करनाल: हरियाणा में लगातार पराली जलाने के मामले सामने आ रहे हैं, जिसके चलते हवाओं में लगातार जहर घुल रहा है. हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, 10 शहरों की हवा सांस लेने लायक नहीं है. देश के सबसे प्रदूषित तीन शहरों में हरियाणा के दो बहादुरगढ़ और सोनीपत जिले हैं. पराली और उद्योगों के अवशेष जलने व मौसम में बदलाव के कारण ऐसा हो रहा है. वहीं, पराली उद्योगों के अवशेष जलने व मौसम में बदलाव के कारण हरियाणा की हवा में प्रदूषण के कण बढ़ने लगे हैं.
करनाल में कम जली पराली- वहीं अगर करनाल की बात करें तो शहर में पिछले सालों के मुकाबले इस बार प्रदूषण में काफी सुधार देखने को मिल रहा है. सरकार द्वारा पराली प्रबंधन को लेकर चलाए गए अभियानों का असर करनाल में देखने को मिला है. किसानों में काफी जागरूकता आई है. जिसके कारण इस बार जिले में अभी तक 21 मामले पराली जलाने के आए हैं. जबकि पिछले सालों में यह आंकड़ा 100 से ऊपर होता था.
कई बीमारियों पर लगा अंकुश: करनाल में आमजन ने बताया कि बीते सालों में पर्यावरण बेहद खराब हो जाता था. आंखों में जलन त्वचा रोग और सांस की बीमारी लोगों में देखने को मिलती थी. लेकिन प्रशासन के जागरुकता अभियानों के चलते लोगों ने साफ-सफाई, पराली ना जलाने के लिए जागरूकता आई है.
कई शहरों में AQI का बढ़ा: देश के सबसे प्रदूषित शहरों में से दो हरियाणा के सोनीपत व बहादुरगढ़ हैं. इन दोनों शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) शनिवार को औसतन 300 पार कर गया था जो कि बेहद खराब है. इसके अलावा, प्रदेश के 8 अन्य शहरों में भी AQI 200 पार कर गया. यानी इन सभी दस शहरों की हवा सांस लेने लायक नहीं है. इसी का नतीजा है कि हरियाणा के कुछ शहरों में सुबह स्मॉग भी देखने को मिली है. करनाल के क्वालिटी इंडेक्स की बात करें तो बाकी जिलों से स्थिति बेहतर है.
जिला प्रशासन का एक्शन: हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्रीय अधिकारी शैलेन्द्र अरोड़ा ने बताया कि हरियाणा में पराली जलाने के मामलों में करनाल 8 वें स्थान पर है. पराली ना जलाने को लेकर कृषि विभाग व उपायुक्त करनाल द्वारा माइक्रो लेवल पर टीमों का गठन कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि प्रदूषण को लेकर बीते कल करनाल का एयर क्वालिटी इंडेक्स 190 और आज 152 और पिछले सप्ताह 120 तक पाया गया.
प्रदूषण नियंत्रण के निर्देश: प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन द्वारा लगातार वातावरण में पानी की स्प्रिंकलिंग की जा रही है. पेड़ों पर सप्रिंकलिंग कर डस्ट को हटाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि भवन निर्माण जैसे प्रोजेक्ट को लेकर भी निर्देश दिए गए हैं, कि समय-समय पर मालिक या ठेकेदार द्वारा स्प्रिंकलिंग करवाई जाए.