव है. इस गांव का वर्णन वेद पुराणों में भी मिलता है. इसलिए इस तीर्थ का काफी महत्व है.

हरियाणा को वो गांव जहां महाभारत काल में बकासुर राक्षस का आहार बने थे भीम, जानिए अक्षय वट तीर्थ की विशेषता

करनाल के गांव बड़थल में अक्षय वट तीर्थ है. महाभारत काल के दौरान इस तीर्थ का निर्माण किया गया था. ये तीर्थ 48 कोस की भूमि में कुरुक्षेत्र में स्थिति है. अक्षय वट नामक ये तीर्थ करनाल से लगभग 27 किमी दूर व कुरुक्षेत्र से 15 किलोमीटर दूर बड़थल गांव में स्थित है. इस तीर्थ का वर्णन महाभारत, अग्निपुराण, पद्मपुराण, वायुपुराण और ब्रह्मपुराण मे मिलता है. इस तीर्थ पर पितरों के निमित्त दिया हुआ दान अक्षय होता है, इसलिए इसे अक्षयवट तीर्थ की संज्ञा दी गई है.

Story of Haryana
महाभारत काल से जुड़े कई किस्से

माना जाता है कि अक्षय वट तीर्थ पर जाकर जो व्यक्ति ब्राह्मणों को संतुष्ट करता है और उनकी अर्चना कर उन्हें प्रसन्न करता है. उससे पितरों सहित सारे देवता संतुष्ट हो जाते हैं. ब्रह्म पुराण मे इसे पुलस्त्य मुनि की तपस्थली कहा गया है. बताया जाता है कि अक्षयवट विष्णु का एकमात्र स्थान होने से लोकपूज्य हुआ और नाश रहित होने के कारण अक्षय वट के नाम से प्रसिद्ध हुआ. अगर कोई भी शख्स इस तीर्थ के सच्चे मन से दर्शन करता है, तो उसकी हर मनोकामना पूरी होती है.

महाभारत कालीन वटवृक्ष: इस तीर्थ स्थल पर शिवलिंग भी मौजूद है. कहा जाता है कि ये महाभारत काल से ही यहां है. जिसे अब गांव वासियों ने एक शिव मंदिर बना दिया है. उसी मंदिर के पास ही अक्षय वट तीर्थ है. वहीं पर एक सूर्यकुंड भी मौजूद है. माना जाता है कि इस सूर्य कुंड में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. कुष्ठ व चरम रोग से निजात मिलता है. इस तीर्थ पर लगा बरगद का पेड़ जिसको वटवृक्ष कहते हैं यह भी महाभारत कालीन बताया जाता है, जो 5000 वर्ष पुराना है.

Story of Haryana
बकासुर राक्षस से जुड़ा किस्सा

बकासुर राक्षस से जुड़ा किस्सा: गांव के ही ज्योतिषाचार्य पंडित विश्वनाथ ने बताया कि महाभारत काल में इस स्थान का काफी महत्व रहा है. गांव के बुजुर्गों ने अपनी आने वाली पीढ़ियों को बताया था कि यह वही स्थान है, जहां पर महाभारत काल में भीम ने बकासुर नामक राक्षस का वध किया था. बकासुर राक्षस इसी गांव में रहता था और वह हर रोज एक घर से एक व्यक्ति को अपना आहार बनाता था. उस गांव में उस वक्त पंडित के घर में बनवास के दौरान पांचों पांडव कुछ समय के रहने आए थे. एक दिन उस घर की बारी आ गई जिसमें पांडव थे. जब घर वाले परेशान दिखे तो पांडवों ने उनसे उनकी परेशानी जानी. तब भीम ने बकासुर राक्षस का आहार बनने की बात कहकर उसके पास चला गया और उसका वध कर दिया था.

Story of Haryana
महाभारत कालीन वटवृक्ष

महाभारत काल से जुड़ी कांच की सीढ़ियां: बताया जाता है कि भगवान नारायण भी खुद ही इस गांव में कई बार आए थे. गांव वाले बताते हैं कि गांव में जो सूर्य कुंड मौजूद है, इस सूर्यकुंड के अंदर कांच की सीढ़ियां भी बनी हुई हैं. जो महाभारत काल से ही जुड़ी हुई हैं. इस तीर्थ का दृश्य इतना मनमोहक है कि इसमें सूर्य कुंड के एक तरफ शिव मंदिर बना हुआ है तो तीन तरफ ऊंचे टीले हैं. हालांकि टीलों की ऊंचाई अब कम हो गई है. बताया जाता है कि यहीं पर भीम ने अपनी जुतियों से मिट्टी को झाड़ा था तब से यहां पर तीन बड़े टीले बन गए थे.

Story of Haryana
अक्षय वट तीर्थ पर लगता था मेला

मनोकामनाएं होती हैं पूरी: शिव मंदिर के निवासी महंत तपस्वी नागा महंत नवल गिरि ने बताया कि यहां पर जो भी भक्त मनोकामना लेकर आते हैं, वह पूरी होती है. यहां दूर-दराज से लोग अक्षय वट तीर्थ पर स्नान करने के लिए आते हैं, जिससे से चर्म रोग दूर होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है. यह स्थान तपोस्थली भी माना जाता है. यहां पर बड़े-बड़े ऋषि मुनियों ने यहां पर तप किया है.

बताया जाता है कि इस मंदिर में कई महंत ने तप उपरांत समाधि ले ली थी. वही मंदिर के महंत ने बताया कि आज से कई दशक पहले गांव में काफी ओलावृष्टि हुई थी. महंत ने अपनी शक्ति के द्वारा उस ओलावृष्टि को इस सूर्य कुंड में उतार दिया था. इससे गांव वालों की फसल बर्बाद होने से बच गई थी. जब गांव वालों ने बाबा की शक्ति को देखा तो सभी हैरान रह गए थे.

Story of Haryana
महाभारत काल से जुड़ी कांच की सीढ़ियां

ये भी पढ़ें- इस गांव में हुआ था श्रीराम की माता कौशल्या का जन्म, यहां से जुड़े हैं कई रहस्य

अक्षय वट तीर्थ पर लगता था मेला: किसी समय में इस सूर्य कुंड पर बने अक्षय वट तीर्थ पर मेला भी लगता था. जो कुछ साल पहले बंद हो गया है. गांव वाले अब उसको दोबारा लगाने की बात कह रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनके इस तीर्थ का काफी महत्व है और उस तीर्थ के बदौलत ही उनका गांव फल फूल रहा है. गांव की आबादी करीब आठ हजार है. गांव से करीब 500 बच्चे विदेशों में रहकर काम कर रहे हैं. गांव में करीब 200 से 300 के करीब नौकरियां हैं. खेती-बाड़ी के क्षेत्र में भी इस गांव के लोग काफी आगे है. जिसे स्पष्ट होता है कि यह एक आबाद गांव है. इस गांव का वर्णन वेद पुराणों में भी मिलता है. इसलिए इस तीर्थ का काफी महत्व है.

Last Updated : Jan 29, 2023, 4:07 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.