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करनालः स्टार्ट अप से भविष्य की राह, कमाई के साथ-साथ पर्यावरण और जल का संरक्षण

देश में गमलों में सजावटी पौधे लगाना आम बात है, जिसमें लाखों लीटर पानी की बर्बादी होती है. नितिन ने इसी पानी के बर्बादी को रोकने और पॉलिथिन और प्लास्टिक वेस्ट के रियूज के लिए डिजाइनर गमले तैयार करने का काम शुरू किया.

स्टार्ट अप से भविष्य की राह
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Published : Jul 28, 2019, 7:26 PM IST


करनालः मंजिले उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है.
पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है..
ये कहावत करनाल के नितिन ललित पर बिल्कुल सटीक बैठती है. जिन्होंने कनाडा में लाखों रुपए की सैलरी वाली नौकरी को छोड़कर स्टार्ट अप के रास्ते से अपना, देश और समाज का भविष्य बनाने का बीड़ा उठाया और अब उस रास्ते पर लगातार आगे बढ़ते हुए पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण में अपना योगदान देते हुए पैसा भी कमा रहे हैं.

देश में गमलों में सजावटी पौधे लगाना आम बात है, जिसमें लाखों लीटर पानी की बर्बादी होती है. नितिन ने इसी पानी के बर्बादी को रोकने और पॉलिथिन और प्लास्टिक वेस्ट के रियूज के लिए डिजाइनर गमले तैयार करने का काम शुरू किया. इसके लिए उन्होंने करनाल में अल्फा एडवांस एलएलपी नाम से कंपनी बनाई और वेस्ट प्लास्टिक को रिसायकल कर एक डाई में लेकर उसकी डिजाइन युक्त शीट तैयार करने के बाद, उन्हें मोड़कर अलग-अलग साइज के गमले बनाने का काम शुरू किया.

गमले में एक डिजाइन में जल संचय के लिए छोटा वाटर रिजर्वायर फिट किया जाता है. जिसके बाद नारियल का बुरादा, चावल मिल की एश और वर्मी कंपोस्ट के मिश्रण से तैयार खाद को गमले में डालकर उसमें पौधे लगाए जाते हैं, जिनमें सामान्य गमलों की तुलना में एक चौथाई कम पानी डाला जाता है. इतना ही नहीं गमले में एक बार पानी डालने के बाद कई दिनों तक पानी डालने की जरूरत नहीं पड़ती है.

नितिन ललित ने अपने स्टार्ट अप की शुरुआत करनाल शहर के दक्षिणी हिस्से में एक खाली राइस मिल के परिसर में किया. जहां पर पौधों की जरूरत को पूरा करने के लिए उन्होंने खुद की ही नर्सरी बना ली है. जिसमें फूल और फलों के पौधे तैयार किए जा रहे हैं, जो बड़ी तादाद में हैं.

क्लिक कर देखें वीडियो.

पर्यावरण और जल संरक्षण में मददगार स्टार्टअप कंपनी का दौरा भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की संयुक्त सचिव रेखा शुक्ला ने भी किया. रेखा शुक्ला जल शक्ति अभियान के सिलसिले में करनाल आई थीं. रेखा शुक्ला के साथ करनाल के जिला उपायुक्त विनय प्रताप सिंह ने नितिन ललित के वर्क साइट का दौरा किया और प्लास्टिक निर्मित खूबसूरत गमलों के मैन्युफैक्चरिंग से लेकर पौधों की ग्रोथ तक के बारे में जानकारी ली.

करनाल नगर निगम जल की बर्बादी और प्लास्टिक वेस्ट के खिलाफ मुहिम चला रहा हैं. जिसको लेकर करनाल के उप निगम आयुक्त का कहना है कि नितिन की योजना इस सिलसिले में काफी कारगर साबित हो रही है. जिसके चलते नितिन के बनाए तिरंगे के रंग में रंगे गमलों को इस स्वतंत्रता दिवस पर बलड़ी बाईपास से लेकर क्लॉक टॉवर चौक तक बिजली के पोल पर लगाया जाएगा. जिससे शहर की सुंदरता भी बढ़ेगी और लोगों को कुछ नया देखने को भी मिलेगा. साथ लोगों को पर्यावरण और जल संरक्षण का संदेश भी दिया जा सकेगा.

