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Jyestha Month 2023: इन 3 देवी और देवताओं की पूजा का खास महीना है ज्येष्ठ, यहां देखिए प्रमुख तिथि और त्योहारों की पूरी लिस्ट - निर्जला एकादशी कब है

हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख महीना अब खत्म होने वाला है. 6 मई से ज्येष्ठ महीने (Jyestha Month 2023) की शुरुआत हो रही है. ज्येष्ठ महीने का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. इस महीने में कई त्योहार और व्रत पड़ने वाले हैं, जिनका हिंदू धर्म के लोग काफी श्रद्धा के साथ मनाते हैं. आइये जानते हैं कि ज्येष्ठ महीने की प्रमुख तिथि और त्योहार कौन से हैं और वो कब पड़ रहे हैं.

Jyestha Month 2023
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Published : May 3, 2023, 11:24 AM IST

करनाल: इस बार ज्येष्ठ महीने की शुरुआत 6 मई से हो रही है. ज्येष्ठ का महीना हिंदू धर्म में काफी खास माना गया है. इस महीने में कई ऐसी तिथि और त्योहार आते हैं जिनका विशेष महत्व है. ज्येष्ठ महीने में भगवान विष्णु, मां गंगा और हनुमान जी की पूजा करने का सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है. माना जाता है कि जो भी इस महीने में इन तीनों की पूजा करता है, उनकी मन की इच्छा पूरी होती है.

ज्येष्ठ महीने का महत्व- हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ साल का तीसरा महीना होता है. इस महीने का स्वामी मंगल को माना जाता है. ज्येष्ठ महीने में जल का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है क्योंकि इस महीने में गर्मी पूरे चरम सीमा पर होती है. इसके साथ ही माना गया है कि ज्येष्ठ महीने में सूर्य काफी बलवान होता है. इस समय उसका तेज सबसे ज्यादा होता है. ज्येष्ठ में भगवान सूर्य की पूजा भी बहुत फलदायी मानी जाती है. शास्त्रों के मुताबिक ज्येष्ठ के महीने में वरुण देवता की पूजा की जाती है क्योंकि वरुण देव जल के देवता हैं.

ज्येष्ठ महीने में हनुमान व सूर्य देव की पूजा करने से सभी दुख दूर होते हैं. मान्यता है कि ज्येष्ठ महीने में ही गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं, इसीलिए गंगा दशहरा भी इसी महीने में मनाया जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि जो भी इंसान इस महीने में जल का दान करता है या फिर जल से संबंधित व्रत रखते हैं, जैसे कि गंगा दशहरा व्रत, निर्जला एकादशी, उन्हें सभी ग्रह-दोषों से मुक्ति मिलती है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस महीने की पूर्णिमा के दिन ज्येष्ठा नक्षत्र का संयोग बनता है. इस महीने में दिन सबसे लंबे होते हैं इसलिए भी इस महीने को ज्येष्ठ या जेठ कहा जाता है. ज्येष्ठ का मतलब सबसे बड़ा होता है.

ये भी पढ़ें- Aaj ka Panchang 3 May 2023 : जानिए आज का शुभ-अशुभ मुहूर्त, राहुकाल व विशेष मंत्र

ज्येष्ठ महीना कब से लगेगा- हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदू साल का तीसरा महीना ज्येष्ठ 6 मई से शुरू हो रहा है. जबकि इसका समापन 4 जून को होगा. इस महीने में सूर्य सबसे ताकतवर होता है. इस महीने जो भी इंसान जल का दान करता है या फिर पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं को जल देता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. हिंदू शास्त्रों में बताया गया है कि ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को ही हनुमान जी की मुलाकात भगवान श्री राम से हुई थी. जिसके चलते ज्येष्ठ महीने में मंगलवार का व्रत शुभ माना गया है. मंगलवार को व्रत रखने से भगवान हनुमान खुश होते हैं.

ज्येष्ठ महीने के व्रत और त्योहार- इस महीने का प्रमुख व्रत वट सावित्री है, जो 19 मई को रखा जाने वाला है. यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. इसके बाद इस महीने का प्रमुख त्योहार गंगा दशहरा है, जो 30 मई को मनाया जायेगा. मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सारे कष्ट और दोष दूर हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन दान करने का विशेष महत्व बताया जाता है. उसके बाद इस महीने में 31 मई को निर्जला एकादशी मनाई जायेगी.

