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हरियाणा में इस तकनीक से गाय के पैदा होगी केवल बछिया, दूध उत्पादन भी बढ़ेगा

हरियाणा पशुपालन विभाग ने आवारा पशुओं की समस्या को खत्म करने और दूध उत्पादन में बढ़ोतरी करने की दिशा में सराहनीय कदम उठाया है. पशुपालन विभाग ने गायों के लिए ऐसा सीमेन (haryana animal semen technology) तैयार किया है जिससे 100 प्रतिशत बछिया ही पैदा होगी.

haryana animal semen technology
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Published : Aug 14, 2021, 10:59 PM IST

करनाल: मौजूदा समय में अगर हम अपने घर से बाहर निकलते हैं तो हमें सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में आवारा पशु घूमते हुए दिखाई देते हैं. जिनमें गाय और सांड दोनों शामिल होते हैं, लेकिन इसमें सिर्फ 20% गाय और 80% सांड होते हैं जो सड़कों पर आवारा पशु के रूप में घूमते रहते हैं. जिससे कई बार सड़क हादसे भी हो जाते हैं, लेकिन अब पशुपालन विभाग ने इस पर संज्ञान लिया और एक ऐसा सीमेन गायों के लिए तैयार किया है जिससे 100% बछिया (haryana semen female cow calves) ही पैदा होंगी और दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी.

करनाल पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. धर्मेंद्र सिंह ने इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए बताया कि इस तकनीक से 100 प्रतिशत बछिया पैदा होती है और ये भविष्य में पशुपालकों के लिए एक वरदान साबित होगा. अकेले करनाल जिले में अब तक लगभग 250 बछिया इस सीमेन तकनीक से पैदा हो चुकी हैं. इस तकनीक के जरिए जहां आवारा पशुओं की समस्या से छुटकारा मिलेगा तो वहीं दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी. उन्होंने बताया कि ये सीमेन अच्छी नस्ल के सांड के सीमेन के द्वारा तैयार किया जाता है. जिससे नस्ल में भी सुधार होता है.

हरियाणा में इस तकनीक से गाय के पैदा होगी केवल बछिया, दूध उत्पादन भी बढ़ेगा

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़ के प्रोफेसर ने खोजी अंगूर की ऐसी किस्म जिसमें नहीं लगेगी बीमारी, खर्च कम और मुनाफा होगा ज्यादा

उन्होंने बताया कि हमारे यहां पर जितनी गाय हरियाणा में पाई जाती हैं उन सभी के लिए ये उनकी नस्ल के आधार पर ही सीमेन तैयार किए गए हैं. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि आने वाले कुछ सालों ने सभी किसानों के पास ये जानकारी पहुंच जाए और वह ज्यादा से ज्यादा इस सीमेन को लगवाएं. जिससे बछिया पैदा होगी और आवारा पशुओं की समस्या से भी निजात मिलेगी.

haryana animal semen technology
फाइल फोटो

वहीं इस तकनीक का पशुपालकों ने भी स्वागत किया. पशुपालकों का मानना है कि ऐसा करने से गायों के प्रति किसानों व पशुपालकों का रुझान बढ़ेगा और वह ज्यादा संख्या में गाय को रखेंगे. जिससे सड़कों पर घूमने वाले आवारा सांड पर भी रोक लगेगी और साथ ही दूध में भी बढ़ोतरी होगी. साथ ही गौशाला में भी मजबूरी में सांडों को रखना पड़ता है क्योंकि गौशाला सिर्फ गायों के लिए बनाई गई है. अगर ये विधि पूरी तरह से सफल है तो आने वाले कुछ सालों में गौशाला में भी गायों व सांडों की संख्या कम हो सकती है क्योंकि लोग अपने घरों पर ही गाय रखेंगे और उनके दूध से मुनाफा लेंगे.

haryana animal semen technology
फाइल फोटो

ये भी पढ़ें- हरियाणा के युवा मछली पालक इन नई तकनीकों से कमा रहे लाखों, यहां लीजिए पूरी जानकारी

बहरहाल इस तकनीक और पशुपालन विभाग के इस कार्य की हर ओर तारीफ हो रही है. अगर ज्यादा से ज्यादा पशुपालक इसका लाभ उठाएंगे तो आने वाले कुछ सालों में ही हरियाणा की सड़कें कैटल फ्री हो जाएंगी और हरियाणा दूध उत्पादन में देश का नंबर वन राज्य बन जाएगा.