नितिन ललित ने साल 2007 में कनाडा का रुख कर ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में स्पेशलाइजेशन किया और वहां काम करना शुरू किया. लेकिन साल 2009 में व्यापारिक मंदी आने से जॉब चली गई और एक स्थानीय गैरेज में काम मिल गया. जिसके बाद उन्होंने जनरल मोटर कंपनी में करीब 4 साल तक सर्टिफाइड मैकेनिक के रुप में काम किया. नितिन साल 2016 तक कनाडा में रहे. इसी दौरान उन्हें भारत में केंद्र सरकार की स्टार्ट अप इंडिया प्रोग्राम के बारे में पता चला जिसके बाद उन्हें स्वदेश आने और कुछ नया करने की सूझी.

नितिन ने बताया कि बीते नवंबर में पुणे में फूलों और पौधों की एक विशाल प्रदर्शनी लगी थी. जिसमें उन्होंने भी हिस्सा लिया, जहां उनके गमलों और पौधों को देखकर उन्हें प्रशंसा पत्र भी दिया गया.


करनालः मंजिले उन्हीं को मिलती हैं, जिनके सपनों में जान होती है.
पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है..
ये कहावत करनाल के नितिन ललित पर बिल्कुल सटीक बैठती है. जिन्होंने कनाडा में लाखों रुपए की सैलरी वाली नौकरी को छोड़कर स्टार्ट अप के रास्ते से अपना, देश और समाज का भविष्य बनाने का बीड़ा उठाया और अब उस रास्ते पर लगातार आगे बढ़ते हुए पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण में अपना योगदान देते हुए पैसा भी कमा रहे हैं.

देश में गमलों में सजावटी पौधे लगाना आम बात है, जिसमें लाखों लीटर पानी की बर्बादी होती है. नितिन ने इसी पानी के बर्बादी को रोकने और पॉलिथिन और प्लास्टिक वेस्ट के रियूज के लिए डिजाइनर गमले तैयार करने का काम शुरू किया. इसके लिए उन्होंने करनाल में अल्फा एडवांस एलएलपी नाम से कंपनी बनाई और वेस्ट प्लास्टिक को रिसायकल कर एक डाई में लेकर उसकी डिजाइन युक्त शीट तैयार करने के बाद, उन्हें मोड़कर अलग-अलग साइज के गमले बनाने का काम शुरू किया.

गमले में एक डिजाइन में जल संचय के लिए छोटा वाटर रिजर्वायर फिट किया जाता है. जिसके बाद नारियल का बुरादा, चावल मिल की एश और वर्मी कंपोस्ट के मिश्रण से तैयार खाद को गमले में डालकर उसमें पौधे लगाए जाते हैं, जिनमें सामान्य गमलों की तुलना में एक चौथाई कम पानी डाला जाता है. इतना ही नहीं गमले में एक बार पानी डालने के बाद कई दिनों तक पानी डालने की जरूरत नहीं पड़ती है.

नितिन ललित ने अपने स्टार्ट अप की शुरुआत करनाल शहर के दक्षिणी हिस्से में एक खाली राइस मिल के परिसर में किया. जहां पर पौधों की जरूरत को पूरा करने के लिए उन्होंने खुद की ही नर्सरी बना ली है. जिसमें फूल और फलों के पौधे तैयार किए जा रहे हैं, जो बड़ी तादाद में हैं.

क्लिक कर देखें वीडियो.

पर्यावरण और जल संरक्षण में मददगार स्टार्टअप कंपनी का दौरा भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की संयुक्त सचिव रेखा शुक्ला ने भी किया. रेखा शुक्ला जल शक्ति अभियान के सिलसिले में करनाल आई थीं. रेखा शुक्ला के साथ करनाल के जिला उपायुक्त विनय प्रताप सिंह ने नितिन ललित के वर्क साइट का दौरा किया और प्लास्टिक निर्मित खूबसूरत गमलों के मैन्युफैक्चरिंग से लेकर पौधों की ग्रोथ तक के बारे में जानकारी ली.

करनाल नगर निगम जल की बर्बादी और प्लास्टिक वेस्ट के खिलाफ मुहिम चला रहा हैं. जिसको लेकर करनाल के उप निगम आयुक्त का कहना है कि नितिन की योजना इस सिलसिले में काफी कारगर साबित हो रही है. जिसके चलते नितिन के बनाए तिरंगे के रंग में रंगे गमलों को इस स्वतंत्रता दिवस पर बलड़ी बाईपास से लेकर क्लॉक टॉवर चौक तक बिजली के पोल पर लगाया जाएगा. जिससे शहर की सुंदरता भी बढ़ेगी और लोगों को कुछ नया देखने को भी मिलेगा. साथ लोगों को पर्यावरण और जल संरक्षण का संदेश भी दिया जा सकेगा.

