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सोमवती अमावस्या 2023: पवित्र जल से स्नान कर इस तरह मनाएं सोमवती अमावस्या का पर्व, दान करने से पितरों को मिलती है मुक्ति

हिंदू धर्म के अनुसार सोमवती अमावस्या को दान और पुण्य का दिन माना जाता है. कहा जाता है कि इसदिन गंगा स्नान करने से पितरों को मुक्ति मिलती है. इस दिन अगर आप अपनी इच्छा अनुसार उपवास रखते हैं तो वह भी आपके लिए काफी हितकर होता है. इस दिन अपने पितरों के लिए दान पुण्य करके आप उनको खुश कर सकते हैं.

Somvati Amavasya 2023
सोमवती अमावस्या 2023
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Published : Feb 20, 2023, 7:53 AM IST

Updated : Feb 20, 2023, 8:02 AM IST

करनाल: अमावस्या का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. अगर अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है तो उसका और भी ज्यादा महत्व बढ़ जाता है. फाल्गुन मास की अमावस्या 20 फरवरी सोमवार को पड़ी है. इसलिए इसको सोमवती अमावस्या कहा जाता है. सोमवती अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी या पानी के कुंड में स्नान करने, प्रातः दान करने का काफी महत्व बताया जाता है. ऐसा करने से मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति होती है. शास्त्रों के अनुसार अगर कोई भी व्यक्ति सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करता है तो उसको पापों से मुक्ति मिलती है.

सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की सोमवती अमावस्या का प्रारंभ 19 फरवरी शाम के 4:18 मिनट से शुरू हुआ जबकि इसका समापन 20 फरवरी को 12:35 मिनट पर होगा.

सोमवती अमावस्या की पूजा की विधि व महत्व: हिंदू शास्त्र के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन मनुष्य को सुबह प्रात:काल उठकर किसी पवित्र नदी या किसी पवित्र कुंड या तालाब में स्नान करना चाहिए. हिंदू शास्त्र के अनुसार जो अमावस्या का सही समय है अगर उस समय आप स्नान करे तो उसे ज्यादा अच्छा माना जाता है. स्नान करने के उपरांत आप दान करें ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. स्नान करने के उपरांत आप घर के मंदिर या आसपास के मंदिर में जा कर दीप प्रज्वलित कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें-Aaj ka Panchang: हिंदू पंचांग के अनुसार आज है सोमवती अमावस्या, जानें शुभ मुहुर्त

स्नान करने के उपरांत सूर्य देव से प्रार्थना करें और सुख समृद्धि की कामना करें. इसके बाद आप भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान शिव की पूजा करने से चंद्रमा मजबूत होता है. पूजा करने के उपरांत सोमवती अमावस्या के दिन सुहागिन पीपल के वृक्ष की भी पूजा करें. ऐसा करने से आपके पति की दीर्घायु होती है.

सोमवती अमावस्या का महत्व: शास्त्रों में कहा गया है कि पीपल के पेड़ में त्रिदेवों का निवास होता है. पीपल के वृक्ष की पूजा करने के उपरांत 108 बार परिक्रमा धागे से करें. पूजा पाठ करने के बाद किसी गरीब या जरूरतमंद को भोजन या वस्त्र दान करें. भगवान शिव की पूजा के साथ आप भगवान विष्णु की पूजा भी कर सकते हैं. इससे आपको पुण्य की प्राप्ति होती है. अगले दिन आप लक्ष्मी माता की पूजा करें तो वह आपके लिए काफी लाभप्रद है, इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है.

करनाल: अमावस्या का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. अगर अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है तो उसका और भी ज्यादा महत्व बढ़ जाता है. फाल्गुन मास की अमावस्या 20 फरवरी सोमवार को पड़ी है. इसलिए इसको सोमवती अमावस्या कहा जाता है. सोमवती अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी या पानी के कुंड में स्नान करने, प्रातः दान करने का काफी महत्व बताया जाता है. ऐसा करने से मनुष्य को पुण्य की प्राप्ति होती है. शास्त्रों के अनुसार अगर कोई भी व्यक्ति सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करता है तो उसको पापों से मुक्ति मिलती है.

सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की सोमवती अमावस्या का प्रारंभ 19 फरवरी शाम के 4:18 मिनट से शुरू हुआ जबकि इसका समापन 20 फरवरी को 12:35 मिनट पर होगा.

सोमवती अमावस्या की पूजा की विधि व महत्व: हिंदू शास्त्र के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन मनुष्य को सुबह प्रात:काल उठकर किसी पवित्र नदी या किसी पवित्र कुंड या तालाब में स्नान करना चाहिए. हिंदू शास्त्र के अनुसार जो अमावस्या का सही समय है अगर उस समय आप स्नान करे तो उसे ज्यादा अच्छा माना जाता है. स्नान करने के उपरांत आप दान करें ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. स्नान करने के उपरांत आप घर के मंदिर या आसपास के मंदिर में जा कर दीप प्रज्वलित कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें-Aaj ka Panchang: हिंदू पंचांग के अनुसार आज है सोमवती अमावस्या, जानें शुभ मुहुर्त

स्नान करने के उपरांत सूर्य देव से प्रार्थना करें और सुख समृद्धि की कामना करें. इसके बाद आप भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान शिव की पूजा करने से चंद्रमा मजबूत होता है. पूजा करने के उपरांत सोमवती अमावस्या के दिन सुहागिन पीपल के वृक्ष की भी पूजा करें. ऐसा करने से आपके पति की दीर्घायु होती है.

सोमवती अमावस्या का महत्व: शास्त्रों में कहा गया है कि पीपल के पेड़ में त्रिदेवों का निवास होता है. पीपल के वृक्ष की पूजा करने के उपरांत 108 बार परिक्रमा धागे से करें. पूजा पाठ करने के बाद किसी गरीब या जरूरतमंद को भोजन या वस्त्र दान करें. भगवान शिव की पूजा के साथ आप भगवान विष्णु की पूजा भी कर सकते हैं. इससे आपको पुण्य की प्राप्ति होती है. अगले दिन आप लक्ष्मी माता की पूजा करें तो वह आपके लिए काफी लाभप्रद है, इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है.

Last Updated : Feb 20, 2023, 8:02 AM IST
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