करनाल: मौजूदा समय में अगर हम अपने घर से बाहर निकलते हैं तो हमें सड़कों पर सैकड़ों की संख्या में आवारा पशु घूमते हुए दिखाई देते हैं. जिनमें गाय और सांड दोनों शामिल होते हैं, लेकिन इसमें सिर्फ 20% गाय और 80% सांड होते हैं जो सड़कों पर आवारा पशु के रूप में घूमते रहते हैं. जिससे कई बार सड़क हादसे भी हो जाते हैं, लेकिन अब पशुपालन विभाग ने इस पर संज्ञान लिया और एक ऐसा सीमेन गायों के लिए तैयार किया है जिससे 100% बछिया (haryana semen female cow calves) ही पैदा होंगी और दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी.

करनाल पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. धर्मेंद्र सिंह ने इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए बताया कि इस तकनीक से 100 प्रतिशत बछिया पैदा होती है और ये भविष्य में पशुपालकों के लिए एक वरदान साबित होगा. अकेले करनाल जिले में अब तक लगभग 250 बछिया इस सीमेन तकनीक से पैदा हो चुकी हैं. इस तकनीक के जरिए जहां आवारा पशुओं की समस्या से छुटकारा मिलेगा तो वहीं दूध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी. उन्होंने बताया कि ये सीमेन अच्छी नस्ल के सांड के सीमेन के द्वारा तैयार किया जाता है. जिससे नस्ल में भी सुधार होता है.

हरियाणा में इस तकनीक से गाय के पैदा होगी केवल बछिया, दूध उत्पादन भी बढ़ेगा

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उन्होंने बताया कि हमारे यहां पर जितनी गाय हरियाणा में पाई जाती हैं उन सभी के लिए ये उनकी नस्ल के आधार पर ही सीमेन तैयार किए गए हैं. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि आने वाले कुछ सालों ने सभी किसानों के पास ये जानकारी पहुंच जाए और वह ज्यादा से ज्यादा इस सीमेन को लगवाएं. जिससे बछिया पैदा होगी और आवारा पशुओं की समस्या से भी निजात मिलेगी.

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वहीं इस तकनीक का पशुपालकों ने भी स्वागत किया. पशुपालकों का मानना है कि ऐसा करने से गायों के प्रति किसानों व पशुपालकों का रुझान बढ़ेगा और वह ज्यादा संख्या में गाय को रखेंगे. जिससे सड़कों पर घूमने वाले आवारा सांड पर भी रोक लगेगी और साथ ही दूध में भी बढ़ोतरी होगी. साथ ही गौशाला में भी मजबूरी में सांडों को रखना पड़ता है क्योंकि गौशाला सिर्फ गायों के लिए बनाई गई है. अगर ये विधि पूरी तरह से सफल है तो आने वाले कुछ सालों में गौशाला में भी गायों व सांडों की संख्या कम हो सकती है क्योंकि लोग अपने घरों पर ही गाय रखेंगे और उनके दूध से मुनाफा लेंगे.

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बहरहाल इस तकनीक और पशुपालन विभाग के इस कार्य की हर ओर तारीफ हो रही है. अगर ज्यादा से ज्यादा पशुपालक इसका लाभ उठाएंगे तो आने वाले कुछ सालों में ही हरियाणा की सड़कें कैटल फ्री हो जाएंगी और हरियाणा दूध उत्पादन में देश का नंबर वन राज्य बन जाएगा.

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