नितिन ललित ने साल 2007 में कनाडा का रुख कर ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में स्पेशलाइजेशन किया और वहां काम करना शुरू किया. लेकिन साल 2009 में व्यापारिक मंदी आने से जॉब चली गई और एक स्थानीय गैरेज में काम मिल गया. जिसके बाद उन्होंने जनरल मोटर कंपनी में करीब 4 साल तक सर्टिफाइड मैकेनिक के रुप में काम किया. नितिन साल 2016 तक कनाडा में रहे. इसी दौरान उन्हें भारत में केंद्र सरकार की स्टार्ट अप इंडिया प्रोग्राम के बारे में पता चला जिसके बाद उन्हें स्वदेश आने और कुछ नया करने की सूझी.

नितिन ने बताया कि बीते नवंबर में पुणे में फूलों और पौधों की एक विशाल प्रदर्शनी लगी थी. जिसमें उन्होंने भी हिस्सा लिया, जहां उनके गमलों और पौधों को देखकर उन्हें प्रशंसा पत्र भी दिया गया.

Intro:प्रधानमंत्री मोदी के विजेंद्र से प्रभावित कनाडा में लाखों का कैरियर छोड़कर करनाल के नितिन ने शुरू की स्टार्टअप योजना, जल और वेस्ट प्लास्टिक के लिए उसकी योजना बनी वरदान, प्लास्टिक वेस्ट से बनाए ऐसे गमले जिनमें 15 दिन नहीं पड़ती पानी की आवश्यकता नगर निगम पायलट प्रोजेक्ट के तहत बढ़ाएगा शहर की सुंदरता ।


Body:किसी के दिल में कुछ नया कर गुजरने का जुनून हो तो सफलता अवश्य उसके पांव चुनती है । हरियाणा के करनाल निवासी नितिन ललित ने अपने तेज दिमाग और युवा हाथों से ऐसा ही कारनामा कर दिखाया इसके लिए उसने ना केवल कनाडा जैसे विकसित देश में एक अच्छे कैरियर को छोड़ अपने देश में वापसी की बल्कि मन में जो कुछ था ना था उसे साकार किया । इसके पीछे नितिन ललित की कहानी बड़ी दिलचस्प है । उन्होंने बताया कि विदेश में कुछ सीखने की ललक से वर्ष 2007 में कनाडा का रुख कर ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में स्पेशलाइजेशन की और इसी फील्ड में काम करना शुरू किया । फिर वर्ष 2009 में व्यापारिक मंदी के आने से जॉब चली गई और एक स्थानीय गैरेज में काम मिल गया । मैं अब तक पूर्ण मकैनिक बन चुका था और उसी के चलते मैंने वहां की विश्व स्तरीय जनरल मोटर में अप्लाई किया और करीब 4 साल तक बतौर सर्टिफाइड मकैनिक कंपनी में काम किया । दिन गुजरते गए और वर्ष 2016 तक कनाडा में प्रवास किया । इन्हीं दिनों मुझे मालूम हुआ कि इंडिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार है जिसमें युवाओं के लिए अनेक अवसर संजोए गए हैं । बस यही से मुझे स्वदेश आने की सूजी तथा विचार आया कि अपने ही मुल्क में ऐसा कुछ करें जो युवाओं के लिए प्रेरणादाई बन सके ।

