करनाल: हरियाणा कृषि उत्पादन में भारत के सबसे ज्यादा कृषि करने वाले राज्यों में शुमार है. वहीं, खेती करने के दौरान किसानों को प्राकृतिक आपदाओं और फसल में लगने वाले रोगों के कारण कई बार बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है. फसल खराब हो जाने से किसानों को आर्थिक नुकसान होता है. इस नुकसान की भरपाई करने के लिए और किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए भारत सरकार ने साल 2016 में भारत के किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की थी.
जिसमें किसानों को उनकी फसलों का बीमा करवाना होता है, जिसके तहत किसानों को मुआवजा मिल जाता है. किसानों द्वारा सभी खरीफ फसलों के लिए केवल 2% एवं सभी रबी फसलों के लिए 1.5% का एक समान प्रीमियम का भुगतान किया जाता है. बागवानी फसलों के मामले में प्रीमियम केवल 5% देना होता है. तो चलिए सबसे पहले जानते हैं इस योजना को शुरू करने के लिए सरकार के उद्देश्य क्या है.
योजना के उद्देश्य: किसानों को खेती करने के दौरान उनकी फसल में कई तरह से नुकसान हो जाता है. जैसे प्राकृतिक आपदाओं, कीट और रोगों के परिणामस्वरूप अधिसूचित फसल में से किसी की विफलता की स्थिति में किसानों को बीमा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. ऐसे में अगर किसी किसान की फसल खराब हो जाती है, तो उसमें किसान को अपनी फसल खराब की जानकारी कृषि विभाग और संबंधित बीमा कंपनी को देनी होती है. जिसके बाद उसकी फसल का आकलन करके उसका मुआवजा दिया जाता है.
मुआवजे के लिए बना पोर्टल: अगर किसान की फसल बरसात के कारण खराब होती है, तो उसके लिए किसान को 72 घंटे के अंदर कृषि विभाग और संबंधित कंपनी को उसकी जानकारी देनी होती है. हरियाणा के किसानों के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा नामक पोर्टल बनाया गया है. जहां पर जाकर किसान आवेदन कर सकते हैं और क्षतिपूर्ति कॉलम में जाकर अपनी फसल खराबी का ब्यौरा दे सकते हैं. बाद में कृषि विभाग के अधिकारी किसान के खेत में जाकर उनकी फसल खराब का आकलन लगाते हैं और उसके बाद उनको फसल बीमा के तहत मुआवजा दिया जाता है.
फसल बीमा पर मुआवजा: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रबी फसलों का बीमा करवाने के लिए किसान किसी भी रजिस्टर्ड बीमा कंपनी के प्रतिनिधि, एजेंट, सीएससी सेंटर या किसी भी बैंक की शाखा में संपर्क कर सकते हैं. वहीं, रबी फसलों का बीमा करवाने के बाद ओलावृष्टि, जलभराव, बादल फटना, पाला पड़ना, और आगजनी जैसी प्राकृतिक तमाम प्राकृतिक घटनाओं से बीमा हुई फसल को नुकसान होने पर मुआवजा दिया जाता है.
बागवानी किसानों के लिए योजनाएं: जहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा पूरे देश के किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई गई है. तो वहीं हरियाणा में हरियाणा सरकार के द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की तरह मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना भी शुरू की गई है. जिसमें 21 फसलों का बीमा किया जाता है. इस योजना के तहत हरियाणा में सब्जी फसलों पर 750 रुपये एवं फल वाली फसलों पर 1000 रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रीमियम लगता है. इसके बदले नुकसान होने पर सब्जियों व मसालों के लिए 30 हजार प्रति एकड़ और फलों के लिए 40 हजार रुपये प्रति एकड़ तक फसल के उत्पादन का आकलन लगाकर क्लेम राशि मिलती है.
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बीमा योजना के लिए ऐसे करें आवेदन: किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ लेने के लिए कई बार वंचित रह जाते हैं. क्योंकि उनको जानकारी का अभाव होता है, कि वह इस योजना का लाभ लेने के लिए कहां पर आवेदन करें. इसलिए हम आपको बता रहे हैं कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान अपनी फसल का बीमा कराने के लिए किसी भी बैंक में जा सकते हैं और वहां बैंक कर्मी को बोल कर अपना आवेदन कर सकते है.
आवेदन करने का सही तरीका: उसके लिए बैंक की तरफ से किसानों से उनकी जमीन के कुछ कागजात मांगे जाते हैं, जिनको बैंक में जमा करना होता है. वह देने के बाद किसान अपना फसल का बीमा करवा सकते हैं. अगर बात करें पहले ही किसी किसान के पास उनके खेत की जमीन से संबंधित पहले ही लोन या किसान क्रेडिट कार्ड बना हुआ है, तो उसी बैंक से किसान फसल का बीमा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत करवा सकते हैं. बैंक में बीमा कराने के बाद जो उनको डॉक्यूमेंट दिए जाते हैं, उन डॉक्यूमेंट की एक कॉपी कृषि विभाग में भी जमा करानी होती है. उनकी फसल बीमा योजना का ब्यौरा कृषि विभाग के पास भी रहे.
फसल बीमा की प्रीमियम राशि: सभी फसलों की प्रीमियम राशि अलग-अलग निर्धारित की गई है. खरीफ सीजन में इस योजना के तहत किसानों को धान के लिए प्रति एकड़ फसल की बीमा राशि धान के लिए 35 हजार रुपये निर्धारित की गई है. जिसके लिए किसान को बीमा प्रीमियम राशि 699.78 रुपये देने होते है. मक्का के लिए 17 हजार की राशि निर्धारित की गई है. जिसके बीमा प्रीमियम के लिए किसान को 849.89 रुपये, बाजरे के लिए 16 हजार पर 799.33 रुपये और कपास के लिए 34 हजार पर 650.02 रुपये प्रति एकड़ बीमा राशि निर्धारित की गई है.
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जानें गेहूं की प्रीमियम राशि: वहीं, अगर गेहूं की बात करें तो गेहूं के लिए बीमा की राशि 27 हजार पर 300.12 रुपये बीमा प्रीमियम के लिए पैसे देने होते हैं. वहीं, जौ के लिए 17 हजार पर 849.89 रुपये, चने के लिए 13 हजार पर 650.06 रुपये, सरसों के लिए 18 हजार पर 375.17 रुपये और सूरजमुखी की फसल के लिए बीमा राशि 17 हजार पर 849.89 रुपये प्रति एकड़ तय की गई है. जो संख्या हजारों ने बताई गई वह सरकार के द्वारा प्रति एकड़ मुआवजा राशि निर्धारित की गई है, की 1 एकड़ में से 35000 की धान निकलती है. तो वहीं एक एकड़ से 27 हजार की गेहूं की फसल निकलती है. इस आधार पर आकलन लगाकर उनको मुआवजा दिया जाता है. उनकी बीमा प्रीमियम राशि निर्धारित की जाती है.