ज्येष्ठ महीने की प्रमुख तिथि और त्योहार

  1. 9 मई- अंगारकी चतुर्थी
  2. 12 मई- शीतलाष्टमी
  3. 15 मई- अचला एकादशी
  4. 17 मई- प्रदोष व्रत
  5. 19 मई- वट सावित्री व्रत, शनि जयंती
  6. 20 मई- ज्येष्ठ मास शुक्लपक्ष प्रारंभ, करवीर व्रत
  7. 22 मई- पार्वती पूजा
  8. 23 मई- विनायक गणेश चतुर्थी
  9. 24 मई- श्रुति पंचमी
  10. 30 मई- गंगा दशहरा
  11. 31 मई- निर्जला एकादशी
  12. 1 जून- चंपक द्वादशी
  13. 4 जून- पूर्णिमा, संत कबीर जयंती है

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करनाल: इस बार ज्येष्ठ महीने की शुरुआत 6 मई से हो रही है. ज्येष्ठ का महीना हिंदू धर्म में काफी खास माना गया है. इस महीने में कई ऐसी तिथि और त्योहार आते हैं जिनका विशेष महत्व है. ज्येष्ठ महीने में भगवान विष्णु, मां गंगा और हनुमान जी की पूजा करने का सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है. माना जाता है कि जो भी इस महीने में इन तीनों की पूजा करता है, उनकी मन की इच्छा पूरी होती है.

ज्येष्ठ महीने का महत्व- हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ साल का तीसरा महीना होता है. इस महीने का स्वामी मंगल को माना जाता है. ज्येष्ठ महीने में जल का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है क्योंकि इस महीने में गर्मी पूरे चरम सीमा पर होती है. इसके साथ ही माना गया है कि ज्येष्ठ महीने में सूर्य काफी बलवान होता है. इस समय उसका तेज सबसे ज्यादा होता है. ज्येष्ठ में भगवान सूर्य की पूजा भी बहुत फलदायी मानी जाती है. शास्त्रों के मुताबिक ज्येष्ठ के महीने में वरुण देवता की पूजा की जाती है क्योंकि वरुण देव जल के देवता हैं.

ज्येष्ठ महीने में हनुमान व सूर्य देव की पूजा करने से सभी दुख दूर होते हैं. मान्यता है कि ज्येष्ठ महीने में ही गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं, इसीलिए गंगा दशहरा भी इसी महीने में मनाया जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि जो भी इंसान इस महीने में जल का दान करता है या फिर जल से संबंधित व्रत रखते हैं, जैसे कि गंगा दशहरा व्रत, निर्जला एकादशी, उन्हें सभी ग्रह-दोषों से मुक्ति मिलती है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस महीने की पूर्णिमा के दिन ज्येष्ठा नक्षत्र का संयोग बनता है. इस महीने में दिन सबसे लंबे होते हैं इसलिए भी इस महीने को ज्येष्ठ या जेठ कहा जाता है. ज्येष्ठ का मतलब सबसे बड़ा होता है.

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ज्येष्ठ महीना कब से लगेगा- हिंदू पंचांग के अनुसार हिंदू साल का तीसरा महीना ज्येष्ठ 6 मई से शुरू हो रहा है. जबकि इसका समापन 4 जून को होगा. इस महीने में सूर्य सबसे ताकतवर होता है. इस महीने जो भी इंसान जल का दान करता है या फिर पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं को जल देता है, उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. हिंदू शास्त्रों में बताया गया है कि ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को ही हनुमान जी की मुलाकात भगवान श्री राम से हुई थी. जिसके चलते ज्येष्ठ महीने में मंगलवार का व्रत शुभ माना गया है. मंगलवार को व्रत रखने से भगवान हनुमान खुश होते हैं.

ज्येष्ठ महीने के व्रत और त्योहार- इस महीने का प्रमुख व्रत वट सावित्री है, जो 19 मई को रखा जाने वाला है. यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. इसके बाद इस महीने का प्रमुख त्योहार गंगा दशहरा है, जो 30 मई को मनाया जायेगा. मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से सारे कष्ट और दोष दूर हो जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन दान करने का विशेष महत्व बताया जाता है. उसके बाद इस महीने में 31 मई को निर्जला एकादशी मनाई जायेगी.

ज्येष्ठ महीने की प्रमुख तिथि और त्योहार

  1. 9 मई- अंगारकी चतुर्थी
  2. 12 मई- शीतलाष्टमी
  3. 15 मई- अचला एकादशी
  4. 17 मई- प्रदोष व्रत
  5. 19 मई- वट सावित्री व्रत, शनि जयंती
  6. 20 मई- ज्येष्ठ मास शुक्लपक्ष प्रारंभ, करवीर व्रत
  7. 22 मई- पार्वती पूजा
  8. 23 मई- विनायक गणेश चतुर्थी
  9. 24 मई- श्रुति पंचमी
  10. 30 मई- गंगा दशहरा
  11. 31 मई- निर्जला एकादशी
  12. 1 जून- चंपक द्वादशी
  13. 4 जून- पूर्णिमा, संत कबीर जयंती है

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