करनाल: पीढ़ी दर पीढ़ी कम होती जा रही जमीन के कारण हमारे देश में अब ज्यादातर छोटे किसान ही हैं. ऐसे में छोटे किसानों के सामने खेती से अच्छी आमदन लेना एक बड़ी चुनौती बनी रहती है क्योंकि वह परंपरागत तरीके से खेती करते आ रहे हैं, लेकिन अब कुछ ऐसे किसान भी हैं जो परंपरागत तरीके से खेती को छोड़कर आधुनिक तरीके से खेती करने लगे हैं और मात्र 2 एकड़ से सालाना 10 से 15 लाख रुपए तक कमा रहे हैं.
हम बात कर रहे हैं करनाल के प्योंत गांव के किसान सुरेंद्र की. जिन्होंने 2 एकड़ में मछली पालन किया हुआ है और मछली पालन के साथ ही बत्तख पालन भी कर रहे हैं. सुरेंद्र यूट्यूब पर सीखने के बाद 2016 से मछली पालन के साथ बत्तख पालन कर रहे हैं. जिसमें उन्होंने अपने 2 एकड़ में मछली का तालाब बनाकर उसके साथ बत्तख पालन शुरू किया. शुरुआती साल में उन्होंने बत्तखों के 2000 बच्चों को खरीदने, तालाब खुदाई, बत्तख के लिए फार्म बनाना आदि पर 6 से 8 लाख रुपये खर्च किए थे. इस साल उन्हें लगभग 15 लाख रुपये का फायदा हुआ था.
सुरेंद्र ने शुरू में तीन वैरायटी की बत्तखों के बच्चे खरीदे थे. इनमें दो वैरायटी खास तौर पर अंडे के लिए थी और एक मीट के लिए. उन्होंने एक बत्तख का बच्चा 35 से 40 रुपये में खरीदा था. जिसने साढ़े चार महीने बाद अंडा देना शुरू किया और उसके बाद लगातार 3 साल तक वह अच्छे तरीके से अंडे देते रहते हैं. साल में 1 महीना, जुलाई-अगस्त का ऐसा होता है जिसमें वह अंडा देना बंद कर देते हैं क्योंकि उसमें उनके नए पंख आते हैं.
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बत्तख का एक खाने वाला अंडा 6 से 9 रुपये तक में बिकता है और हैचरी वाला अंडा 10 से 15 तक का बेचा जाता है. वहीं अगर मीट मार्केट में एक बत्तख बेचनी है तो वह भी 100 से 150 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेची जाती है, और एक बत्तख का वजन 2700 से 2800 ग्राम तक होता है.
बत्तख के साथ मछली पालन के कई फायदे भी हैं, जैसे कि बत्तख की बीट मछली के लिए खाने का काम करती है, बत्तख के होने से तालाब में गैस नहीं बनती, बत्तख के कारण जो मछली 1 साल में तैयार होती है वह 6 महीनों में ही तैयार हो जाती है. इस तरह सुरेंद्र मछली पालन से भी 3-5 लाख रुपये सालाना कमा लेते हैं.
बत्तख पालन में मुर्गी फार्म की तरह दाने पर कम खर्च होता है. ये साधारण दाना खा लेती हैं या किसी भी तरीके के कीट मकोड़े और घास को भी अच्छे तरीके से खाती हैं. बत्तख जब अंडा देती है अपने एक निधार्रित स्थान पर ही हर रोज अंडा देती है. 2 एकड़ के तलाब में किसान लगभग 5000 वर्ड आसानी से रख सकता है और लगभग 15 लाख रुपये एक साल में बिलकुल आसानी से कमा सकता है.
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सुरेंद्र ने बताया कि बत्तख पालन में किसी भी तरह की कोई ज्यादा बड़ी बीमारी नहीं आती. बत्तखों की दो दवाई भी लगाई जाती है, लेकिन ये भी ज्यादा जरूरी नहीं होता. मछली भी अगर अच्छी जगह से लाकर तालाब में डाली जाए तो मछली में भी कोई बीमारी नहीं लगती. ऐसे में आम के आम और गुठलियों के भी दाम वाली बात को सच करते हुए सुरेंद्र एक काम से दोगुना मुनाफा ले रहे हैं.
सुरेंद्र से प्रेरित होकर लगभग 100 से ज्यादा किसानों ने इस तरह के फार्म खोलें हैं जो अच्छा पैसा भी कमा रहे हैं. बहरहाल सुरेंद्र की तरह और भी किसान परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक खेती करें जिससे उनको भी अच्छा फायदा हो.
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