नितिन ने बताया कि विजनरी सरकार में स्टार्टअप, स्किल इंडिया, और मेक इन इंडिया जैसे सुअवसर अपनाने के व्यापक रास्ते थे, लेकिन विचार आया कि अपने देश में प्रकृति की अनमोल नेमत पानी की इतनी बर्बादी है जिसका अनुमान लगाना भी कठिन है और यदि इसे नहीं बचाया गया तो आने वाले पीढ़ी का भविष्य अंधकारमय हो सकता है । बस यही विचार मन में घर कर गया और जल संरक्षण के लिए कुछ इनोवेटिव करने की सोची जो अब मेरा कर्म क्षेत्र बन गया है । इंडिया में गमलों में सजावटी पौधे लगाना आम बात है लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा कि इनमें लाखों लीटर पानी की बर्बादी भी होती है जिसे बचाया जा सकता है और इसी विचार को मूर्त रूप देने में जुट गए वेस्ट प्लास्टिक की रीसायकल कर उसकी डिजाइन युक्त शीट तैयार की गई जिसे मोड़कर विभिन्न आकार के गमले आसानी से बनाए जाने का प्रयोग किया । गमले किस पर एक अन्य डिजाइन में जल संचय के लिए छोटा वाटर रिजर्वायर यानी तश्तरी नुमा जलाशय फिट किया गया । नारियल का बुरादा, चावल मिल की एश और वर्मी कंपोस्ट के मिश्रण से तैयार खाद को गमले में डालकर उसमें पौधे लगाए गए और सामान्य गमलों में डाले जाने वाले पानी की तुलना में एक चौथाई पानी भी डाला गया धीरे-धीरे पौधे ने जड़ो के जरिए पानी लेकर अपनी ग्रोथ शुरू की और कुछ समय बीत जाने के बाद एक स्वस्थ पौधा आंखों के सामने था । फिर इसे कुछ बड़े पैमाने पर शुरू करने की सूझी इसके लिए एक बड़े प्लाट की जरूरत थी ।अतः शहर के दक्षिणी हिस्से में एक खाली पड़े राइस मिल का परिसर किराए के लिए हाथ लग गया जो इस काम के लिए बहुत ही माकूल था । इसमें एक जगह पर पौधों की जरूरत को पूरा करने के लिए अपनी ही नर्सरी बना डाली । जिस में फूल जार और फलदार पौधे तैयार किए गए जो वर्तमान में अच्छी खासी संख्या में यहां है ।


Conclusion:वीओ - नितिन ने बताया कि अब उनकी यहां अलफा एडवांस एल एल पी नाम से कंपनी है पिछले दिनों भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की संयुक्त सचिव रेखा शुक्ला काजल शक्ति अभियान को लेकर करनाल में आगमन हुआ और उन्होंने जिला उपायुक्त विनय प्रताप सिंह के साथ नितिन ललित की साइट का भी दौरा किया उन्होंने यहां काफी समय बिताया और प्लास्टिक निर्मित खूबसूरत गमलों की मैन्युफैक्चरिंग से लेकर पौधों की ग्रोथ को देखने में उन्होंने रुचि दिखाई नितिन ललित ने बताया कि बेकार पॉलिथीन या प्लास्टिक को रीसायकल कर एक डाई में लेकर पहले एक शीट तैयार की जाती है और उसे गमले के आकार में जोड़ दिया जाता है ऊपर से एक बार पानी डालो तो कई दिनों तक गमलों की में बना रहता है अर्थात जल संरक्षण का एक श्रेष्ठ विकल्प है नितिन के अनुसार अब यहां एक कंजूमर एक्सपीरियंस सेंटर बनाकर युवाओं तथा आम नागरिकों को जल संरक्षण की इस तकनीक से अवगत करवाकर पानी को बचाने तथा हॉर्टिकल्चर की मुहिम से जुड़ना है युवाओं के साथ-साथ प्रगतिशील किसानों के लिए इससे रोजगार के अवसर भी मिलेंगे नीति ने बताया कि बीते नवंबर में देश के पुणे में फूलों व पौधों की एक विशाल प्रदर्शनी लगी थी इसमें उन्होंने भी उस में पार्टिसिपेट किया गमलों और पौधों को देख कर मुझे प्रश्न पत्र मिला ।

वीओ- उप निगम आयुक्त ने कहा कि नगर निगम को उनका यह स्टार्टअप काफी अच्छा लगा वे स्वयं जल की बर्बादी और प्लास्टिक वेस्ट के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं । इसमें नितिन की योजना बहुत कारगर साबित हो रही है । इस स्वतंत्रता दिवस पर इनके गमलों को शहर की मुख्य सड़कों पर बिजली पोल पर लगाया जाएगा गमलो को तिरंगे के रंगों से रंगा जाए गा । करनाल के बलड़ी बाईपास से लेकर शहर में बने क्लॉक टावर तक तिरंगे के रंग में नजर आएंगे यह गमले ।जिससे शहर की सुंदरता भी बढ़ेगी और लोगों को कुछ नया देखने को मिलेगा ।

नितिन ललित जैसे युवा मैं अपनी सोच और मेहनत के बल पर जो कुछ कर दिखाया है उससे यह साबित होता है कि पढ़े-लिखे युवाओं को केवल नौकरी के पीछे नहीं भागना चाहिए । आगे बढ़ने के लिए और भी कई रास्ते हैं । युवा ऐसा कुछ करें जैसा नितिन में अपनी इनोवेटिव सोच और लगन से अपना खुद का मुकाम हासिल किया इसमें समाज और देश की बहबुदी निहित है ।

बाईट - नितिन ललित
बाईट - धीरज कुमार - उप निगम आयुक्त
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